पोप लियो : यूक्रेन के लिए उम्मीद है लेकिन कार्रवाई एवं प्रार्थना जरूरी

कस्तेल गांदोल्फो से वाटिकन लौटते हुए मंगलवार शाम को पोप लियो 14वें ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि हमें “शांति पाने के लिए सचमुच आगे बढ़ने का रास्ता खोजना होगा।”
पोप लियो ने यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए बातचीत से संबंधित पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहा, "उम्मीद तो है, लेकिन हमें अभी भी कड़ी मेहनत करनी होगी, प्रार्थना करनी होगी और शांति पाने के लिए सच्चे मन से आगे बढ़ना होगा।" कुछ नेताओं के साथ संभावित बातचीत के बारे में उन्होंने कहा कि "कोई न कोई" उनकी बात लगातार सुनता है," और आगे कहा, "हम प्रार्थना करते हैं और आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।"
पोप ने यह टिप्पणी रात करीब 9 बजे की, जब वे कास्तेल गंदोल्फो स्थित ग्रीष्मकालीन निवास से वाटिकन लौटने के लिए निकले। उन्हें विदा करने के लिए लोग इकट्ठे हो गये थे। जब वे विला बारबेरिनी के द्वार से अंदर आए और कुछ उत्साहित श्रद्धालुओं से बात करने के लिए रुके, तब तक अंधेरा हो चुका था।
पोप लियो ने कास्तेल गंदोल्फो में अपने ठहरने के बारे में भी बात की और कहा कि उन्हें जल्द ही वापस आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, "यहाँ होना एक आशीर्वाद है। लोगों द्वारा मिले स्वागत से मैं बहुत खुश हूँ।"
उन्होंने दिन में "माता मरियम के ग्रोटो" जाने की याद की, जहाँ पोप संत जॉन पॉल द्वितीय भी गए थे।
अंततः पोप के रूप में उनके प्रथम 100 दिनों के बारे पूछे जाने पर उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ये "ईश्वर के आशीर्वाद" थे। वाटिकन वापस जानेवाली कार में बैठने से पहले अपनी अंतिम टिप्पणी में उन्होंने कहा, "मुझे बहुत कुछ मिला है। मैं प्रभु की कृपा में गहरा विश्वास करता हूँ, और मुझे मिले स्वागत के लिए मैं बहुत आभारी हूँ। मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूँ।"
कास्तेल गंदोल्फो में दूसरी बार ठहरना
जुलाई में लगभग दो हफ़्ते कास्तेल गांदोल्फो में बिताने के बाद, पोप लियो, 13 अगस्त को दूसरी बार विश्राम के लिए वहाँ लौटे थे। इन सात दिनों में उन्होंने श्रद्धालुओं से चार बार मुलाक़ातें कीं। 15 अगस्त को, धन्य कुँवारी मरियम के स्वर्गोदग्रहण महापर्व के अवसर पर, पोप ने विलानोवा के परमधर्मपीठीय संत थॉमस पल्ली में, पवित्र मिस्सा बलिदान अर्पित की थी। अपने प्रवचन में, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया था कि कुँवारी मरियम का "हाँ" "आज भी जीवित है और हमारे समय के शहीदों में, विश्वास और न्याय, सौम्यता और शांति की गवाही में मृत्यु का प्रतिरोध करती है।" बाद में, देवदूत प्रार्थना में, उन्होंने वर्तमान विश्व की घटनाओं का जिक्र करते हुए, लोगों से आग्रह किया था कि वे "संघर्ष और हथियारों के तर्क के प्रचलन" के आगे न झुकें।
अल्बानो के गरीबों और बेघरों के साथ
पिछला रविवार, 17 अगस्त, भी मुलाकातों का दिन था। सुबह, पोप ने अल्बानो के संता मरिया देला रोतोंदा तीर्थस्थल में स्थानीय गरीब लोगों के लिए प्रार्थना सभा की अध्यक्षता की—जिसमें बेघर लोग, धर्मप्रांत के आश्रयों और समूह गृहों के निवासी, साथ ही कारितास कार्यकर्ता और परामर्श केंद्रों के लाभार्थी शामिल थे। अपने प्रवचन के दौरान, उन्होंने उनसे आग्रह किया कि वे दुनिया में "हथियारों या दूसरों को भस्म करनेवाले शब्दों की आग नहीं," बल्कि "प्रेम की आग लाएँ, जो स्वयं को विनम्र बनाती और सेवा करती है, जो उदासीनता का विरोध देखभाल से और अहंकार का विरोध विनम्रता से करती है; भलाई की आग, जिसकी कीमत हथियारों के समान नहीं है, बल्कि यह दुनिया को स्वतंत्र रूप से नवीनीकृत करती है।"
रविवार की प्रार्थना सभा से पहले अल्बानो की सड़कों पर अनेक लोगों द्वारा स्वागत किए जाने के बाद, पोप लियो ने धर्मप्रांतीय कारितास द्वारा आयोजित "आशा के चिह्न" नामक एक प्रदर्शनी का भी दौरा किया।
मिस्सा के बाद, पोप साप्ताहिक देवदूत प्रार्थना के लिए कास्तेल गंदोल्फो लौट आए। देवदूत प्रार्थना के अंत में, उन्होंने विश्वासियों को अपने साथ प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित किया "ताकि युद्धों को समाप्त करने और शांति को बढ़ावा देने के प्रयास फलदायी हों; और बातचीत में, लोगों की भलाई को हमेशा सर्वोपरि रखा जाए।"
बोर्गो लौदातो सी में एक उत्सुकता से प्रतीक्षित कार्यक्रम में पोप लियो ने अल्बानो के कारितास द्वारा सहायता प्राप्त सौ गरीब, बेघर और ज़रूरतमंद लोगों के साथ दोपहर का भोजन किया। भोजन की शुरुआत में, पोप लियो ने याद दिलाया कि "हम सभी के लिए रोटी तोड़ने, साथ मिलकर रोटी तोड़ने के उस भाव को साझा करना कितना महत्वपूर्ण है, जिस भाव से येसु अपने लोगों के बीच पहचाने जाते हैं।"
मेंतोरेला के पवित्र स्थल का दौरा
अंत में, मंगलवार सुबह, पोप लियो ने पलेस्त्रीना धर्मप्रांत के कप्रानिका प्रेनेस्तीना के एक छोटे से गाँव, ग्वादाग्नोलो में, मेंतोरेला की कृपा की माता मरियम के पवित्र स्थल का व्यक्तिगत दौरा किया। पोप ने कुछ देर प्रार्थना में विश्राम किया और विश्व शांति के लिए विशेष प्रार्थना करते हुए, कुँवारी मरियम की प्रतिमा के नीचे एक मोमबत्ती जलाई। उन्होंने पुनरुत्थानवादी धर्मगुरुओं के साथ भी समय बिताया, जिन्हें पवित्र स्थल की प्रेरितिक देखभाल का दायित्व सौंपा गया है, और विला बारबेरिनी लौटने से पहले उनके साथ दोपहर के भोजन में शामिल हुए।