वेर्ना और टस्कन प्रांत के फ्रायर्स माइनर को सम्बोधन
वाटिकन में शुक्रवार को पोप फ्राँसिस ने इटली के वेर्ना और टस्कन प्रांत के फ्रायर्स माइनर, फ्राँसिसकन मठवासियों को सम्बोधित करते हुए असीसी के सन्त फ्राँसिस का आठवीं शताब्दी तथा उनके द्वारा वेर्ना में मृत्यु से दो वर्ष पूर्व प्राप्त क्रूसित ख्रीस्त के चिन्हों को याद किया।
सन्त फ्राँसिस के रक्त के अवशेष को रोम लाने के लिये उन्होंने मठवासियों को धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि इटली के विभिन्न फ्राँसिसकन समुदायों में सन्त के अवशेषों की तीर्थयात्रा "अकिंचन और क्रूसित प्रभु ख्रीस्त" की पुष्टि के महत्व का स्मरण दिलाती है। सन्त पापा ने कहा कि क्रूसित प्रभु के चिन्हों की पुष्टि ही सबसे स्पष्ट संकेतों में से एक है जिसे ईश्वर ने, सदियों के अन्तराल में, विभिन्न स्थितियों से आनेवाले भाइयों एवं बहनों के माध्यम से विश्वासियों को प्रदान किया है।
पोप ने कहा कि ये चिन्ह हमें प्रभु येसु ख्रीस्त के दुखभोग एवं क्रूसमरण की दुखद याद दिलाते हैं, तथापि ये चिन्ह पास्का की विजय का भी संकेत हैं: इन घावों के माध्यम से ही पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त की दया हमारी ओर प्रवाहित होती है। इसी सन्दर्भ में हम ख्रीस्तीय जीवन और फ्राँसिसकन मठवासियों के जीवन में क्रूसित प्रभु के चिन्हों के अर्थ पर विचार करें।
पोप ने कहा, "ख्रीस्तीय विश्वासी के जीवन में क्रूसित प्रभु येसु के चिन्ह पर यदि विचार किया जाये तो येसु के अनुयायी संत फ्रांसिस में अपनी पहचान का दर्पण पाते हैं। ख्रीस्तीय विश्वासी, वास्तव में, केवल मानवीय शक्तियों द्वारा एक साथ रखे गए विचारों या कार्यों के समूह से संबंधित नहीं है, बल्कि एक जीवित शरीर के साथ घनिष्ठ रूप से संबंधित है और वह है येसु मसीह का शरीर, जो कि स्वयं कलीसिया हैं।" उन्होंने कहा कि यह सम्बन्ध प्रत्येक ख्रीस्तीय विश्वासी को बपतिस्मा संस्कार के द्वारा मिला है और जिसकी पुष्टि येसु ख्रीस्त के पुनःरुत्थान में हुई है।
इस प्रकार, पोप ने कहा, "कलीसिया के प्रेम की सहभागिता में, हम में से प्रत्येक को फिर से पता चलता है कि हम कौन हैं: ऐसा पुत्र जो प्रेम का पात्र है, जो धन्य है और मेल-मिलाप करानेवाला है और जिसे इस संसार में अनुग्रह के चमत्कार को देखने तथा भाईचारे का शिल्पकार बनने के लिए भेजा गया है।" अस्तु, उन्होंने कहा, "प्रत्येक ख्रीस्तानुयायी क्रूसित प्रभु के चिन्हों से विशेष रूप से सम्बन्धित रहने के लिये बुलाया गया है ताकि वह इस विश्व में पीड़ा, अन्याय और ग़लतियों के निशानों को पहचान सके और उन्हें सुधारने का प्रयास कर सके।"
पोप ने कहा कि इस मिशन में वेर्ना के सन्त हमारी तीर्थयात्रा के साथी हैं, जो कठिनाइयों, भय और विरोधाभासों से कुचले नहीं जाने तक हमारा समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि सन्त फ्राँसिस ने हर दिन यही किया, कोढ़ी से मुलाकात के बाद से, उन्होंने सेवा में खुद को लगाकर साहस और विनम्रता के साथ जो कुछ उन्होंने शुरु किया था उसे एक निश्चित अर्थ में "पूरा" किया।
उन्होंने अपनी आत्मा की ग़रीबी में ख़ुद को प्रभु ईश्वर के सिपुर्द करते हुए हर किसी के लिए सुसमाचार की हमेशा मौजूद रहने वाली गवाही दी है, और ऐसा कर हम सब के लिये और, विशेष रूप से, फ्राँसिसकन मठवासियों के लिये एक अनुपम आदर्श छोड़ा है।