ब्राजील के धर्मसमाजियों को पोप फ्राँसिस की सलाह
ब्राजील के पुरूष और महिला धर्मसमाजियों को प्रेषित संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने उन्हें ईश्वर के प्रेम में दृढ़ बने रहने का प्रोत्साहन दिया।
पोप फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 30 मई को ब्राजील के पुरूष और महिला धर्मसमाजियों के लिए आयोजित एक कॉन्ग्रेस के प्रतिभागियों को एक संदेश भेजा है। कॉंग्रेस का आयोजन ब्राजील के धर्मसमाजियों के सम्मेलन द्वारा इसकी स्थापना की 70वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में किया गया है।
ब्राजील के धर्मसमाजियों के कॉन्ग्रेस की विषयवस्तु है, “ब्राजील के धर्मसमाजियों के सम्मेलन की 70वीं वर्षगाँठ : आभारी स्मृति, रहस्यवाद, भविष्यवाणी और आशा।"
पोप ने संदेश में ब्राजील के धर्मसमाजियों को सम्बोधित करते हुए लिखा, “मैं आपको अपनी निकटता का आश्वासन देना हूँ तथा कॉग्रेस के सुचारू संचालन के लिए प्रार्थना करता हूँ, ताकि ब्राजील का प्रत्येक धर्मसमाजी समुदाय, कलीसिया के जीवन में प्रचुर फल उत्पन्न करे।”
अपनी बुलाहट की रक्षा करें
मैं समर्पित जीवन की बुलाहट के महान वरदान के लिए आभारी हूँ, जो अपने सबसे विविध करिश्मे में, कलीसियाई समुदाय को समृद्ध करता है और दुनिया भर में कलीसिया के मिशन में बहुत योगदान दे रहा है। वास्तव में, ग्रह पर कई स्थानों पर, सुसमाचार की पहली घोषणा समर्पित पुरुषों और महिलाओं के चेहरे पर होती है, जो अपने जीवन की महान प्रतिबद्धता और समर्पण के साथ प्रभु के आदेश को स्वीकार करते हैं: "संसार के कोने-कोने में जाकर, सारी सृष्टि को सुसमाचार सुनाओ।" (मरकुस 16:15)
संत पापा ने कहा, हालाँकि, हम जानते हैं कि बुलाहट के वरदान को हर दिन सुरक्षित और विकसित किया जाना चाहिए, ताकि यह हर धर्मसमाजी पुरुष और महिला के जीवन में अच्छा फल उत्पन्न करे। इस कारण से, मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि इस कांग्रेस के लिए चुना गया आदर्शवाक्य येसु द्वारा अंतिम भोज के दौरान प्रेरितों को दी गई सलाह है: "मेरे प्रेम में दृढ़ बने रहो।" (यो.15.9)।
ईश्वर के प्रेम में दृढ़ बने रहें
वास्तव में, पवित्र बुलाहट को अच्छी तरह से जीने के लिए, दैनिक प्रार्थना में येसु के साथ निरंतर संवाद करना और अपने व्रतों के प्रति निष्ठा के माध्यम से उनके प्रेम में बने रहना आवश्यक है जो हमारे समर्पण को इतनी खूबसूरती से व्यक्त करते हैं। संत पापा ने कहा, "समर्पित जीवन, अगर ईश्वर के प्रेम में दृढ़ बना रहता है, तो वह सौंदर्य देखता है। वह देखता है कि गरीबी (व्रत) एक कठिन प्रयास नहीं, बल्कि एक बेहतर स्वतंत्रता है, जो हमें, ईश्वर और लोगों को एक सच्ची संपत्ति के रूप में देती है।
शुद्धता (व्रत) को वह एक कठोर बाँझपन के रूप में नहीं बल्कि अधिकार किये बिना प्रेम करने के तरीका के रूप में, और आज्ञाकारिता को अनुशासन नहीं, बल्कि येसु की शैली में अपनी अव्यवस्था पर विजय के रूप में देखता है।"
पोप ने उम्मीद जातायी कि कॉन्ग्रेस अतीत को कृतज्ञता के साथ देखने, वर्तमान को धर्मसमाजी परिवारों के विशिष्ट करिश्मे के रहस्य को जीने एवं सुसमाचार की घोषणा के लिए नबी के रूप में प्रतिबद्धता का समर्थन तथा भविष्य तो आशा के साथ देखने का अवसर होगा।
पोप ने अपने संदेश का समापन समर्पित लोगों की माता एवं ब्राजील की संरक्षिका, अपारेचिदा की कुँवारी मरियम से प्रार्थना करते हुए की, “मैं अपनी इन इच्छाओं और प्रार्थनाओं को ब्राजील के समर्पित पुरुषों और महिलाओं की माता, अपारेचिदा की धन्य कुवाँरी माता की मध्यस्थता पर सौंपता हूँ। उन्होंने सभी धर्मसमाजियों को अपना आशीर्वाद प्रदान किया तथा अपने लिए प्रार्थना जारी रखने का अनुरोध किया।