पोप: हम सभी आशा के तार्थयात्री हैं

पोप फ्रांसिस ने लुथेरन विश्व संगठन के एक प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए उनकी इस भेंट को भातृत्वमय एकतावर्धक वार्ता की एक महत्वपूर्ण निशानी कहा।

पोप ने लुथेरन विश्व संगठन के एक प्रतिनिधिमंडल का वाटिकन में स्वागत किया।

उन्हें अपने संबोधन में पोप फ्रांसिस ने कहा कि ईश्वर हमें अपनी आशा, खुशी और शांति से भर दें जिससे हम अपने विश्वास में, पवित्र आत्मा से गुणों से प्रेरित ख्रीस्त का साक्ष्य दे सकें। उन्होंने 2025 आगामी जयंती वर्ष की ओर ध्यान आकर्षित कराया जिसकी विषयवस्तु आशा के तीर्थयात्रगण है।

पोप फ्रांसिस ने तीन साल पूर्व लुथेरन विश्व संगठन के एक प्रतिनिधिमंडल के संग अपनी भेंट को याद करते हुए कहा कि हम निसिया की प्रथम धर्मसभा को धार्मिक एकतावर्धक घटना के रुप में देखते हैं। 2025 में इसकी वर्षगांठ की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “इस घटना में हम सभी येसु ख्रीस्त को एकतावर्धक वार्ता का केन्द्र-विन्दु पाते हैं।”

येसु धार्मिक एकतावर्धक वार्ता के केन्द्र-बिन्दु
पोप ने कहा, “येसु हमारी वार्ता के केन्द्र-विन्दु हैं।” वे दिव्य करूणा के शरीरधारी ईश्वर हैं जिनका साक्ष्य देने हेतु हम सभी बुलाये गये हैं। उन्होंने 25 साल पहले हस्ताक्षरित दोषमोचन के संयुक्त सिद्धांत की घोषणा के संबंध में कहा कि हम दोनों समुदाय सभी बातों में ख्रीस्त को स्वीकारते जो सारी चीजों के ऊपर, हमारे लिए एकमात्र मध्यस्थ हैं, जिसके द्वारा ईश्वर हम सबों के ऊपर अपने कृपादानों की बरसा करते हैं।

एक सच्ची वार्ता और सेवा कार्य
“पापों की क्षमा के लिए एक बपतिस्मा” और “आध्यात्मिक मूल की एक उत्पत्ति” पर ध्यान आकर्षित कराते हुए संत फ्रांसिस ने लूथरन और काथलिकों को “सच्ची वार्ता और सेवा” के मार्ग में चलने और “आशा के तीर्थयात्री बनने का आहृवान किया।

अपने संबंध के अंत में संत पापा ने इस यात्रा में अर्थोडक्स ईशशास्त्री धर्माध्यक्ष इयोनिस ज़िज़ियोलस की याद की जिन्होंने लौदातो सी ने लेखन में एक महान योगदान दिया था, जिनकी मृत्यु 2023 में हो गई। संत पापा ने उन्हें धार्मिक एकतावर्धक वार्ता के पहलकर्ता की संज्ञा देते हुए उनकी बातों को उद्धृत कर कहा, “हमें एक साथ चलना चाहिएः हम एक साथ चलें, प्रार्थना करें और सेवा के कार्य करें।”