पोप : हमारे बिना ईश्वर नहीं बचायेंगे

पोप लियो ने दोमुस ऑस्ट्रेलिया में संध्या प्रार्थना की, जो रोम में ऑस्ट्रेलियाई तीर्थयात्रियों के लिए एक आध्यात्मिक घर है।
रोजरी की माता मरियम के पर्व दिवस की पूर्व संध्या पर, पोप लियो 14वें ने रोम के दोमुस ऑस्ट्रेलिया में संध्या प्रार्थना का संचालन किया। यह एक कलीसियाई अतिथिशाला है जो मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलियाई और अंग्रेजी बोलनेवाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आवास प्रदान करता है।
मूल रूप से मेरिस्ट फादरों के निवास के रूप में स्थापित, दोमुस ऑस्ट्रेलिया को 2000 के दशक के अंत में सिडनी महाधर्मप्रांत ने अन्य ऑस्ट्रेलियाई धर्मप्रांतों के सहयोग से अधिग्रहित कर लिया था। इसका आधिकारिक उद्घाटन 2011 में पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने रोम में ऑस्ट्रेलियाई तीर्थयात्रियों के लिए एक आध्यात्मिक निवास के रूप में किया था।
रोम में आयोजित इस समारोह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े, जिन्होंने "संत पापा जिंदाबाद!" के नारे लगाये और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ पोप लियो चौदहवें का स्वागत किया। कई लोग अपने बच्चों के साथ सड़कों के किनारे खिड़कियों पर इकट्ठा हुए। दोमुस ऑस्ट्रेलिया के चैपल के अंदर - जो पोम्पेई की रोजरी की माता मरिया को समर्पित है - रोम के ऑस्ट्रेलियाई काथलिक समुदाय के सदस्य एकत्रित हुए, जिनमें कार्डिनल रेमंड लियो बर्क भी शामिल हुए।
पोप लियो संध्या वंदना के लिए गिरजाघर में प्रवेश किये और परमपावन संस्कार के समक्ष मौन प्रार्थना की। लंदन स्थित गायक मंडली द ग्रैडुआलिया कॉन्सोर्ट ने "टू एस पेत्रुस" के गायन के साथ उनका स्वागत किया।
मरियम की आशा का संदेश
अपने प्रवचन में, पोप लियो 14वें ने जयंती वर्ष के संदर्भ में कुँवारी मरियम की भूमिका पर चिंतन किया, जिसे उन्होंने आशा से भरा समय बताया। पोप ने कहा, "एक विशेष तरीके से, मरियम ने ईश्वर पर अपने वादों को पूरा करने के अपने विश्वास के माध्यम से [आशा] को मूर्त रूप दिया।" "इस आशा ने, बदले में, उन्हें सुसमाचार के लिए स्वेच्छा से अपना जीवन समर्पित करने और स्वयं को पूरी तरह से ईश्वर की इच्छा पर समर्पित करने की शक्ति और साहस दी।"
पोप लियो ने विश्वासियों को याद दिलाया कि शरीरधारण मरियम के गर्भ में होने से पहले "उनके हृदय में" हुआ था। पोप ने कहा कि ईश्वर कभी विलंब नहीं करते; बल्कि, हम धैर्य और विश्वास सीखने के लिए बुलाये जाते हैं: "ईश्वर का समय हमेशा सही होता है।"
हमारा हृदय खोलना
पोप लियो ने जोर देते हुए कहा कि ईश्वर न केवल मनुष्यों को पाप से मुक्त करते बल्कि हृदय खोलते हैं, और मरियम के समान अपने बुलावे पर हमें “हाँ” कहने के योग्य बनाते हैं। बपतिस्मा के द्वारा हम सभी ईश्वर की संतान कहे जाते हैं। संत अगुस्टीन का उदाहरण देते हुए पोप ने कहा, “ईश्वर ने हमें हमारे बिना बनाया है, परन्तु वे हमें हमारे बिना नहीं बचाएगा।" उन्होंने विश्वासियों से आग्रह किया कि वे निष्ठा, विश्वास और कृतज्ञता के साथ ईश्वर की मुक्ति योजना में सक्रिय भूमिका निभाएँ।
संत पापा ने अपने संदेश का समापन विश्वासियों को माता मरियम के साथ भजन गाकर प्रार्थना करने की सलाह के साथ की। उन्होंने कहा कि ऐसा करके हम माता मरियम पर चिंतन करेंगे जिन्होंने सियोन की एक सच्ची पुत्री की तरह, अपने प्रभु ईश्वर में आनन्द मनायी क्योंकि उन्होंने देखा कि ईश्वर ने उनपर कृपा बरसायी है और अब्राहम एवं उनके वंशजों के प्रति विश्वस्त बने रहे।
ऑस्ट्रेलिया के लिए आध्यात्मिक घर
दोमुस ऑस्ट्रेलिया ने शुरू से ही अंग्रेजी में दैनिक मिस्सा बलिदान प्रदान किया है, जहाँ पवित्र यूखरिस्त की आराधना की जाती है और पवित्र संगीत भी गाये जाते हैं। 2011 में इसके समर्पण के अवसर पर, पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने आशा व्यक्त की थी कि ऑस्ट्रेलियाई तीर्थयात्री “अधिक दृढ़ विश्वास, अधिक आनन्दित आशा एवं अधिक उत्कट प्रेम के साथ घर लौटेंगे।”