पोप लियोः किसी को विस्थापन हेतु बाध्य न करें

चागोस शरणार्थी समूह के एक प्रतिनिधिमंडल से बात करते हुए, पोप लियो ने मातृभूमि हेतु संघर्ष में समर्पण और लचीलेपन में बने रहने की प्रशंसा की और उन्हें "भविष्य की ओर दृढ़ता से देखने" को प्रोत्साहित किया।

पोप लियो ने पोप फ्रांसिस के कदमों का अनुसरण करते हुए चागोस शरणार्थी समूह से मुलाकात की और उनके कार्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए उन्हें आगे बढ़ने को प्रोत्साहित किया।

दो साल पूर्व पोप फ्रांसिस से अपनी मुलाकात के उपरांत चागोस शरणार्थी समूह ने पोप लियो से भेंट की जिन्होंने उनके कार्य की सफलता के लिए बधाई दी, "क्योंकि हाल ही में एक संधि पर हस्ताक्षर के माध्यम से चागोस शरणार्थी समूह का मॉरीशस गणराज्य में वापसी सुनिश्चित हो गई है।" उन्होंने स्वीकार किया कि यह संधि उनकी घर वापसी की यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है, अतः इसे संभव बनाने वाले सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया।

अपनी मातृभूमि के लिए संघर्ष
पोप लियो ने आगे कहा कि उन्हें खुशी है कि संत पापा फ्रांसिस के संवाद और अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति सम्मान की इच्छा ने “अंततः इस गंभीर अन्याय को दूर करने में मदद की है”- जिससे चागोसियन समुदाय पीड़ित थे। संत पापा ने “चागोसियन लोगों, विशेष रूप से महिलाओं के अपने अधिकारों हेतु शांतिपूर्ण संघर्ष में दृढ़ संकल्प” की सराहना की।

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि द्वीपसमूह में वापसी की नई संभावना एक सकारात्मक संकेत “और अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक शक्तिशाली चिन्ह है: सभी लोगों को, चाहे वे सबसे छोटे और सबसे कमज़ोर ही क्यों न हों, उनकी पहचान और अधिकारों, विशेष रूप से अपनी भूमि पर रहने के अधिकार का, शक्तिशालियों द्वारा सम्मान किया जाना चाहिए,कोई भी किसी को निर्वासन के लिए मजबूर नहीं कर सकता है।”

बेहतर भविष्य की आशा
मातृभूमि से निर्वासित होने के दशकों बाद, पोप ने कहा कि मॉरीशस के अधिकारी – और संपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समुदाय –“सर्वोत्तम संभव परिस्थितियों” में उनकी वापसी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध होंगे।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया, “स्थानीय कलसिया निस्संदेह योगदान देगी, विशेषकर आध्यात्मिक रूप से, जैसा कि उसने हमेशा कठिन समय में किया है।” उन्होंने माना कि निर्वासन के इन वर्षों में चागोसियन लोगों को बहुत कष्ट, गरीबी, अवमानना ​​और बहिष्कार का दर्द सहना पड़ा है।

चागोसियन लोगों को क्या हुआॽ
आधे दशक पहले, चागोसियन समुदाय को बलपूर्वक अपनी मातृभूमि को छोड़ने को मजबूर किया गया था जिसके फलस्वरुपू कई लोगों को सेशेल्स और मॉरीशस भेज दिया गया था, जहाँ उन्हें गरीबी और कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

चागोस शरणार्थी समूह की स्थापना 1983 में सभी चागोसियनों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लक्ष्य के साथ की गई थी। मॉरीशस, सेशेल्स और यूनाइटेड किंगडम में स्थित, यह स्वैच्छिक समुदाय-नेतृत्व वाला समूह चागोस लौटने के अधिकार के लिए संघर्ष हेतु समर्पित है।