पोप : येसु को दूसरों के संग बांटें

पोप फ्रांसिस ने मंगलवार 30 जुलाई को मिस्सा सेवकों के 13वें विश्व अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में करीबन 70 हजार युवाओं से भेंट की और उन्हें अपना छोटा संदेश दिया।

पोप फ्रांसिस ने वेदी सेवक युवाओं को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय मित्रों, शुभ संध्याकाल।

संत पेत्रुस का प्रांगण सदैव अपने में एक सुन्दर स्थल है लेकिन आपकी उपस्थिति इसकी सुन्दरता में चार चांद लगाती है। रोम आने के लिए आप सभों को धन्यवाद, आपमें से बहुतों के लिए यह रोम की पहली यात्रा होगी, आप सभों का स्वागत।

आपके साथ
पोप ने कहा कि आप की तीर्थयात्रा की विषयवस्तु है, “आप के साथ” जो मुझे विशेष रुप से प्रभावित करती है। उन्होंने कहा कि क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्योंॽ ऐसा इसलिए क्योंकि इन दो शब्दों में सारी चीजें व्यक्त होती हैं। यह अपने में सुन्दर है, और यह हमें खोज करने के लिए तथा इसके संभावित अर्थों का पता लगाने को एक अवसर प्रदान करती है।

“आप के साथ”, यह वह अभिव्यक्ति है जो हमारे जीवन के रहस्य को, प्रेम के रहस्य को अपने में धारण करती है। पोप ने कहा कि जब एक माता गर्भ में अपने बच्चे को वहन करती तो वह उसे कहती है, “डरो नहीं, मैं तुम्हारे साथ हूँ”। वहीं रहस्यमयी ढ़ग से माता भी इस बात का अनुभव करती है कि नन्हा बच्चा भी उसे यह कहता है,“मैं आपके साथ हूँ।” एक अगल ही रूप में यह पिता को भी अपने में सम्माहित करता है।

पोप ने कहा कि आप सभों को यहाँ देखना मुझे, “आप के साथ” को नये अर्थों में देखने को मदद करता है। मैं इसके संबंध में कुछ अति सुन्दर और महत्वपूर्ण बातों को आप सबों के संग साझा करना चाहूँगा।

मिस्सा बलिदान
उन्होंने कहा कि धर्मविधि में आप की सेवा के अनुभव मुझे सर्वप्रथम इस बात की याद दिलाती है “आप के साथ” इसकी शुरूआत ईश्वर से होती है। येसु हमें कहते हैं,“जहाँ दो या तीन मेरे नाम में एकत्रित हैं उनके बीच मैं उपस्थित रहता हूँ।” यह सर्वश्रेष्ठ रुप में मिस्सा बलिदान, यूखरिस्त में होता है, जहाँ ईश्वर जो “आप के साथ” रहते हैं, सच्चे शरीर और रक्त में अपने को उपस्थित करते हैं। पुरोहित इस रहस्य को हर दिन अपने हाथों से होता देखते हैं और इसे आप भी देखते हैं जब आप मिस्सा बलिदान में वेदी सेविकाई कर रहे होते हैं। जब हम पवित्र परमप्रसाद ग्रहण करते हैं, हम इस बात का अनुभव करते हैं कि येसु “हमारे संग” आध्यात्मिक और शारीरिक दोनों रूपों में उपस्थित रहते हैं। पोप ने कहा, “वे हमसे कहते हैं, “मैं तुम्हारे साथ हूँ”, यह केवल शब्दों में नहीं बल्कि वे उसे अपने प्रेमपूर्ण कार्य के रुप चिन्हों में हमारे लिए करते हैं जो हमारे लिए यूखारिस्तीय बलिदान है।” आप भी इसे उनके संग एकता में रहते हुए कह सकते हैं, “मैं आपके साथ हूँ”, यह केवल शब्दों में नहीं बल्कि हमारे हृदय की गहराई और शरीर में, उनके प्रेम में हो। यह इसीलिए क्योंकि येसु विशेष रुप से हमारे संग रहते हैं और इस भांति हम सही अर्थ में उनके संग होते हैं।

मरियम का आदर्श
पोप ने कहा कि यह हमारे लिए मुख्य बात है, प्रिय मित्रों। मैं आशा करता हूँ कि मैंने इस बात को आप सबों के लिए स्पष्ट किया और समझने में मदद किया कि “आप के साथ” का अर्थ क्या है जिसे हम दूसरों के संग साझा करते हैं। इस भांति हम येसु ख्रीस्त की आज्ञा को अपने दैनिक जीवन में जीने के योग्य बनते हैं, “एक दूसरे को प्यार करो जैसे मैंने तुम्हें प्यार किया है।” संत पापा ने वेदी सेवक बच्चों का ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि यदि आप मरियम की भांति सतर्क मन, दिल और शरीर से वेदी सेवा के कार्य करते हैं तो ईश्वर का रहस्य जो आप के साथ रहते हैं आप को इसके योग्य बनता है और आप दूसरों के संग एक नये रुप में प्रस्तुत होते हैं।

हम येसु ख्रीस्त के प्रति सदैव और सिर्फ कृतज्ञवान बने रह सकते हैं- जो हमें अपने पड़ोसियों के प्रति हमें यह कहते को प्रेऱित करता है, “मैं आपके साथ हूँ”, यह केवल शब्दों में नहीं लेकिन हमारे लिए कार्यों, निशानियों में व्यक्त होता है, जो हृदय से होता जहाँ हम अपने को उनके निकट पाते हैं- संत पापा ने इस बात पर जोर देते हुए कहा- “हम इस मूर्त निकटता को कभी न भूलें।” हम ऐसा रोते हुए लोगों के संग रोते हुए, खुशी मानने वाले लोगों के साथ खुशी मनाते हुए करते हैं। हम उनके प्रति न्यायी, पूर्वाग्रह से ग्रस्ति नहीं होते, हममें उनके प्रति कोई भी स्वार्थ की भावना नहीं होती और हम किसी को अपने से अलग नहीं करते हैं। यहाँ तक की वे जो हमें पसंद नहीं करते हैं, वे जो हमारे प्रति उदासीन रहते हैं, वे जो विदेशी हैं, वे जो हमें नहीं समझते हैं, जो गिरजा कभी नहीं आते हैं, वे जो कहते हैं कि उनका ईश्वर पर विश्वास नहीं हैं, हम सबों के संग प्रेम भाव से पेश आते हैं।

पोप की कृतज्ञता
पोप ने कहा प्रिय युवाओं, हम इन दो छोटे शब्दों में महान रहस्य को पाते हैं। हम उन लोगों के प्रति अपनी कृतज्ञता के भाव प्रकट करते हैं जिन्होंने इन्हें चुना। पोप ने सभी युवा प्रति भागियों के प्रति धन्यवाद के भाव प्रकट किये। मैं तीर्थयात्रियों के रुप में, येसु के प्रेम में सहभागी होने के लिए, प्रेममय सेवक बनने, उनके घायल हृदय और चंगाई देने वालों घावों के सेवक बनने के लिए आप सभों का धन्यवाद करता हूँ जो हमें मृत्यु से बचाता और अनंत जीवन प्रदान करता है। प्रिय युवा मित्रों आप सभों को तहे दिल से धन्यवाद।