पोप ने कलीसिया की मानवीय सहायता को 'मुफ्त में देने' पर प्रकाश डाला

पोप फ्राँसिस ने लैटिन अमेरिका में सक्रिय सहायता संगठनों को क्रूस को अपनाने और जरूरतमंद लोगों की ठोस सहायता करने के येसु के मिशन के लिए एकजुट होने हेतु प्रोत्साहित किया।

पोप फ्राँसिस ने सोमवार को आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि जब हम परोपकारी कार्यों में संलग्न होते हैं तो हम अपने प्रयासों के परिणामों को देखने की इच्छा के साथ, बदले में कुछ भी उम्मीद न करते हुए देने के विचार को कैसे समेट सकते हैं।
पोप ने सीईएलएएम और समग्र मानव विकास को बढ़ावा देने के लिए गठित परिषद द्वारा प्रायोजित एक बैठक में एक संदेश भेजा, जिसका उद्देश्य लैटिन अमेरिका में काम करनेवाली सहायता एजेंसियों और संस्थानों के बीच एकजुटता और धर्मसभा सहयोग को बढ़ावा देना है। समूहों के प्रतिनिधि इस सप्ताह बोगोटा, कोलंबिया में बैठक कर रहे हैं।

पोप फ्राँसिस ने अपना संदेश पत्रकारिता के सवालों : कौन, क्या, कब, कहां, क्यों और कैसे, से शुरू करते हुए "मुफ्त देने" पर चिंतन किया।

पोप ने स्पष्ट किया कि देने के केंद्र में ईश्वर हैं। पोप ने कहा, “ईश्वर ही हैं जो देते हैं, जबकि हम केवल उसके उपहारों के प्रबंधक हैं; और उन्होंने हमें वह सब कुछ दिया है जो हमारे पास हैं।”

ईश्वर के उपहार की अमूल्यता को पहचानकर, हम पैसे के गुलाम बनने, झूठी आर्थिक सुरक्षा पर भरोसा करने, प्रशासनिक दक्षता और नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित करने से बचते हैं।

पोप ने कहा, "हमारे चिंतन में एक महत्वपूर्ण मोड़ में यह एहसास शामिल है कि ईश्वर खुद को अपने लोगों के बीच में दे देते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, यह आवश्यक है कि हम उन लोगों तक पहुंचें जो "आँख मूंदकर चलते, जो रास्ते के किनारे गिर जाते, जो दुःख के कोढ़ से ढके हुए हैं," हमें यह देखने में मदद करने के लिए प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि "क्या चीज़ उन्हें अपनी कठिनाइयों का सामना करने से रोकती है।"

पोप फ्राँसिस ने इस बात पर जोर दिया कि ईश्वर खुद को अपने लोगों को "हमेशा और पूरी तरह से" देते हैं, अपने प्यार और क्षमा पर कोई सीमा नहीं रखते हैं।
पोप ने कहा कि हमारे लिए मुफ्त में देने का अर्थ है, हमारी गरीबी के बावजूद, हमारे लिए, अपने लोगों के लिए, हमेशा और पूरी तरह से खुद को देने के येसु के तरीके का अनुकरण करना। क्यों? प्यार की वजह से।"

पोप ने समझाया, यही कारण है कि हमें अपने दान के परिणामों पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, "इस तरह से खुद को समर्पित करके, हम येसु का अनुकरण करते हैं, जिन्होंने हम सभी को बचाने के लिए खुद को दे दिया।"

"क्रूस को गले लगाना विफलता का संकेत नहीं है, यह व्यर्थ का काम नहीं है, यह येसु के मिशन के लिए खुद को एकजुट करना है... उस भाई के, उस समुदाय के घाव को ठोस रूप से छूना है, जिसका एक नाम है, जो ईश्वर के लिए अनंत मूल्य है, उसे प्रकाश देना, उसके पैरों को मजबूत करना, उसके दुख को दूर करना, उन्हें उस प्रेम की योजना का जवाब देने का अवसर देना जो प्रभु ने उनके लिए रखा है, अपने घुटनों पर पूछना कि, जब वे वहाँ पहुंचेगे, येसु को उस भूमि पर विश्वास मिल सकें।