पवित्र मिस्सा में पोप : बिना न्याय किये सुनें

पोप लियो चौदहवें ने रविवार 11 मई को संत पेत्रुस महागिरजाघर में स्थित संत पेत्रुस की कब्र का दर्शन किया और वहाँ स्थित वेदी पर ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

वाटिकन प्रेस कार्यालय के एक बयान के अनुसार, पवित्र मिस्सा में अगुस्टीनियन ऑर्डर के पूर्व जेनेरल सुपीरियर फादर अलेजांद्रो मोरल अंतोन ने सह अनुष्ठाता के रूप में भाग लिया। 

ख्रीस्तयाग के अपरांत, पोप लियो 14वें ने अपने पूर्वाधिकारियों की कब्रों पर मौन प्रार्थना की। वे पलिया के ताक के पास भी रूके जो एक ऊनी स्टोल है और पोप एवं दुनियाभर के महाधर्माध्यक्षों के बीच एकता का प्रतीक है।

उन्होंने ख्रीस्तयाग के दौरान उपदेश में कहा, “इस रविवार को भले चरवाहे के विषय में हमने जो सुसमाचार पाठ सुना, वह यह है: मेरी भेड़ें मेरी आवाज सुनती हैं, मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरा अनुसरण करती हैं।”

येसु भले चरवाहे
पोप ने कहा, “मैं भले चरवाहे के बारे में सोचता हूँ, जो पास्का के समय में बहुत महत्वपूर्ण है। जब हम कलीसिया द्वारा मुझे बुलाई गई प्रेरिताई के नए मिशन की शुरुआत कर रहे हैं, येसु से बड़ा उदाहरण कोई नहीं हो सकता, जिन्हें हम अपना जीवन सौंपते हैं और जिन पर हम निर्भर हैं। येसु जिनका हम अनुसरण करते हैं, वे भले चरवाहे हैं, और वे ही हमें जीवन देते हैं: मार्ग, सत्य और जीवन। इसलिए हम इस दिन को खुशी के साथ मनाते हैं।

माताओं को समर्पित विश्व दिवस
माताओं को समर्पित विश्व दिवस की याद करते हुए पोप ने कहा, “आज माताओं को समर्पित दिवस है।... मातृ दिवस की शुभकामनाएँ! ईश्वर के प्रेम की सबसे अद्भुत अभिव्यक्तियों में से एक यह प्रेम है जिसे माताएँ, विशेषकर, अपने बच्चों और नाती-पोतों के प्रति प्रकट करती हैं।”

दिन की विशेषताओं पर गौर करते हुए उन्होंने कहा, “यह रविवार कई अलग-अलग कारणों से खास है: सर्वप्रथम मैं बुलाहट का जिक्र करना चाहूँगा।” सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम अपने जीवन में एक अच्छा उदाहरण पेश करके, खुशी के साथ, सुसमाचार के आनंद को जीएँ, दूसरों को हतोत्साहित न करें, बल्कि युवाओं को प्रभु की आवाज सुनने और उनका अनुसरण करने तथा कलीसिया में सेवा करने के लिए प्रोत्साहित करने के तरीकों की तलाश करें। प्रभु हमसे कहते हैं "मैं भला चरवाहा हूँ।"

मिशन की सार्वभौमिक भावना
संत पापा ने प्रेरित चरित से लिए गये पाठ में पौलुस और बर्नाबस के मिशन पर चिंतन करते हुए कहा, “यह मिशन जिसे हम आगे बढ़ा रहे हैं, अब किसी एक धर्मप्रांत के लिए नहीं बल्कि पूरी कलीसिया के लिए है: यह सार्वभौमिक भावना महत्वपूर्ण है। और हम इसे पहले पाठ में भी पाते हैं” (प्रेरित चरित 13:14.43-52)। पौलुस और बर्नाबस अन्ताकिया जाते हैं, वे सबसे पहले यहूदियों के पास जाते हैं, लेकिन यहूदी प्रभु की आवाज सुनना नहीं चाहते हैं, और इसलिए वे पूरी दुनिया में, गैर-यहूदियों के बीच सुसमाचार की घोषणा करना शुरू करते हैं। जैसा कि हम जानते हैं, इस महान मिशन पर संत पौलुस रोम आते हैं, जहाँ वे इसे पूरा भी करते हैं। यह भले चरवाहे के साक्ष्य का एक और उदाहरण है। लेकिन उस उदाहरण में हम सभी के लिए एक विशेष निमंत्रण भी है। पूरे विश्व में सुसमाचार की घोषणा करने का क्या अर्थ है।

साक्षी देने के लिए साहसी बनें
साहसी बनना, निडर होकर आगे बढ़ना। सुसमाचार में कई बार येसु कहते हैं : “डरो मत।” उन्होंने कहा, “गवाही देने के लिए साहसी बनने की आवश्यकता है, अपने वचन और सबसे बढ़कर जीवन द्वारा। इस मिशन को जीने के लिए हमें अपना जीवन देने, सेवा करने और कभी-कभी बड़े त्याग भी आव्श्यकता करने पड़ सकते हैं।

एक चिंतन जिसमें सवाल किया गया है, “जब आप अपने जीवन के बारे में सोचते हैं, तो आप इस बात को कैसे समझाना चाहेंगे कि आप कहाँ पहुँच गये हैं?” उसे पढ़ते हुए पोप लियो 14वें ने कहा, इस चिंतन में जो उत्तर वे देते हैं, वह एक अर्थ में मेरा भी है, “सुनना”। सुनना कितना महत्वपूर्ण है। येसु कहते हैं, “मेरी भेड़ें मेरी आवाज सुनती हैं।” और यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी अधिक से अधिक सुनना सीखें, संवाद में शामिल हों। सबसे पहले प्रभु के साथ: हमेशा ईश्वर का वचन सुनना और दूसरों को भी सुनना, पुल बनाने सीखना। हम सुनना सीखें, न कि दूसरों का न्याय करें, यह सोचकर दरवाजे बंद न कर लें कि हमारे पास सारी सच्चाई है और कोई भी हमें कुछ नहीं बता सकता। प्रभु की आवाज को सुनना, इस संवाद में खुद को सुनना और यह देखना कि प्रभु हमें कहाँ बुला रहे हैं, यह बहुत महत्वपूर्ण है।

संत पापा ने कहा, “आइये, हम कलीसिया में एक साथ चलें, हम प्रभु से प्रार्थना करें कि वे हमें यह कृपा प्रदान करें ताकि हम उसके वचन को सुन सकें और उसके सभी लोगों की सेवा कर सकें।