देवदूत प्रार्थना में पोप : प्रेम ही सब कुछ का स्रोत है
रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान पोप फ्राँसिस ने इस बात पर जोर दिया कि बाह्य अभ्यास अधिक मायने नहीं रखता बल्कि हम एक दूसरे को किस तरह प्यार करते हैं वही मायने रखता है।
वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 3 नवम्बर पोप फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।
आज की धर्मविधि का सुसमाचार पाठ (मारकुस 12:28-34) हमें येरूसालेम मंदिर में येसु के अनेक चर्चाओं में से एक के बारे में बताता है। शास्त्रियों में से एक उनके पास आया और पूछा: “सब से बड़ी आज्ञा कौन सी है?” (पद 28)। येसु मूसा की सहिंता के दो मूलभूत शब्दों को एक साथ रखकर जवाब देते हैं: "अपने प्रभु ईश्वर को अपने सारे हृदय, अपनी सारी आत्मा, अपनी सारी बुद्धि और अपनी सारी शक्ति से प्यार करो और "अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो।" (पद.30-31)
जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीज क्या है?
पोप ने कहा, “अपने प्रश्न के साथ, सदुकी आज्ञाओं में से "पहली" की तलाश करता है, अर्थात, एक संहिता की जो सभी आज्ञाओं का आधार है; वास्तव में, जैसे कि हम जानते हैं कि यहूदियों के कई नियम थे, जिनका वे आधार तलाशते थे, एक मौलिक सिद्धांत था जिसपर वे सहमत थे, और उनके बीच चर्चाएं हुईं, अच्छी चर्चाएं हुईं क्योंकि वे सत्य की तलाश में थे।
उन्होंने कहा, “और ये सवाल हमारे लिए भी जरूरी है, हमारे जीवन के लिए, हमारे विश्वास की यात्रा के लिए। दरअसल, हम भी कभी-कभी कई चीजों में खोये हुए महसूस करते हैं और खुद से पूछते हैं: लेकिन, आखिरकार, सबसे महत्वपूर्ण चीज क्या है? मैं अपने जीवन का, अपने विश्वास का केंद्र कहाँ पा सकता हूँ जहाँ से बाकी सब कुछ प्रसारित होता है? और येसु हमें इन दो आज्ञाओं को मिलाकर उत्तर देते हैं जो सबसे बढ़कर हैं: "अपने प्रभु ईश्वर से प्रेम करो" और "अपने पड़ोसी से प्रेम करो।" संत पापा ने कहा, “यही हमारे विश्वास का हृदय है।"
जीवन और विश्वास का का हृदय
पोप ने सभी ख्रीस्तीय भाई-बहनों का आह्वान करते हुए कहा, “हम सभी को जीवन और विश्वास के हृदय की ओर लौटने की आवश्यकता है, क्योंकि हृदय ही "सभी शक्तियों, विश्वासों, जुनून एवं विकल्पों का स्रोत और जड़ है।" (डिलेक्सित नोस-9) और येसु हमें बताते हैं कि हर चीज का स्रोत प्रेम है, और हमें कभी भी ईश्वर को मनुष्य से अलग नहीं करना चाहिए। प्रभु हर युग के शिष्यों से कहते हैं: आपकी यात्रा में होमबलि और बलिदान जैसी बाहरी प्रथाएँ नहीं बल्कि हृदय की उदारता मायने रखती है जिसके द्वारा हम अपने आप को ईश्वर और अपने भाइयों के प्रति प्रेम से खोलते हैं। हम वास्तव में बहुत कुछ कर सकते हैं, लेकिन उन्हें केवल अपने लिए करना और बिना प्रेम के करना, विचलित मन से या बंद दिल से करना, सही नहीं है। सभी चीजों को प्यार से करनी चाहिए।
पोप महा न्याय के दिन की याद दिलाते हैं “जब प्रभु आएंगे और सबसे पहले हमसे प्रेम का हिसाब मांगेंगे: ‘तुमने प्रेम कैसे किया?’ हम क्या दे पाए हैं और क्या नहीं दे पाए हैं।” इसलिए इस सबसे महत्वपूर्ण आज्ञा को हृदय में संजोकर करना जरूरी है। कौन सी आज्ञा? अपने प्रभु ईश्वर से प्रेम करो, और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखो।
हर दिन अंतःकरण की जांच करें
संत पापा ने इस महत्वपूर्ण आज्ञा में बढ़ने का उपाय बताते हुए कहा, “हर दिन अपनी अंतःकरण की जांच करें और खुद से पूछें: क्या ईश्वर और पड़ोसी के लिए प्यार मेरे जीवन का केंद्र है? क्या ईश्वर से मेरी प्रार्थना, मुझे अपने भाइयों की ओर जाने और उनसे खुलकर प्यार करने हेतु प्रेरित करती है? क्या मैं दूसरों के चेहरों पर प्रभु की उपस्थिति को पहचानता हूँ?
कुँवारी मरियम, जिन्होंने अपने निष्कलंक दिल में ईश्वर के नियमों को अंकित रखा, हमें प्रभु और हमारे भाई-बहनों से प्यार करने में मदद करें।
इतना कहने के बाद पोप ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
पोप का अभिवादन एवं उनकी प्रार्थना
देवदूत प्रार्थना के उपरांत पोप ने सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया। उन्होंने कहा, “मैं रोमवासियों और इटली तथा विश्व के विभिन्न हिस्सों से आये सभी तीर्थयात्रियों का अभिवादन करता हूँ।”
उन्होंने रक्तदान करनेवालों को सम्बोधित करते हुए कहा, “मैं कोकाग्लियो (ब्रेशिया) के रक्तदाताओं और दक्षिणी रोम आपातकालीन दल का अभिवादन करता हूँ, जो इतालवी संविधान के अनुच्छेद 11 को याद करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो कहता है: "इटली लोगों की स्वतंत्रता के खिलाफ अपराध के साधन के रूप में और अंतरराष्ट्रीय विवादों को हल करने के माध्यम के रूप में युद्ध को अस्वीकार करता है।"। संत पापा ने कहा, “इस अनुच्छेद को याद रखें!”
उन्होंने कहा, “इस सिद्धांत को पूरी दुनिया में लागू किया जाए: युद्ध पर प्रतिबंध लगाया जाए और मुद्दों को कानून और बातचीत के माध्यम से हल किया जाए। हथियारों को खामोश कर दिया जाए और बातचीत को जगह दी जाए। हम पीड़ित यूक्रेन, फ़िलिस्तीन, इज़राइल, म्यांमार, दक्षिण सूडान के लिए प्रार्थना करते हैं।”
पोप ने वालेंसिया में प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों की याद कर कहा, “हम वालेंसिया और स्पेन के अन्य समुदायों के लिए प्रार्थना कर रहे हैं, जो इन दिनों बहुत कष्ट झेल रहे हैं।” उन्होंने लोगों को उनकी मदद करने हेतु प्रेरित करते हुए कहा, “मैं वालेंसिया के लोगों के लिए क्या करूँ? क्या मैं कुछ दान करूं? इस प्रश्न पर विचार करें।”
और अंत में अपने लिए प्रार्थना का आग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।