देवदूत प्रार्थना में पोप : ईश्वर की आवाज सुनते हुए चालीसा की यात्रा करें

चालीसा काल के पहले रविवार को पोप फ्राँसिस हमें निमंत्रण देते हैं कि हम अपने आंतरिक संघर्ष का सामना करें एवं अपने हृदय में ईश्वर की आवाज सुन सकें।

वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 18 फरवरी को पोप फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित किया।

पोप ने कहा, “आज, चालीसा का पहला रविवार, सुसमाचार पाठ हमें निर्जन प्रदेश में येसु की परीक्षा के बारे में बताता है। (मार. 1,12-15) पाठ कहता है कि वे चालीस दिनों तक निर्जन प्रदेश में रहे और शैतान ने उनकी परीक्षा ली। संत पापा ने कहा, “हमें भी चालीसा काल में “निर्जन प्रदेश में" अर्थात् मौन में, आंतरिक दुनिया में, दिल की बात सुनने, सच्चाई के संपर्क में आने का निमंत्रण दिया जाता है।

निर्जन प्रदेश में येसु “बनैले पशुओं के साथ रहे; और स्वर्गदूतों ने उनकी सेवा परिचर्या की।”(13) वे जंगली जानवर और स्वर्गदूतों की संगति में थे। लेकिन, प्रतीकात्मक रूप से, हमारे साथ भी होता है: वास्तव में, जब हम आंतरिक जंगलीपन में प्रवेश करते हैं, तो हम वहां जंगली जानवरों और स्वर्गदूतों को पा सकते हैं।

पोप ने कहा, “जंगली जानवर, किस अर्थ में? उन्होंने कहा, “आध्यात्मिक जीवन में हम उन्हें अव्यवस्थित जुनून कह सकते हैं जो हमारे हृदय को विभाजित करते हैं, उस पर कब्ज़ा करने की कोशिश करते हैं। वे हमें लुभाते, आकर्षक लगते हैं, लेकिन अगर हम सावधान नहीं हैं, तो हम उनसे टूट जाने का जोखिम उठाते हैं। हम आत्मा के इन "जानवरों" को ये नाम दे सकते हैं: बुराइयाँ, धन की लालसा, जो हमें उपेक्षा और असंतोष में कैद करती हैं, व्यर्थ आनंद, जो हमें बेचैनी और अकेलेपन की ओर ले जाती है, और प्रसिद्धि की लालसा, जो असुरक्षा और पुष्टि एवं प्रमुखता की निरंतर आवश्यकता को जन्म देती है। वे "जंगली" जानवर हैं, इस तरह उन्हें वश में किया जाना चाहिए और उनसे लड़ना चाहिए; अन्यथा, वे हमारी आज़ादी छीन लेंगे। हमें उनकी उपस्थिति के प्रति सजग होने और उनका सामना करने के लिए एकांत में जाने की जरूरत है। और चालीसा काल ऐसा करने का समय है।

पोप ने स्वर्गदूतों के बारे बतलाते हुए कहा, “और निर्जन प्रदेश में स्वर्गदूत भी थे। वे  ईश्वर के संदेशवाहक हैं, जो हमारी मदद करते हैं, जो हमारा भला काम करते हैं: वास्तव में, उनकी विशेषता, सुसमाचार के अनुसार, सेवा है (13): स्वामित्व के बिल्कुल विपरीत। स्वर्गदूत,पवित्र आत्मा द्वारा सुझाए गए अच्छे विचारों और भावनाओं को याद दिलाते हैं। जब प्रलोभन हमें तोड़ते हैं, ईश्वरीय प्रेरणाएँ हमें सद्भाव में एकजुट करती हैं: वे दिल को संतुष्ट करती हैं, ख्रीस्त का स्वाद, "स्वर्ग का स्वाद" भरती हैं। ईश्वर की प्रेरणा और आत्मा को समझने के लिए, व्यक्ति को मौन में प्रवेश करना चाहिए और चालीसा काल ऐसा करने का समय है।

पोप ने कहा, “हम अपने आप से पूछें : पहला, वे कौन से अव्यवस्थित जुनून, "जंगली जानवर" हैं जो मेरे दिल में हलचल मचाते हैं?

दूसरा, क्या मैं ईश्वर की आवाज को मेरे दिल में बोलने और उसकी रक्षा करने देने के लिए, कुछ समय "निर्जन प्रदेश" में जाने की सोच रहा हूँ? मैं इसके लिए कुछ जगह बनाने पर विचार कर रहा हूँ?

कुँवारी मरियम, जिन्होंने वचन का पालन किया और खुद को दुष्ट के प्रलोभनों में पड़ने नहीं दिया, चालीसा काल की यात्रा में हमारी मदद करें।

इतना कहने के बाद पोप ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।