जयंती में पोप का सपना: हथियारों को शांत करना, मृत्युदंड और गरीबों के लिए ऋण माफ करना

पोप फ्राँसिस ने 9 मई को जयन्ती वर्ष 2025 के लिए अपने घोषणा पत्र "स्पेस नोन कोनफुंदित" जारी की। जिसमें उन्होंने कैदियों, आप्रवासियों, बीमारों, बुजुर्गों और ड्रग एवं अपराधों के शिकार युवाओं के लिए अपील की है। पोप ने जेल में एक पवित्र द्वार खोलने की घोषणा की; गरीब देशों के लिए ऋण की माफी, उच्च जन्म दर, आप्रवासियों के लिए स्वागत और सृष्टि के सम्मान, भुखमरी खत्म करने के लिए कोष के निर्माण की आशा और चिरस्थायी शांति के लिए कूटनीतिक प्रतिबद्धता की मांग की।

पोप फ्राँसिस आशा का आह्वान करते हैं जो जुबली वर्ष 2025 में, एक ऐसी दुनिया के लिए एक उपहार है जो हथियारों के शोर से, मृत्यु से, विनाश से, दूसरों के प्रति घृणा से, भूख से, "पारिस्थितिक ऋण" से, कम जन्म दर से चिह्नित है। आशा वह मरहम है जिसे पोप फ्रांसिस "हिंसा की क्रूरता" या बढ़ती गरीबी के कारण पीड़ित मानवता के घावों पर लगाना चाहते हैं। “स्पेस नॉन कोनफुनदित”, “आशा जो निराश नहीं करती”, जयन्ती वर्ष 2025 के लिए पोप के घोषणापत्र का शीर्षक है जिसको उन्होंने 9 मई को प्रभु के स्वर्गारोहण महापर्व के अवसर पर संध्या वंदना के पहले प्रस्तुत किया। 25 बिंदुओं में विभाजित आदेश पत्र (पेपल बुल) में कैदियों, बीमारों, बुजुर्गों, गरीबों, युवाओं के लिए दलीलें, प्रस्ताव, अपीलें शामिल हैं और यह एक पवित्र वर्ष की खबर की घोषणा करता है जिसकी विषयवस्तु होगी, "आशा के तीर्थयात्री।"

पास्का के लिए एक आम तिथि
आदेशपत्र में पोप फ्रांसिस ने दो महत्वपूर्ण वर्षगाँठों की याद की है : मुक्ति के दो हजार वर्षों का 2033 में उत्सव और निचेया की पहली महान विश्वव्यापी परिषद के 1700 वर्ष, जिसमें अन्य विषयों के अलावा, पास्का की तिथि पर भी चर्चा की गई थी। आज भी, "अलग-अलग स्थितियाँ" "विश्वास की स्थापना की घटना" को एक ही दिन मनाए जाने से रोकती है, हालांकि याद करती है कि "संभावित परिस्थिति के कारण, यह ठीक वर्ष 2025 में होगा।"(17) यह पूर्व और पश्चिम के सभी ईसाइयों के लिए पास्का की एक समान तिथि के आसपास एकता की दिशा में एक निर्णायक कदम उठाने का आह्वान है।

पवित्र द्वार का उद्घाटन
इन "महान चरणों" के बीच, पोप ने स्थापित किया कि संत पेत्रुस महागिरजाघर का पवित्र द्वार 24 दिसंबर 2024 को खोला जाएगा। उसके बाद रविवार, 29 दिसंबर को, लातेरन महागिरजाघर का पवित्र द्वार; 1 जनवरी 2025 को, ईश माता मरियम के पर्व के दिन, संत मरिया मेजर महागिरजाघर; और 5 जनवरी 2025 को संत पौल महागिरजाघर के पवित्र द्वारों को खोला जाएगा। तीनों दरवाजे उसी वर्ष रविवार 28 दिसंबर तक बंद कर दिए जाएंगे। जयंती 6 जनवरी 2026 को संत पेत्रुस महागिरजाघर के पवित्र द्वार बंद होने के साथ समाप्त होगी।(6)

समय के चिन्ह
पोप फ्राँसिस की आशा है कि जयंती में "आशा का पहला चिन्ह" दुनिया में शांति स्थापित होना, जो इस समय खुद को युद्ध की त्रासदी में डूबा हुआ पाती है।

अतीत की त्रासदियों को भूलकर, मानवता एक नई और कठिन परीक्षा से गुजर रही है, जिसमें कई लोग हिंसा की क्रूरता से पीड़ित है। इन लोगों के लिए अभी भी क्या रह गया है जिसको उन्होंने नहीं झेला है? यह कैसे संभव है कि मदद के लिए उनकी हताश पुकार राष्ट्रों के नेताओं को वैश्विक स्तर पर उत्पन्न होनेवाले परिणामों के बारे में जानते हुए भी कई क्षेत्रीय संघर्षों को समाप्त करने के लिए प्रेरित नहीं करती है? क्या यह सपना देखना अतिश्योक्ति है कि हथियार शांत हो जायेंगे और विनाश एवं मौत लाना बंद कर देंगे? (8)

जन्म दर के लिए अपील
पोप फ्राँसिस विभिन्न देशों में दर्ज की गई "जन्म दर में कमी" को चिंता के साथ देखते हैं और विभिन्न कारणों से: "जीवन की उन्मादी गति", "भविष्य के बारे में भय", "नौकरी की गारंटी और सामाजिक सुरक्षा की कमी", "सामाजिक मॉडल" "जिसमें रिश्तों की नहीं बल्कि लाभ की तलाश प्रबल होती है।"

पोप के अनुसार, युवाओं में बच्चे पैदा करने की "इच्छा" के लिए विश्वासियों और नागरिक समाज से "दृढ़ समर्थन" की "तत्काल" आवश्यकता है, ताकि भविष्य में "अधिक लड़के और लड़कियों की मुस्कुराहट दिख सके" जो अब बहुत सारे खाली पालने भरने आते हैं।"(9)

कैदियों के लिए सम्मान, गरिमापूर्ण स्थितियाँ, मृत्युदंड की समाप्ति
इसके बाद फ्राँसिस उनसे कैदियों के लिए "आशा के ठोस चिन्ह" देने का आग्रह करते हैं। सरकारों से "सजा माफी या सजा माफी के रूपों" के साथ-साथ "समुदाय में पुन: एकीकरण के लिए मार्ग" का प्रस्ताव रखते हैं। सबसे बढ़कर, वे "कैदियों के लिए सम्मानजनक स्थिति, मानवाधिकारों के प्रति सम्मान" और "मृत्युदंड के उन्मूलन" की आशा करते हैं। (10) कैदियों को निकटता का एक ठोस चिन्ह देने के लिए, पोप जेल में भी एक पवित्र द्वार खोलेंगे।

बीमारों के लिए आशा और युवाओं के लिए उत्साह: "हम उन्हें निराश नहीं कर सकते।"

घर पर या अस्पताल में बीमारों को भी आशा के चिन्ह दिए जाने चाहिए: "उनके लिए उपचार मानवीय गरिमा का भजन है।" (11) युवा जो अक्सर "अपने सपनों को टूटते" देखते हैं, उन्हें भी आशा की आवश्यकता है।

नशीली प्रदार्थों (ड्रग) का भ्रम, अपराध का खतरा और क्षणभंगुर चीजों की खोज, दूसरों की तुलना में अधिक भ्रम पैदा करती है और जीवन की सुंदरता और अर्थ को छुपाती है, उन्हें अंधेरी खाई में धकेल देती है और उन्हें आत्म-विनाशकारी इशारों को अंजाम देने के लिए प्रेरित करती है। (12)

फ्रांसिस कहते हैं, ''हम उन्हें निराश नहीं कर सकते।''

आप्रवासियों के खिलाफ पूर्वाग्रहों और बंदिशों को नहीं
पोप फिर आग्रह करते हैं आप्रवासियों की उम्मीदें "पूर्वाग्रहों और बंदियों से निराश न हों।"