चेक काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के तीर्थयात्री धर्माध्यक्षों को पोप का संदेश

पोप फ्राँसिस ने जयन्ती तीर्थयात्रा में भाग लेने रोम आये चेक गणराज्य के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के धर्माध्यक्षों को अपना संदेश दिया जो 28 से 30 मार्च तक रोम में हैं।
चेक गणराज्य के धर्माध्यक्षों के साथ करीब 2000 पुरोहित, धर्मबहनें और विश्वासी रोम में हैं।
तीर्थयात्री 29 मार्च को दोपहर 3 बजे संत पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तायग में भाग लेंगे, जिसका अनुष्ठान संत पापा फ्राँसिस की ओर से चेक कार्डिनल माइकेल चरणी करेंगे।
ईश्वर अपनी प्रतिज्ञा के प्रति सदा निष्ठावान रहते हैं
पोप ने उन्हें अपने संदेश में कहा, “मैं विश्वास और एकजुटता के इस क्षण को साझा करने के लिए व्यक्तिगत रूप से आपके साथ रहना चाहता था, लेकिन, अपने स्वास्थ्य के कारण, मैं आध्यात्मिक रूप से आपके साथ जुड़ा हूँ, और आपकी प्रार्थनाओं के लिए तहे दिल से धन्यवाद देता हूँ।”
पोप ने जयन्ती वर्ष में राष्ट्रीय तीर्थयात्रा में भाग ले रहे चेक गणराज्य की कलीसिया का अभिवादन करते हुए कहा, “आपकी यात्रा, आपके विश्वास को नवीनीकृत करने, संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी के साथ अपने संबंध को पुष्ट करने तथा प्रभु के प्रति अपने समर्पण को सहर्ष व्यक्त करने की इच्छा का ठोस चिन्ह है, जो सदैव हमारे साथ चलते हैं, कठिनाइयों में हमारा साथ देते तथा हमें अपनी शांति और प्रेम का साक्ष्य देने के लिए बुलाते हैं।”
पोप ने कहा, “वे अपनी प्रतिज्ञा के प्रति निष्ठावान हैं इसलिए आशा कभी निराश नहीं करती।” (रोम 5:5)
संतों के उदाहरण
देश में कलीसिया के गौरवशाली इतिहास की याद करते हुए पोप ने कहा, “आपके विश्वास की यात्रा आपके देश की समृद्ध ख्रीस्तीय परंपरा का हिस्सा है, जो संत एडलबर्ट, संत सिरिल और मेथोडियस तथा कई अन्य लोगों की गवाही से आलोकित है। उनका उदाहरण हमें सिखाता है कि ख्रीस्तीय मिशन दृश्यमान परिणामों पर नहीं बल्कि ईश्वर के प्रति वफादारी पर आधारित है। हमें भी कठिनाइयों और बाधाओं से डरे बिना, आत्मविश्वास के साथ सुसमाचार का प्रचार करने के लिए बुलाया गया है। संत पॉल हमें याद दिलाते हैं: "मैंने पौधा रोपा, अपोल्लोस ने उसे सींचा, किन्तु ईश्वर ने उसे बड़ा किया।" (1 कोर. 3:6)
धर्माध्यक्षों का कार्य
पोप ने धर्माध्यक्षों से कहा, “हमारा काम है निराश हुए बिना प्यार एवं दृढ़ता से बोना और सींचना। ईश्वर हमसे कहते हैं कि हम जो हैं और जो हमारे पास है, उसे अर्पित करें। आइए, हम उन पाँच रोटियों और दो मछलियों के बारे में सोचें : येसु के हाथों में वे (रोटियाँ और मछलियाँ) बहुत से लोगों को तृप्ति करने लायक हो गईं।(मती. 14:13-21) ठीक वैसा ही हमारे विश्वास के समर्पण में होता है। अगर हम इसे उदार हृदय से प्रभु को सौंपते हैं, तो वे इसे कई गुना बढ़ा देंगे और यह इतना फल देगा जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। इस कारण से, हमें कभी भी विश्वास नहीं खोना चाहिए। ईश्वर तब भी काम करते हैं जब हम उसका प्रभाव तुरन्त नहीं देख पाते।
पोप ने कहा कि उनके इतिहास के संत हमें सीख देते हैं कि हम विश्वास में धीर बने रहें। “नेपोमुक के जॉन और आपके देश के विश्वास के कई अन्य गवाह जिनका जीवन हमें दिखाता है कि जो लोग ईश्वर पर भरोसा करते हैं, उन्हें कभी नहीं त्यागा जाता, यहाँ तक कि परीक्षण और अत्याचार के समय में भी।
विश्व में शांति और आशा के साक्षी बनें
पोप ने चेक गणराज्य के सभी धर्माध्यक्षों और विश्वासियों को एक साथ आगे बढ़ने का प्रोत्साहन देते हुए कहा, “आइए हम सब मिलकर, चरवाहे और प्रजा, विश्वास के इस खूबसूरत रास्ते पर चलें। आइए, हम एक-दूसरे का समर्थन करें और अपने जीवन से, एक ऐसे विश्व में शांति और आशा के साक्षी बनें, जिसे इसकी बहुत जरूरत है, यूरोप में भी। हमारा विश्वास सिर्फ हमारे लिए नहीं है, बल्कि यह एक उपहार है जिसे खुशी के साथ बाँटा जाना चाहिए।”
अंत में पोप ने उनकी तीर्थयात्रा को आशा की माता मरियम के सिपूर्द किया, ताकि वे विश्वास, आशा और उदारता में मजबूत हो सकें। उन्होंने उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया तथा अपने लिए प्रार्थना का आग्रह किया।