धन का सदुपयोग / फ़रीसियों का लोभ
सन्त लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार
16:9-15
"और मैं तुम लोगों से कहता हूँ, झूठे धन से अपने लिए मित्र बना लो, जिससे उसके समाप्त हो जाने पर वे परलोक में तुम्हारा स्वागत करें।
"जो छोटी-से-छोटी बातों में ईमानदार है, वह बड़ी बातों में भी ईमानदार है और जो छोटी-से-छोटी बातों बेईमान है, वह बड़ी बातों में भी बेईमान है।
यदि तुम झूठे धन में ईमानदार नहीं ठहरे, तो तुम्हें सच्चा धन कौन सौंपेगा?
और यदि तुम पराये धन में ईमानदार नहीं ठहरे, तो तुम्हें तुम्हारा अपना धन कौन देगा?
"क़ोई भी सेवक दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता; क्योंकि वह या तो एक से बैर और दूसरे से प्रेम करेगा, या एक का आदर और दूसरे का तिरस्कार करेगा। तुम ईश्वर और धन-दोनों क़ी सेवा नहीं कर सकते।"
फ़रीसी, जो लोभी थे, ये बातें सुन कर ईसा की हँसी उड़ाते थे।
इस पर ईसा ने उन से कहा, "तुम लोग मनुष्यों के सामने तो धर्मी होने का ढोंग रचते हो, परन्तु ईश्वर तुम्हारा हृदय जानता है। जो बात मनुष्यों की दृष्टि में महत्व रखती है, वह ईश्वर की दृष्टि में घृणित है।