8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, दुनिया भर में संगठन, महिलाओं और लड़कियों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए पहल करके इस दिवस को मना रहे हैं।
भारत एक सांस्कृतिक व आध्यात्मिक राष्ट्र है और भारतीय संस्कृति में धर्म अर्थात प्रत्येक जीव का पारस्परिक दायित्व। भारत स्त्री-पुरुष की अवधारणा नहीं रखता।
पिछले कुछ सालों से समाज में एक नया चलन शुरू हुआ है, बच्चो को दूसरो की मदद से बड़ा करने का चलन, जिसके अंतर्गत मां बाप बच्चा होने के साथ ही उसको पालने वाली एक सहायिका (बच्चा संभालने वाली) को भी अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण
फैमिली ग्लोबल कॉम्पैक्ट की शुरुआत के लिए एक संदेश: पोप फ्राँसिस परिवार के रिश्तों पर अध्ययन और प्रेरितिक कार्यों के बीच तालमेल की उम्मीद करते हुए उस अपूरणीय संपत्ति को बढ़ावा देने के लिए लिखते हैं जिसका परिवार आज भी संकट के सामाजिक संदर्भ में प्रतिनिधित्व करता है।
पोप फ्राँसिस ने काथलिक महिला संगठनों के विश्व संघ के साथ मुलाकात की और महिलाओं को संबंध बनाने की उनकी क्षमता के माध्यम से शांति पाने में दूसरों की मदद करने के लिए प्रोत्साहित किया।
अदृश्य महिलाओं को दृश्यमान बनाते हुए, 30 मिनट की डॉक्यूमेंट्री फिल्म इन-विज़िबल्स का प्रीमियर शनिवार, 13 मई को रोम में काथलिक महिला संगठनों की महासभा के विश्व संघ के दौरान होगा।
इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से एक सप्ताह पहले, असम में दिफू के धर्माध्यक्ष पॉल माटेककट ने अपने सभी पुरोहितों और धर्मगुरुओं को एक पत्र भेजा, जिसमें उनके धर्मप्रांत में काम करने वाली महिला धार्मिकों के वेतन में संशोधन किया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर पोप फ्राँसिस ने महिलाओं की रचनात्मक दृष्टि और कोमल हृदय एवं एक अधिक मानवीय समाज के निर्माण की उनकी प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद दिया।