नारी आवाज़ आम भलाई के निर्माण में देती है योगदान
वाटिकन स्थित जीवन सम्बन्धी परमधर्मपीठीय अकादमी द्वारा "सामान्य भलाई: सिद्धांत और व्यवहार" विषय पर आयोजित विचारगोष्ठी में भाग लेने वालों को पोप फ्रांसिस ने एक पत्र लिखकर कहा कि सामान्य भलाई काथलिक सामाजिक शिक्षा की आधारशिला है, और इसलिए जीवन के मुद्दों को हमेशा ध्यान में रखा जाये।
14 नवम्बवर को वाटिकन में आयोजित उक्त विचारगोष्ठी के प्रतिभागियों को लिखे पत्र में पोप फ्रांसिस ने इस तथ्य पर बल दिया कि "सामान्य भलाई को याद रखना अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जो कि काथलिक कलीसिया की सामाजिक शिक्षा का एक आधार है।"
जीवन सम्बन्धी परमधर्मपीठीय अकादमी के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष विन्चेन्सो पालिया ने पोप फ्रांसिस का सन्देश पढ़कर विचारगोष्ठी का शुभारम्भ किया। इटली, ग्रेट ब्रिटेन तथा बारबाडेस सहित कई अन्य देशों के वैज्ञानिकों ने उक्त विचार गोष्ठी में भाग लिया।
सामान्य भलाई को ध्यान में रखें
विचारगोष्ठी में इस बात पर मनन किया गया कि किस प्रकार सार्वजनिक हित का नवीन अर्थशास्त्र, स्वास्थ्य, पर्यावरण, जैव विविधता, जलवायु, जल तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता के भविष्य से संबंधित हमारी आर्थिक और सामाजिक समस्याओं के लिए तत्काल सुनियोजित कार्रवाई करने में मदद कर सकता है।
पोप ने अपने पत्र में लिखा कि सामान्य भलाई के विषय पर विचारों की विस्तृत श्रृंखला के बीच, वे इस विचारगोष्ठी को कम से कम दो कारणों से विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानते हैं। सर्वप्रथम यह कि यह जीवन सम्बन्धी परमधर्मपीठीय अकादमी के तत्वाधान में हो रही है। उन्होंने कहा, "यदि हम वास्तव में हर संदर्भ और स्थिति में मानव जीवन की सुरक्षा करना चाहते हैं, तो हम जीवन के विषयों को, यहां तक कि जैव-नैतिक बहसों में अधिक शास्त्रीय विषयों को भी, उन सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों में रखने की उपेक्षा नहीं कर सकते, जिनमें ये घटनाएं घटित होती हैं।"
चेतावनी देते हुए पोप ने कहा, "जीवन की रक्षा जो केवल कुछ पहलुओं या क्षणों तक सीमित है, और जो सभी अस्तित्वगत, सामाजिक और सांस्कृतिक आयामों पर समग्र रूप से विचार नहीं करती है, वह अप्रभावी होने का जोखिम उठाती है और एक वैचारिक दृष्टिकोण के प्रलोभन में पड़ सकती है, जहां वास्तविक लोगों की तुलना में अमूर्त सिद्धांतों का अधिक बचाव किया जाता है।"
इस दृष्टि से उन्होंने कहा कि सामान्य भलाई और न्याय की खोज प्रत्येक मानव जीवन की रक्षा के लिए केंद्रीय और आवश्यक पहलू हैं, विशेष रूप से सबसे नाजुक और रक्षाहीन, पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के संबंध में जिसमें हम रहते हैं।"
सामाजिक मानदण्ड और आवश्यकताएं
पोप फ्राँसिस ने कहा कि दूसरी बात जिसे वे प्रकाश में लाना चाहते थे वह यह कि उक्त कार्यक्रम में अलग-अलग जिम्मेदारियों और पृष्ठभूमि वाली महिलाएं उपस्थित थीं। सन्त पापा ने आग्रह किया, "हमें समाज और कलीसिया दोनों में महिलाओं की आवाज़ सुनने की ज़रूरत है। हमें मानवता के भविष्य पर एक व्यापक और बुद्धिमान प्रतिबिंब के विकास में सहयोग करने के लिए ज्ञान के विभिन्न रूपों की आवश्यकता है।"
साथ ही, उन्होंने कहा, "हमें दुनिया की सभी संस्कृतियों के वास्तविक योगदान की आवश्यकता है, जिससे उन्हें अपनी ज़रूरतों और संसाधनों को व्यक्त करने की अनुमति मिले।" उन्होंने सुझाव दिया कि केवल इस तरह से हम "एक उदारमना विश्व के बारे में सोच सकते तथा उसका निर्माण कर सकते हैं", जिसे, सन्त पापा ने याद किया, मानव बंधुत्व पर उनके विश्व पत्र फ्रातेल्ली तूती में प्रोत्साहित किया गया है।
कलीसिआई शिक्षा की आधार शिला
इसके अलावा, पोप फ्राँसिस ने याद दिलाया कि, आम भलाई, "सबसे बढ़कर," एक "अभ्यास है जो भाईचारे की स्वीकृति और सत्य एवं न्याय की साझा खोज से निर्मित होती है।" उन्होंने इस तथ्य पर दुख प्रकट किया कि "हमारे विश्व में इतने सारे संघर्ष और विभाजन हैं, जो अक्सर व्यक्तिगत हितों से परे देखने में असमर्थता का परिणाम होते हैं, इसीलिये "आम भलाई" को याद रखना अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जो कलीसिया की सामाजिक शिक्षा के आधारशिलाओं में से एक है।"