वेनिस की प्रेरितिक यात्रा में पोप की महिला कैदियों से मुलाकात
पोप फ्राँसिस ने रविवार 28 अप्रैल को इटली के वेनिस शहर में अपनी एक दिवसीय प्रेरितिक यात्रा सम्पन्न की। प्रेरितिक यात्रा की विषयवस्तु थी, “मसीह के प्रेम में एक बने रहें।"
पर्यटकों से भरे, पानी के ऊपर बने इटली के अति मनमोहक शहर वेनिस में पोप फ्राँसिस ने रविवार को अपनी एकदिवसीय प्रेरितिक यात्रा सम्पन्न की। 28 अप्रैल की इस यात्रा के लिए पोप फ्राँसिस सुबह 6.30 बजे वाटिकन से हेलीकॉप्टर द्वारा वेनिस पहुंचे। प्रेरितिक यात्रा का पहला पड़ाव था महिला प्रायश्चित्त केंद्र, वेनिस जुदेका महिला जेल।
पोप ने जुदेका कैदखाने में 80 से अधिक कैदियों, साथ ही जेल कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों और स्वयंसेवकों से मुलाकात की। उन्होंने उन सभी की बात ध्यान से सुनी और अपनी यात्रा में उनकी चिंता के लिए धन्यवाद दिया।
पोप ने महिला कैदियों एवं जेल के सभी कर्मचारियों को सम्बोधित कर कहा, मैं आप सभी का, विशेष रूप से जुदेका महिला जेल में बंद, आप बहनों का स्नेहपूर्वक अभिवादन करता हूँ। मैं अपनी वेनिस यात्रा की शुरुआत में आपसे मिलकर यह बताना चाहता हूँ कि मेरे दिल में आपके लिए एक विशेष स्थान है।
इसलिए, मैं चाहता हूँ कि हम इस क्षण को पोप की "आधिकारिक यात्रा" के रूप में नहीं, बल्कि एक मुलाकात के रूप में अनुभव करें, जिससे ईश्वर को धन्यवाद देना, एक-दूसरे को समय देना, प्रार्थना करना, निकटता और भाईचारापूर्ण स्नेह महसूस करना संभव हो सके। आज हम सभी इस प्रांगण को और अधिक समृद्ध बनाकर छोड़ेंगे, और जो अच्छाई हम एक दूसरे को आदान-प्रदान करेंगे वह बहुमूल्य होगा।
संत पापा ने कहा, “प्रभु चाहते हैं कि हम इस समय को एक साथ बितायें, अलग-अलग रास्तों से आते हुए, कुछ दर्दनाक, कुछ गलतियों के कारण भी, जिसके लिए, विभिन्न तरीकों से, हरेक व्यक्ति घाव और निशान सहन कर रहा है। और ईश्वर हमें एक साथ चाहते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि हम में से प्रत्येक के पास, यहाँ, आज, देने और प्राप्त करने के लिए कुछ अनोखी चीज है, और हम सभी को इसकी जरूरत है।”
जेल एक कड़वी सच्चाई है, और जहाँ भीड़भाड़, सुविधाओं और संसाधनों की कमी एवं हिंसा की घटनाएँ जैसी समस्याएँ बहुत अधिक पीड़ा को जन्म देती हैं। लेकिन यह नैतिक और भौतिक पुनर्जन्म का स्थान भी बन सकता है जहाँ महिलाओं और पुरुषों की गरिमा को "अलग-थलग" नहीं किया जाता, बल्कि पारस्परिक सम्मान और प्रतिभाओं एवं क्षमताओं के पोषण के माध्यम से बढ़ावा दिया जाता है, जो शायद निष्क्रिय या बंद पड़े हैं, लेकिन सभी की भलाई के लिए यह फिर से उभर सकता है।
संत पापा ने कहा, “अतः विरोधाभास रूप में, जेल में रहना कोई नई शुरूआत हो सकती है, एक- दूसरे में संदेहरहित सुंदरता की पुनः खोज के माध्यम से, जैसा कि आप इस कलात्मक कार्यक्रम की मेजबानी कर रहे हैं और जिस परियोजना में आर सक्रिय सहयोग देते हैं। यह पुनर्निर्माण के लिए एक निर्माण स्थल बन सकता है, जिसमें साहसपूर्वक अपने जीवन को देखना और उसका मूल्यांकन करना है, जो आवश्यक नहीं है, जो अव्यवस्थित, हानिकारक या खतरनाक है उसे हटाना, एक योजना बनाना और फिर नींव खोदकर, फिर से शुरू करना और वापस जाना, अनुभव के प्रकाश में, ईंट पर ईंट रखने के लिए, एक साथ, दृढ़ संकल्प के साथ।”
संत पापा ने जेल प्रबंधकों से कहा, “इसलिए जेल प्रणाली के लिए भी यह मौलिक है कि वह बंदियों को मानवीय, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और व्यावसायिक विकास के लिए उपकरण और स्थान प्रदान करे, जिससे उनके स्वस्थ पुनर्एकीकरण के लिए परिस्थितियाँ तैयार हों, "गरिमा को अलग करने" के लिए नहीं, बल्कि नई संभावनाएँ देने के लिए!”
संत पापा ने कहा, “आइये, हम न भूलें कि हम सभी ने गलतियाँ की हैं जिसके लिए क्षमा पाना है और हम सभी के घाव हैं जिनको चंगा किया जाना है ताकि हम सभी चंगे होकर दूसरों के लिए चंगाई लानेवाले बन सकें। क्षमा प्राप्त कर दूसरों के लिए माफी ला सकें, नया जन्म पाकर दूसरों के लिए भी नया जीवन ला सकें।”
पोप ने आशा बनाये रखने का प्रोत्साहन देते हुए कहा, “आइए, आज हम और आप मिलकर भविष्य में अपने विश्वास को नवीनीकृत करें। हम प्रत्येक दिन की शुरुआत यह कहकर करें, "अभी उपयुक्त समय है", "आज कल्याण का दिन है।" (2 कोर 6:2)
अपने संदेश के अंत में, उन्होंने सभी महिला कैदियों एवं जेल प्रबंधकों को मुलाकात के लिए धन्यवाद दिया एवं अपनी प्रार्थनाओं का आश्वासन देते हुए अपने लिए प्रार्थना का आग्रह किया।
प्रस्थान करने से पहले, पोप ने कैदियों को माता मरियम और बालक येसु की एक प्रतीक भेंट की और बताया कि वे इसमें एक माँ की कोमलता देख सकते हैं, "यही कोमलता माता मरियम हम सभी के साथ रखती हैं, क्योंकि वे कोमलता की जननी हैं।"
अंत में, कैदियों ने पोप से हाथ मिलाया एवं यात्रा के लिए अपना आभार प्रकट किया। उन्होंने पोप को साबुन, कपड़े और फूलों से लेकर विभिन्न प्रकार की सामग्री बनानेवाली जेल संचालित सहकारी समितियों में काम करने के अपने प्रयासों का फल भेंट किया।