यूक्रेन में स्कूली शिक्षा बाधित होने से बच्चों में अस्थिरता

वाटिकन न्यूज़ से बातचीत में शिक्षा के प्रति समर्पित सर्वाधिक विशाल वैश्विक निधि - ग्लोबल पार्टनरशिप फॉर एजुकेशन की महानिदेशक लौरा फ्रिजेंती ने यूक्रेन में युद्ध के कारण बच्चों की शिक्षा पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में बात की।
यूक्रेनी शिक्षा एवं विज्ञान मंत्रालय का हवाला देते हुए लौरा फ्रिजेंती ने बताया कि लगातार पाँच वर्षों से, यूक्रेन में बच्चों को किसी भी प्रकार की "सामान्य" स्कूली शिक्षा नहीं मिल पाई है। कोविड-19 से लेकर देश में चल रहे युद्ध तक यूक्रेन में लगभग 46 लाख बच्चे शिक्षा में बाधाओं का सामना कर रहे हैं और उनमें से 20 लाख बच्चों के स्कूल बंद हो गए हैं।
केवल शारीरिक क्षति नहीं
फ्रिजेंती ने इस बात पर ज़ोर दिया कि शिक्षा व्यवस्था पर युद्ध के परिणामस्वरूप "आधा बुनियादी ढाँचा नष्ट हो गया, और इसलिए बच्चों को स्कूल जाना बंद करना पड़ा और दूरस्थ शिक्षा शुरू करनी पड़ी है।"
बाल अधिकारों के लिए काम करने वाली गैर-सरकारी संस्था प्लान इंटरनेशनल ने बताया कि 2022 से अब तक यूक्रेन के लगभग 30% शैक्षणिक भवन क्षतिग्रस्त हो चुके हैं और 365 से ज़्यादा स्कूल पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं। ऑनलाइन शिक्षा के बावजूद, बच्चों के लिए निरंतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करना मुश्किल बना हुआ है क्योंकि बिजली की कटौती और सीमित इंटरनेट पहुँच बाधाएँ पैदा करती है।
फ्रिजेंती कहती हैं कि शिक्षा पर युद्ध के इस शारीरिक परिणाम ने "कई बच्चों में भावनात्मक अस्थिरता भी पैदा की है, जो उन्हें उन उद्देश्यों को पूरी तरह से प्राप्त करने से रोकती है जिन्हें वे सामान्य परिस्थितियों में प्राप्त कर सकते थे।"
उन्होंने बताया कि इसके परिणामस्वरूप बच्चों को "अपने जीवन में आ रहे संकट की भरपाई करने के लिए" मनो-भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता होती है। अस्तु, फ्रिजेंती ने कहा कि जब भी संभव हो, वे बच्चों को एक-दूसरे के बारे में जानने और उनके सामाजिक कौशल को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए उन्हें शारीरिक रूप से एक साथ लाने की कोशिश करते हैं। हालाँकि, बम विस्फोटों के कारण ऐसा हमेशा संभव नहीं होता है।
यूक्रेन का भविष्य
यूक्रेन की स्थिति के मद्देनज़र, यूक्रेनी सरकार ने शिक्षा क्षेत्र के लिए एक विकास रणनीति बनाई है जो पुनर्निर्माण और देश के भविष्य पर केंद्रित है। फ्रिजेंती ने बताया कि सरकार देश को "विकास की राह पर यूरोप में पूरी तरह से एकीकृत" करना चाहती है। उन्होंने तर्क दिया कि ऐसा करने के लिए उनका ध्यान मानव पूंजी का विकास करने और “उनके लिए सही कौशल को बढ़ावा देने पर है ताकि वे यूरोप में अपनी भूमिका निभाने में सक्षम बन सकें।”