यूक्रेन में कार्डिनल परोलिन : ‘ईश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं है
वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन अपनी यूक्रेन यात्रा में, पोप फ्राँसिस की निकटता के संदेश लेकर आए और पुष्टि दी कि भले ही हम आशा खो दें, ईश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
हमारी आशाएँ कम हो सकती हैं, लेकिन ईश्वर के लिए सब कुछ संभव है जो हमसे और हमारी क्षमताओं से महान हैं...। कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने ये दिलासा भरे शब्द रविवार, 21 जुलाई को यूक्रेनी ग्रीक काथलिक कलीसिया के प्रमुख, कीव-हेलिच के मेजर महाधर्माध्यक्ष, स्वियातोस्लाव शेवचुक से मुलाकात के अंत में कही।
रूसी आक्रमण की शुरुआत के बाद से कार्डिनल की यह पूर्वी यूरोपीय देश की पहली यात्रा है।
वाटिकन राज्य सचिव ने मेजर महाधर्माध्यक्ष स्वियातोस्लाव शेवचुक को यूक्रेनी ग्रीक काथलिक कलीसिया के "पिता और प्रमुख" मेजर महाधर्माध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने और 2016 में पारोलिन की यात्रा के बाद से वहां हुई "महत्वपूर्ण प्रगति" के लिए अपना आभार व्यक्त किया।
विश्वास से एक साथ प्रार्थना करना
कार्डिनल परोलिन ने कहा, “निश्चय ही यूक्रेन की मेरी यात्रा का क्षण सुखद नहीं है, क्योंकि हम सभी स्थिति से अवगत हैं," लेकिन इसके बावजूद, यह "एक साथ प्रार्थना करने और आपके साथ प्रार्थना करने" की यात्रा है।
उन्होंने याद किया कि कलीसिया को "एक नबी की भूमिका" निभानी है, जो नबी एलियस के उदाहरण का अनुसरण करती है। उन्होंने कहा, “हमें शांति के लिए एक महान प्रार्थना का आह्वान करना चाहिए, जो इस विश्वास पर आधारित हो कि ईश्वर के लिए सब कुछ संभव है।"
“यद्यपि हमारी आशा सीमित एवं संकुचित हो, हम जानते हैं कि ईश्वर हमसे, हमारे हृदय एवं क्षमताओं से महान हैं...।
पोप का सामीप्य लेकर आये
इस सांत्वना के साथ जोर देते हुए कार्डिनल ने कहा, “मैंने पोप से जो संदेश लाया है वह सामीप्य का है।”
कार्डिनल ने याद करते हुए कहा कि पोप फ्राँसिस ने पिछले कई वर्षों से युद्धग्रस्त देश में व्याप्त पीड़ा को बार-बार याद किया है, जिसमें 21 जुलाई को संत पेत्रुस महागिरजाघर में देवदूत प्रार्थना के दौरान विश्वासियों को दिया गया संदेश भी शामिल है, "शुरू से ही पोप ने इस देश के लोगों के दर्द और पीड़ा में अत्यधिक निकटता और बड़ी सहभागिता दिखाई है।"
शांति की चाह और युद्ध का समाधान
कार्डिनल परोलिन ने गौर किया कि देश में उनकी भौतिक उपस्थिति, "पोप की उपस्थिति में एक 'जीवंत' पहलू जोड़ती है", जो "पीड़ा को साझा करती है", बल्कि, विशेष रूप से, "शांति के मार्ग खोलने में मदद करना चाहती है" और "इस युद्ध के समाधान की ओर अग्रसर होना चाहती है।"
कार्डिनल ने कहा, “मैं उम्मीद करता हूँ कि मेरी उपस्थिति इस अर्थ में एक छोटा सहयोग दे सकता है।”
कार्डिनल पारोलिन ने अपने भाषण का समापन करते हुए दोहराया कि वे वहाँ उपस्थित होकर और इस महत्वपूर्ण क्षण को एक साथ साझा करके "सचमुच प्रसन्न" हैं।
उन्होंने कहा, "मैं पोप से जो संदेश लेकर आया हूँ, वह निकटता का है।"