मरियम शांति का आदर्शः पवित्र भूमि के संरक्षक
धन्य कुँवारी मरियम के स्वर्गोत्थान महापर्व पर, पवित्र भूमि के संरक्षक फादर फ्राँचेस्को पैटन ने जैरूसालेम में जैतून पर्वत पर सामूहिक प्रार्थना का नेतृत्व करते हुए भक्त समुदाय से मध्य पूर्व में शांति का वरदान मांगने का आग्रह किया।
गुरुवार, 15 अगस्त को माता मरियम के स्वर्गोत्थान महापर्व पर, जैरूसालेम स्थित प्रभु येसु मसीह की प्राण पीड़ा को समर्पित काथलिक महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित कर फादर फ्राँन्चेस्को पैटन ने अपने प्रवचन विगत दस माहों से पवित्र भूमि में जारी युद्ध एवं दयनीय परिस्थितियों पर चिन्ता ज़ाहिर की तथा भक्त समुदाय का आह्वान किया कि वे शीघ्रातिशीघ्र युद्ध विराम एवं शांति वार्ताओं की बहाली के लिये प्रार्थना करें।
दुष्ट करते हैं विनाश
फादर पैटन ने बाईबिल धर्मग्रन्थ के प्रकाशना ग्रन्थ से लिए गए उस पाठ को याद किया जिसे कलीसिया प्रतिवर्ष मरियम के स्वर्गोत्थान महापर्व पर दुहराती है, और वह यह कि स्वर्ग में एक महिला का दर्शन जो रेगिस्तान में अपनी सन्तान को जन्म देने वाली है और उसके सामने एक पंखदार अजगर है, जो हिंसक और भयानक होने के बावजूद सीमित विनाशकारी शक्ति से संपन्न है और नवजात शिशु को निगलने के लिए तैयार है।
फादर पैटन ने स्वीकार किया इस पाठ की कई व्याख्याएँ हैं, तथापि उन्होंने कहा कि महिला कलीसिया का तथा पवित्र कुँवारी का भी प्रतीक है, जबकि ड्रैगन या पंखदार अजगर की आकृति में, हम "बुराई को उसके सभी आयामों में और उन सभी नामों के साथ देखते हैं जिनसे उसे पुकारा गया है।"
उन्होंने कहा कि बाईबिल धर्मग्रन्थ के प्रकाशना ग्रन्थ में निहित वृतान्त में संत योहन द्वारा वर्णित स्त्री और पंखदार अजगर के बीच संघर्ष को दर्शाया गया है, जो "ईश्वर द्वारा इच्छित नवीन विश्व के जन्म को विफल करने के लिए शैतान द्वारा किए गए सतत प्रयास" के अलावा और कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि ईश्वर द्वारा इच्छित नवीन विश्व में "एक ऐसी मानवता का जन्म है जो अब हिंसा, युद्ध, सांस्कृतिक उपनिवेशीकरण और लोगों के वस्तुकरण के अधीन नहीं है।"
हमारी अन्तिम नियति
पवित्र भूमि के संरक्षक ने आगे कहा कि मरियम के आत्मा और शरीर सहित स्वर्ग में उदग्रहण से हमें अपनी अंतिम नियति की झलक भी मिलती है, जो कि "संघर्षों से घसीटा जाना और अभिभूत होना" नहीं है, बल्कि, इसके विपरीत, उन्होंने कहा, "ईश्वर की ओर एवं नए जैरूसालेम की ओर ऊपर उठाया जाना है, जहाँ सभी लोगों, भाषाओं और संस्कृतियों के लिए जगह है।" उन्होंने कहा, "हमारा अंतिम भाग्य ईश्वर की ओर ऊपर उठाया जाना है..."
फादन पैटन ने कहा कि पवित्र कुँवारी मरियम "अनावश्यक बुराई, निर्दोष पीड़ा अथवा अन्यायपूर्ण मृत्यु के घोटाले से अभिभूत हुए बिना"ईश्वर की इच्छा के अनुकूल अपना जीवन यापन करती रहीं इसीलिये वे युगयुगान्तर तक हम मनुष्यों की आदर्श बन गई हैं ताकि हम भी झगड़ों और युद्धों में न पड़ते हुए शांतिपूर्ण जीवन यापन कर सकें।