भाईचारा को प्रोत्साहित करने हेतु पाँच धर्मों के प्रतिनिधि पेरिस में
पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए वाटिकन के प्रतिनिधि धर्माध्यक्ष इमानुएल गोबिलियार्ड ने वाटिकन न्यूज से बात करते हुए नोट्रे-डेम (हमारी माता मरियम) महागिरजाघर के बाहर रविवार को आयोजित अंतरधार्मिक समारोह के महत्व के बारे में बात की और सार्वभौमिक बंधुत्व के संदेश पर प्रकाश डाला।
1924 में पेरिस में आयोजित ओलंपिक खेलों के दौरान नोट्रे-डेम महागिरजाघर में एक असाधारण अंतरधार्मिक समारोह का आयोजन किया गया।
100 वर्ष बाद, 4 अगस्त को प्रसिद्ध पेरिस के महागिरजाघर के प्रांगण में एक और बहु-धार्मिक बैठक आयोजित की गई, जिसमें विश्व के सबसे महत्वपूर्ण खेल आयोजन में निहित भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित किया गया।
समारोह के प्रतिभागी
रविवार सुबह 10 बजे, दुनिया के पांच प्रमुख धर्मों के प्रतिनिधि पेरिस के सबसे प्रतिष्ठित प्रतीकों (नोट्रे-डेम महागिरजाघर) में से एक के बाहर एकत्र हुए, जो 15 अप्रैल, 2019 की विनाशकारी आग के बाद अभी भी पुनर्निर्माण के अधीन है, और इस साल दिसंबर में फिर से खोला जाएगा।
ओलंपिक गाँव अंतरधार्मिक केंद्र के लगभग सौ पुरोहितों के बीच, उन्होंने इस बारे में अपने विचार साझा किए कि खेल कैसे मानवता की सर्वश्रेष्ठता को सामने ला सकता है और दुनिया के लोगों की सेवा कर सकता है। पेरिस के सहायक धर्माध्यक्ष फिलिप मार्सेट, फ्रांस के प्रोटेस्टेंट फेडरेशन के अध्यक्ष माननीय क्रिश्चियन क्रिगर और राष्ट्रीय ऑर्थोडॉक्स अस्पताल चैपलिन माननीय अंतोन गलियासोव ने ख्रीस्तीय धर्म का प्रतिनिधित्व किया।
उनके साथ फ्रांस के मुख्य रब्बी हैम कोर्सिया, पेरिस के मस्जिदों के संघ के अध्यक्ष नजत बेनाली, फ्रांस के बौद्ध संघ के सह-अध्यक्ष लामा जिग्मे थ्रीनले ग्यात्सो और हिंदू समुदाय का प्रतिनिधित्व करनेवाले शैलेश भावसार भी शामिल हुए।
डिन्ये के धर्माध्यक्ष इमानुएल गोबिलियार्ड, जो 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए परमधर्मपीठ के विशेष दूत हैं, वाटिकन न्यूज के ज़ॉ-बेनोइट हारेल को बताया कि पेरिस का नोट्र-डम इस आयोजन के लिए खुला स्थल था क्योंकि यह ख्रीस्तीयों के लिए गहन धार्मिक महत्व का स्थान है, बल्कि यह "एक ऐसा स्थान है जो दुनिया भर के सभी लोगों से बात करता है।"
धार्मिक नेताओं ने प्रार्थना, उपदेश या पाठ के साथ खुलकर बातचीत की। धर्माध्यक्ष गोबिल्लियार्ड ने समारोह के दौरान मौन के क्षणों के प्रभाव पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, “मैं सोचता हूँ कि यह सार्वजनिक प्रार्थना को व्यक्त करने का एक बहुत सुन्दर तरीका है। यह आपको कुछ महत्वपूर्ण एवं सुन्दर बात करने के लए प्रेरित करता है।
"ईश्वर ने चमत्कार किया है"
आधुनिक ओलंपिक खेलों के प्रवर्तक बैरन पियेर दी कुबर्टिन के कहने पर 5 जुलाई, 1924 को आयोजित पहली अंतरधार्मिक बैठक में लगभग सभी एथलीट एकत्रित हुए थे।
धर्माध्यक्ष गोबिलियर्ड ने याद किया कि शुरू में पहल ने कुछ विवाद को जन्म दिया था। कुबर्टिन ने स्पष्ट किया कि समारोह में "न तो ख्रीस्तयाग, न ही आशीष, न ही वेदी पर पुरोहित, या काथलिक समारोह का कोई अन्य तत्व शामिल होगा, लेकिन सुंदर सेटिंग में सुंदर गीत और स्वागत के कुछ बहुत ही धर्मनिरपेक्ष शब्द के अलावा कुछ भी नहीं होगा।"
हालांकि, बाद में उस समय के प्रेस ने इस समारोह की सराहना की। फ्रांसीसी दैनिक पेरिस सोइर ने तो यहां तक कह दिया कि "ईश्वर ने प्रोटेस्टेंट, बौद्ध, यहूदी और ऑर्थोडॉक्स ख्रीस्तीयों को अपने पवित्र स्थान पर एक साथ लाकर चमत्कार किया है।"
भाईचारा की भावना
धर्माध्यक्ष गोबिलियर्ड ने कहा कि यह असाधारण घटना दर्शाती है कि एक सदी पहले ही, सभी धर्म अपना भाईचारा दिखाना चाहते थे, उन्होंने कहा कि यह ओलंपिक खेलों के दौरान हुआ था।
एकता की यह भावना ओलंपिक गांव में बहु-धार्मिक केंद्र में ओलंपिक एथलीटों के साथ खेलों के दौरान बनी रहेगी, जिसमें पाँच प्रार्थना कक्ष हैं और प्रतियोगिताओं के दौरान आध्यात्मिक सहायता प्रदान की जाती है।