पोप लियो 14वें : यह समय संवाद और सेतु बनाने का है

अपने परमाध्यक्षीय प्रेरिताई के उद्घाटन के लिए आयोजित समारोही ख्रीस्तयाग के दूसरे दिन, जिसमें करीब 2 लाख लोगों ने भाग लिया था, पोप लियो 14वें ने अन्य कलीसियाओं, कलीसियाई समुदायों और अन्य धर्मों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और अपने पूर्वाधिकारी की ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता और अंतरधार्मिक संवाद के प्रति प्रतिबद्धता को याद किया।
पोप ने कहा, “मैं बड़ी खुशी के साथ आप सभी को, अन्य कलीसियाओं और कलीसियाई समुदायों, साथ ही अन्य धर्मों के प्रतिनिधियों का अभिवादन करता हूँ, जिन्होंने रोम के धर्माध्यक्ष और संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी के रूप में मेरी प्रेरिताई के उद्घाटन समारोह में भाग लिया। मैं परम पावन बार्थोलोम्यू, परमपावन थियोफिलोस तृतीया और परम पावन मार आवा तृत्य के प्रति भाईचारे का स्नेह व्यक्त करता हूँ, और आप में से प्रत्येक के प्रति आपकी उपस्थिति और प्रार्थनाओं के लिए आभारी हूँ, जो एक महान सांत्वना और प्रोत्साहन है।”
सच्ची एकता विश्वास में एकता है
विश्व बंधुत्व को पोप द्वारा महत्व दिये जाने की याद करते हुए उन्होंने कहा, फ्राँसिस के परमाध्यक्षीय कार्यकाल का एक मजबूत बिन्दू रहा है विश्व बंधुत्व। इस संबंध में पवित्र आत्मा ने, उन्हें पहले के पोप द्वारा पहले से किए गए प्रयासों को आगे बढ़ाने हेतु "प्रेरित" किया, खासकर, संत जॉन 23वें के बाद से। पोप फ्राँसिस के विश्व पत्र फ्रातेल्ली तूती ने ख्रीस्तीय एकता के मार्ग और अंतरधार्मिक संवाद दोनों को बढ़ावा दिया। उन्होंने ऐसा सबसे बढ़कर पारस्परिक संबंधों को विकसित करके किया, और कलीसियाई संबंधों से कुछ भी छीने बिना, मुलाकात के मानवीय गुण को हमेशा महत्व दिया। ईश्वर हमें उनकी गवाही को संजोने में मदद करें!
पोप ने इतिहास से खुद को जोड़ते हुए कहा, मेरा चुनाव निकेया की प्रथम महासभा की 1700वीं वर्षगांठ के वर्ष के दौरान हुआ है। वह महासभा सभी कलीसियाओं और कलीसियाई समुदायों द्वारा साझा किए गए धर्मसार के निर्माण में एक मील का पत्थर है। जब हम सभी ख्रीस्तीय अपने बीच पूर्ण सामंजस्य को फिर से स्थापित करने की यात्रा पर हैं, हम मानते हैं कि यह एकता केवल विश्वास में एकता हो सकती है। रोम के धर्माध्यक्ष के रूप में, पोप लियो 14वें ने कहा कि मैं अपनी प्राथमिकताओं में से एक को उन सभी लोगों के बीच पूर्ण और दृश्यमान सामंजस्य की पुनः स्थापना की तलाश करना मानता हूँ जो ईश्वर पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा में एक ही विश्वास रखते हैं।
मानव बंधुत्व की भावना में एक साझा मार्ग
वास्तव में, एकता हमेशा से मेरी चिंता का विषय रही है, यह मेरे धर्माध्यक्षीय प्रेरिताई के लिए चुने गए आदर्श वाक्य से पता चलता है: इन इलो ऊनो उनुम, इसे हिप्पो के संत ऑगुस्टीन की एक अभिव्यक्ति से लिया गया है जो हमें याद दिलाते हैं कि हम भी यद्यपि अनेक हैं, "एक में - अर्थात् मसीह - हम एक हैं" (स्तोत्र, 127, 3)। इससे भी बढ़कर, हमारी एकजुटता उस विस्तार तक साकार होती है, जिस विस्तार में हम प्रभु येसु मसीह से मिलते हैं। हम जितने अधिक उनके प्रति वफादार और आज्ञाकारी होते हैं, हम आपस में उतने ही अधिक एकजुट होते हैं। इसलिए, हम सभी ख्रीस्तियों को इस लक्ष्य तक पहुँचने के लिए प्रार्थना करने और एक साथ काम करने हेतु बुलाया जाता है, जो पवित्र आत्मा का कार्य है।
संत पापा ने इस बात पर गौर करते हुए कि सिनॉडालिटी और ख्रीस्तीय एकता आपस में घनिष्ठता से जुड़े हैं, काथलिक कलीसिया की एक साथ चलने की प्रकृति को बढ़ावा देने और ख्रीस्तीय एकता संबंधों में और अधिक मजबूत धर्मसभा के लिए नए और ठोस रूपों को विकसित करने हेतु उन्हें पोप फ्राँसिस की प्रतिबद्धता को जारी रखने के अपने इरादे का आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा, “हमारे साझा मार्ग को मानवीय भाईचारे की भावना में, सभी को शामिल करने के व्यापक अर्थ में समझा जाना चाहिए। यह संवाद और पुल बनाने का समय है।” इसलिए पोप ने अन्य धार्मिक परम्पराओं के प्रतिनिधियों की उपस्थिति से प्रसन्नता और कृतज्ञता व्यक्त की जो ईश्वर और उनकी इच्छा की खोज कर रहे हैं, जो हमेशा ... सभी के लिए प्रेम और जीवन की इच्छा है।
यहूदी धर्म, इस्लाम और अन्य धार्मिक परंपराओं के साथ संबंध
अंतरधार्मिक संवाद के संदर्भ में पोप फ्राँसिस के कार्यों की सराहना करते हुए पोप लियो 14वें ने कहा, “आपने अंतरधार्मिक संवाद के पक्ष में पोप फ्राँसिस द्वारा किए गए उल्लेखनीय प्रयासों को देखा है। अपने शब्दों और कार्यों के माध्यम से, उन्होंने "मार्ग के रूप में संवाद की संस्कृति; आचार संहिता के रूप में पारस्परिक सहयोग; विधि और मानक के रूप में पारस्परिक समझ" को बढ़ावा देने के लिए मुलाकात के नए रास्ते खोले” (विश्व शांति और साथ रहने के लिए मानव बंधुत्व पर एक दस्तावेज़, अबू धाबी, 4 फरवरी 2019)। मैं अंतरधार्मिक संवाद विभाग को मानव बंधुत्व पर आधारित संबंधों के निर्माण के उद्देश्य से मुलाकातों और ठोस आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने के इस धैर्यपूर्ण कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए धन्यवाद देता हूँ।
विशेषकर, मैं यहूदी और मु्सलमान भाई-बहनों का अभिवादन करता हूँ। ख्रीस्तीय धर्म की यहूदी जड़ों के कारण, सभी ख्रीस्तीयों का यहूदी धर्म के साथ एक विशेष संबंध है। महासभा के घोषणापत्र नोस्त्रा ऐताते (सं.4) ख्रीस्तीयों और यहूदियों द्वारा साझा की गई आध्यात्मिक विरासत की महानता पर जोर देता है, जो आपसी ज्ञान और सम्मान को प्रोत्साहित करता है। इस कठिन समय में जो युद्ध और गलतफहमी से चिन्हित है यह आवश्यक है कि हमारी इस बहुमूल्य बातचीत की गति जारी रहे।