पोप फ्राँसिस की आत्मकथा 'आशा' 80 देशों के किताबी घरों में पहुंची

पोप फ्राँसिस की बहुप्रतीक्षित आत्मकथा 'आशा' इस जयंती पर 80 देशों के बुकशेल्फ़ पर पहुंची और इसमें वर्णित यादें, किस्से, तस्वीरें और पाठकों के लिए व्यक्तिगत रूप से प्रस्तुत किए गए तत्व शामिल हैं।

पोप फ्राँसिस की बहुप्रतीक्षित आत्मकथा 'होप' मंगलवार, 14 जनवरी 2025 को दुनिया भर के 80 देशों के किताबी धरों में आ गई है।

पोप द्वारा इतालवी लेखक कार्लो मुसो के सहयोग से लिखी गई यह पुस्तक, प्रकाशक रैंडम हाउस के माध्यम से संयुक्त राज्य अमेरिका में और प्रकाशक वाइकिंग के माध्यम से यू.के. में अंग्रेजी बोलने वाले पाठकों के लिए भी उपलब्ध कराई गई है।

एक ऐतिहासिक घटना
इस अवसर से पहले एक प्रेस विज्ञप्ति में, रैंडम हाउस ने खुलासा किया कि इस अनूठी पुस्तक को मूल रूप से संत पापा की मृत्यु के बाद प्रकाशित किया जाना था।

हालांकि, आशा के जयंती वर्ष के अवसर पर, पवित्र वर्ष की शुरुआत में पाठ को जारी करने का निर्णय लिया गया।

पुस्तक में पोप फ्राँसिस द्वारा व्यक्तिगत रूप से उपलब्ध कराई गई तस्वीरें और अप्रकाशित उल्लेखनीय सामग्री शामिल हैं। छह वर्षों में लिखी गई यह पूर्ण आत्मकथा बीसवीं सदी के शुरुआती वर्षों से शुरू होती है, जिसमें संत पापा फ्राँसिस की इतालवी जड़ें और उनके पूर्वजों का लैटिन अमेरिका में साहसी प्रवास शामिल है।

किताब में उनके बचपन, उनकी युवावस्था के उत्साह और व्यस्तताओं, उनकी बुलाहट, वयस्क जीवन और उनके परमाध्यक्ष की शुरुआत से लेकर वर्तमान समय तक जारी रहता है।

विवरण और किस्से
अपनी यादों को बयान करते हुए, पोप अपने परमाध्यक्षकाल के महत्वपूर्ण क्षणों और हमारे वर्तमान समय के विभिन्न महत्वपूर्ण और विवादास्पद सवालों को संबोधित करते हैं, जिसमें दुनिया को परेशान करने वाले युद्ध, कलीसिया और धर्म का भविष्य, सामाजिक नीति, प्रवास, पर्यावरण संकट, महिलाएं, तकनीकी विकास और लैंगिकता शामिल हैं।

इसके अलावा, "आशा" में कई रहस्योद्घाटन, किस्से और विचार शामिल हैं।

रैंडम हाउस ने इसे एक रोमांचक और बहुत ही मानवीय संस्मरण के रूप में वर्णित किया है, जो दिल को छू लेने वाला और कभी-कभी मज़ेदार होता है, जो "एक जीवन की कहानी" का प्रतिनिधित्व करता है।

इसके अलावा, प्रकाशक इसे "एक मार्मिक नैतिक और आध्यात्मिक वसीयतनामा कहते हैं जो दुनिया भर के पाठकों को मोहित करेगा और भविष्य की पीढ़ियों के लिए संत पापा फ्राँसिस की आशा की विरासत होगी।"