पोप ने यूक्रेन में न्यायसंगत और स्थायी शांति की अपील की

पोप फ्राँसिस ने यूक्रेन में युद्ध की शुरूआत की दूसरी वर्षगाँठ की याद की, और "न्यायसंगत एवं स्थायी शांति" के उद्देश्य से एक राजनयिक समाधान खोजने की अपील दोहरायी।

पोप ने कहा, “कल, 24 फरवरी को, हमने बड़े दुःख के साथ यूक्रेन में युद्ध की शुरुआत की दूसरी वर्षगांठ को याद किया। इस अवधि में कितने लोग मौत के शिकार हुए, कितने घायल हुए, कितना विनाश हुआ, दुःख सहना पड़ा और आँसू बहे, जो बहुत लंबा होता जा रहा है और जिसका अंत अभी तक दिखाई ही नहीं दे रहा है! यह एक ऐसा युद्ध है जो न केवल यूरोप के उस क्षेत्र को तबाह कर रहा है, बल्कि भय और नफरत की एक वैश्विक लहर फैला रहा है।”

पोप ने कहा, “जब मैं पीड़ित यूक्रेनी लोगों के प्रति अपने गहरे स्नेह को दोहराता हूँ और सभी के लिए प्रार्थना करता हूँ, विशेष रूप से असंख्य निर्दोष पीड़ितों के लिए, मैं आग्रह करता हूँ कि थोड़ी सी मानवता पायी जा सके जो हमें न्यायसंगत और स्थायी शांति की तलाश में राजनयिक समाधान के लिए स्थितियाँ बनाने की अनुमति देता है।”

इसके साथ ही पोप ने फिलीस्तीन और इस्राएल एवं युद्धग्रस्त अन्य सभी देशों की याद की और उनके लिए प्रार्थना जारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “आइए, हम फिलिस्तीन, इस्राएल और युद्ध से टूटे हुए कई देशों के लिए प्रार्थना करें और पीड़ित लोगों की ठोस मदद करना न भूलें! उन लोगों की पीड़ा के बारे सोचें, जो घायल हैं, मासूम बच्चें हैं।

कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के पूर्वी भाग में हिंसा में वृद्धि पर चिंता व्यक्त करते हुए पोप ने कहा, “मैं शांति के लिए प्रार्थना करने हेतु धर्माध्यक्षों के आह्‌वान में शामिल होता हूँ, तथा झड़पों की समाप्ति और ईमानदार एवं रचनात्मक बातचीत की तलाश की उम्मीद करता हूँ।”

नाइजीरिया की याद करते हुए कहा कि वहाँ लगातार हो रही अपहरण की घटनाएँ चिंता का कारण बन रही हैं। “मैं प्रार्थना में नाइजीरियाई लोगों के प्रति अपनी निकटता व्यक्त करता हूँ, आशा करता हूँ कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे कि इन घटनाओं के प्रसार को यथासंभव रोका जाए।”

आगे पोप ने कहा, “मैं तीव्र शीत लहर से प्रभावित मंगोलिया की जनता के भी करीब हूँ, जिसके गंभीर मानवीय परिणाम हो रहे हैं। यह घटना जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों का भी संकेत है। जलवायु संकट एक वैश्विक सामाजिक समस्या है, जिसका कई भाइयों और बहनों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है, विशेष रूप से सबसे कमजोर लोगों पर : हम प्रार्थना करते हैं कि हम सृष्टि की देखभाल में योगदान देने के लिए बुद्धिमान और साहसी विकल्प चुनने में सक्षम हों।”

तत्पश्चात् पोप ने रोम, इटली तथा विश्व के विभिन्न हिस्सों से एकत्रित सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

और अंत में, अपने लिए प्रार्थना का ग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगल कामनाएँ अर्पित कीं।