पाकिस्तान के ख्रीस्तियों ने ईशनिंदा आरोप के एक और हमले का विरोध किया

जरूरतमंद कलीसिया को सहायता संगठन (एसीएन) ने पंजाब के सरगोधा में कुरान के खिलाफ ईशनिंदा के आरोप में एक ख्रीस्तीय परिवार पर भीड़ द्वारा किए गए हालिया हमले के बाद पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन कर ख्रीस्तियों के प्रति एकजुटता व्यक्त की।

पाकिस्तान के मध्य पंजाब प्रांत में झूठी ईशनिंदा के आरोपों को लेकर भीड़ द्वारा एक और हमले के बाद पूरे मुस्लिम बहुल देश में ख्रीस्तीय सड़कों पर उतर आए हैं।

उका समाचार एजेंसी ने बताया कि खैबर पख्तूनख्वा के पेशावर शहर से लेकर सिंध के दक्षिणी कराची तक, ख्रीस्तीय इस सप्ताहांत बड़ी संख्या में एकत्रित हुए और पंजाब के सरगोधा जिले में एक ख्रीस्तीय परिवार के स्वामित्व वाले दो घरों और एक जूता कारखाने पर हुए हमले का विरोध किया।

सरगोधा में हमला
ख्रीस्तीय फैक्ट्री के मालिक, श्री नाज़िल गिल मसीह और उनके बेटे पर सरगोधा के गिलवाला मुजाहिद कॉलोनी के आवासीय क्षेत्र में अपने कूड़े में कुरान के पन्ने जलाने का आरोप लगाया गया था और पिछले सप्ताह उन पर 400 से अधिक लोगों ने हमला किया था, जो डंडों, ईंटों और पत्थरों से लैस थे और उनकी दुकानों और घरों में तोड़फोड़ और आगजनी की थी।

इससे पहले कि पुलिस पहुँचती और उन्हें भीड़ से निकाल पाती, श्री मसीह को बुरी तरह पीटा गया और गंभीर रूप से घायल कर दिया गया, उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया। हालाँकि परिवार के सदस्य बारह भागने में सफल रहे।

कथित तौर पर उनके बेटे को भी पीटा गया और एड टू द चर्च इन नीड के अनुसार, हमले के बाद भी तोड़फोड़ और आगजनी जारी रही, जिससे स्थानीय ख्रीस्तीय समुदाय की सुरक्षा और भलाई को गंभीर खतरा पैदा हो गया।

हमला में 400 से ज़्यादा लोग शामिल और 25 गिरफ़्तारियाँ
पाकिस्तान के अल्पसंख्यक गठबंधन (एमएपी) ने हिंसा के अपराधियों को सज़ा देने की माँग की।एसीएन ने अपनी ओर से इस घटना की कड़ी निंदा की है और प्रभावित परिवार और पाकिस्तान में पूरे ख्रीस्तीय समुदाय के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की है। इस बीच, पुलिस ने आतंकवाद विरोधी कानून के तहत 450 अज्ञात लोगों के खिलाफ़ मामले दर्ज किए हैं और हमले के सिलसिले में 25 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है।

पाकिस्तान भर में प्रदर्शन
काथलिक राजनीतिक नेता और एमएपी के प्रमुख अकमल भट्टी ने कहा कि पेशावर में एक प्रदर्शन में, ख्रीस्तियों ने 25 मई को "काला दिवस" ​​घोषित किया और मध्य पंजाब के फैसलाबाद जिला परिषद चौक पर 500 से अधिक प्रदर्शनकारियों ने दो घंटे तक यातायात अवरुद्ध किया और 20 महिलाओं ने विरोध में अपने सिर के स्कार्फ जलाए।

कराची में, ख्रीस्तियों ने प्रेस क्लब में विरोध प्रदर्शन किया, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की बर्खास्तगी की मांग की। भीड़ के हमले के वीडियो फुटेज में पुलिसकर्मियों को कुछ भी करते हुए नहीं दिखाया गया। हालांकि, पुलिस ने इस दावे का खंडन किया है।

उका न्यूज के अनुसार, सरगोधा जिला प्रशासन ने रैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया है और धारा 144 लागू कर दी है, जो औपनिवेशिक काल का कानून है, जिसके तहत सार्वजनिक समारोहों पर 31 मई तक रोक है। कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस तैनात की गई है। मुजाहिद कॉलोनी में डिवाइन मर्सी काथलिक गिरजाघऱ के फादर डेविड जॉन, ने कहा कि जहां भीड़ ने हमला किया था, स्थिति अब नियंत्रण में है। फादर डेविड ने कहा, "हालांकि पुलिस ने हमें सुरक्षा का आश्वासन दिया है, लेकिन केवल कुछ परिवार ही वापस लौटे हैं।"

अल्पसंख्यकों पर ईशनिंदा कानून का दुरुपयोग ईशनिंदा पाकिस्तान में 1981 से ही एक गंभीर अपराध है, हालांकि सरकार ने किसी को भी फांसी नहीं दी है। हालांकि, कई मामलों में भीड़ मामले को अपने हाथ में ले लेती है और संदिग्धों की हत्या कर देती है और जनरल जिया-उल हक की सैन्य सरकार द्वारा पेश किए गए कठोर कानून का अक्सर ख्रीस्तियों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ झूठे आरोप लगाकर व्यक्तिगत बदला लेने के लिए दुरुपयोग किया जाता है।