धर्माध्यक्ष लिनुस : माता मरियम आस्था का बंधन और प्रेम का एहसास है

झारखंड के जारंगडीह स्थित ढोरी माता तीर्थालय में ढोरी माता का 69 वां वार्षिक समारोह 26 अक्टूबर 2025 को रविवार को बड़े उत्साह एवं विश्व शांति की कामना के साथ के साथ संपन्न हुआ। मुख्य अनुष्ठाता धर्माध्यक्ष लिनुस पिंगल एक्का और धर्माध्यक्ष आनंद जोजो की अगुवाई में विभिन्न धर्मप्रांतों से आये हजारों ख्रीस्तियों ने पवित्र मिस्सा समारोह में भाग लिया और ढोरी माता के प्रति अपनी आस्था प्रकट की।

“जो लोग दिल से ढोरी माता की शरण में आकर प्रार्थना और मन्नतें चढ़ाते हैं, माता उन्हें अवश्य पूरा करती हैं। आज, हमारे हृदय में एक आन्द उमड़ रहा है इसलिए आज हम सब हर्षोल्लास के साथ ढोरी माता का वार्षिक त्योहार मनाने के लिए इस पूजा मंडप में उपस्थित हैं। मैं आप सभी का हार्दिक स्वागत करता हूँ,” यह कहते हुए जारंगडीह ढोरी माता पल्ली के पल्ली पुरोहित फादर माइकेल लकड़ा ने सभी का सहृदय स्वागत किया।

एक नई प्रेरणा और एक नया संदेश
इसके बाद माइक हजारीबाग धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष माननीय आनंद जोजो ने संभाला और कहा, “आदरणीय ढोरी माता के श्रद्धालु भक्तों, आज ढोरी माता के नोबिना का अन्तिम दिन और एक समारोही पर्व दिवस हैl इस शुभ अवसर पर मैं आप मे से प्रत्येक जन का इस पूजन समारोह में हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन करता हूँl आपके पूरे परिवार, हमारे प्यारे झारखंड राज्य, प्यारे भारत देश और विश्व के सभी मानव जाति को ईश्वर को ढोरी माता का मध्यस्थता द्वारा समर्पित करता हूँ। मानव जाति को एक नया विचार, एक नई प्रेरणा और एक नया संदेश प्राप्त हो सके। जिसको लेकर हम नई जिन्दगी शुरु कर सकते हैं।”

धर्माध्यक्ष आनंद ने संक्षिप्त परिचय देते हुए  गुमला धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष माननीय लिनुस पिंगल एक्का को पवित्र मिस्सा की अगुवाई करने के लिए आमंत्रित किया। मधुर गीतों और संगीतों से समारोह का वातावरण भक्तिमय रहा।

आशा, आशीष और कृपा का वर्ष
पवित्र मिस्सा समारोह के मुख्य अनुष्ठाता गुमला धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष लिनुस पिंगल एक्का ने अपने प्रवचन में कहा, “यह वर्ष आशा, आशीष और कृपा का वर्ष है। हम आशा के तीर्थयात्री के रुप में आशा लेकर माँ मरियम के पास आये हैं। आजतक जो भी ढोरी माता के चरणों में आया है वह कभी हताश या निराश नहीं लौटा है। उन्होंने कहा कि ढोरी माता कोई जाति, धर्म या संप्रदाय की माता नहीं हैं, बल्कि वे हम सबकी माता हैं। देवियां किसी जाति या धर्म की नहीं होतीं, वे सबके लिए होती हैं। इस तीर्थ स्थल में जो भी श्रद्धालु आते हैं, माता सबको आशीर्वाद देती हैं। हमारे अंदर जो भी कमजोरियां हैं, उनके लिए हमें माता से क्षमा मांगनी चाहिए। माता मरियम हमारी आध्यात्मिक माता हैं। उन्होंने कहा कि ईश्वर के समक्ष सभी समान हैं। वे गरीब से लेकर अमीर और बीमार तक सबकी सुधि लेते हैं। विश्वास हमारे जीवन का महत्वपूर्ण गुण है और यह हमारे धर्म का आधारभूत पहलू है।

धर्माध्यक्ष लिनुस ने कहा कि कुछ भावनाएं इतनी गहरी होती हैं कि उन्हें शब्दों में बयां करना कठिन होता है। माता मरियम आस्था का बंधन और प्रेम का अहसास हैं। ईश्वर हर जगह नहीं हो सकते, इसलिए उन्होंने माता की रचना की।ढोरी माता सबकी माता है
उन्होंने आगे कहा कि देवी देवता अपने को किसी रुप में प्रकट कर सकते हैं। ढोरी माता को प्रकट करने के लिए ईश्वर ने श्री रुपा सतनामी को चुना। उसने खदान में कोयला कोड़ते समय माता को पाया और काली माँ समझकर उसे खुशी से मजदूरों के कार्यालय में रखा। बाद में माता मरियम की मूर्ति के रुप में पहचाने जाने पर उसे ख्रीस्तियों को सौंप दिया गया और 1957 के अक्टूबर महीने में जारंगडीह के छोटे प्रार्थनालय में प्रतिष्ठित किया गया। ढोरी माता तीर्थालय कोयलांचल में बसे सभी लोगों का माता मरियम पर विश्वास व श्रद्धा है। यहां देश के सभी भागों से सभी धर्म जाति समुदाय के लोग यहां दर्शन के लिए प्रत्येक वर्ष आते हैं।

ढोरी माता हमारी आशा हैं
धर्माध्यक्ष लिनुस ने कहा कि इस जुबली वर्ष का आदर्श वाक्य है ‘आशा के तीर्थयात्री।’ हम यहाँ आशा के तीर्थयात्री के रुप में आये हैं। ढोरी माता हमारी आशा हैं वे हमें कभी निराश नहीं करेंगी। हमारी माता के समान हमें भी दूसरों के लिए आशा बनना है। यह तभी होगा जब हम एक दूसरे के साथ मेल मिलाप से रहेंगे, दूसरों की सहायता करेंगे। दूसरों को क्षमा करेंगे। ढोरी माता हमारी रक्षा करें, हमारी सहायता करें और हमें हर प्रकार की कृपा और आशीष से भर दें।