दक्षिणी सूडानी धर्माध्यक्षः हम शांति का आलिंगन करें

दक्षिण सूडान अपनी स्वतंत्रता की 14वीं वर्षगांठ मना रहा है, इस अवसर पर बेन्टियू के धर्माध्यक्ष ने लोगों से आह्वान किया कि वे शांति को केवल एक अमूर्त विचार के रूप में ही न अपनाएं, बल्कि सुसमाचार के मूल्यों पर आधारित ठोस, रोजमर्रा के अपने कार्यों में व्यक्त करें।
दक्षिण सूडान की 14वीं स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर धर्माध्यक्ष क्रिश्चियन कार्लासारे ने विश्वासियों से आग्रह किया है कि वे अमूर्त आदर्शों से आगे बढ़ते हुए और शांति को व्यक्तिगत और सामुदायिक रुप में कार्यों में आलिंगन करें।
09 जुलाई के समारोह के पूर्व, बेन्टियू के धर्माध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि शांति को हमारे ठोस चुनावों और नौतिक निष्ठा में दिखने की जरूरत है। “सभी लोगों को अपने दफ्तर के कार्यों में ईमानदारी, देशवासियों का नेतृत्व करने के अलावे लोकहित में अपने क्यों को करने की जरूरत है न कि किसी एक दल के लिए, जिससे पूरे देश का विकास हो।” उन्होंने कहा कि हम बहुधा शांति के बारे में कहते हैं...लेकिन हम लड़ाई करते हैं। “शांति कोई अमूर्त विषय नहीं है बल्कि यह रोज दिन के जीने और एक साथ मिलकर निर्माण करने की चीज है।”
प्रतिबद्धता का आह्वान
धर्माध्यक्ष कार्लासारे के ये विचार ऐसे समय में आते हैं जब दक्षिण सूडान असुरक्षा, स्थानीय हिंसा और राजनीतिक विभाजन से जूझ रहा है।
देश दक्षिण सूडानी पीपुल्स लिबरेशन मूवमेंट-इन-ओपोजिशन (एसपीएलएम-आईओ) और दक्षिण सूडान पीपुल्स डिफेंस फोर्सेज (एसएसपीडीएफ) के बीच नए सिरे से संघर्षों से घिरा हुआ है, ये संघर्ष हजारों लोगों की जान-माल के लिए खतरा बने हुए हैं और उन्हें विस्थापित कर रहे हैं।
धर्माध्यक्ष कार्लासारे ने दक्षिण सूडानी ख्रीस्तीयों को ईमानदारीपूर्ण भाषा, अपने पड़ोसियों में आपसी विश्वास, ज़िम्मेदार नेतृत्व और सेवा में प्रतिबद्धता के माध्यम से शांति को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने कहा, "भ्रष्टाचार हमारी स्वतंत्रता की नींव को कमज़ोर करती है... संस्थाओं को मज़बूत किया जाना चाहिए।"
शांति में निहित भविष्य
देश में 2026 में होने वाले संभावित चुनावों को देखते हुए, धर्माध्यक्ष कार्लासारे ने दक्षिण सूडान के लोगों से शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और नागरिक उत्तरदायित्व की संस्कृति को बढ़ावा देते हुए तैयारी करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, "चुनाव निष्पक्ष, विश्वसनीय और शांतिपूर्ण होना चाहिए- जो देश के भविष्य को आकार देने का एक अनिवार्य अवसर है।"