कार्डिनल पियेर ने यूखरिस्तीय सम्मेलन में सच्ची चेतना का आह्वान किया

इंडियानापोलिस में राष्ट्रीय यूखरिस्तीय कांग्रेस के उद्घाटन के अवसर पर, अमेरिका के प्रेरितिक राजदूत ने विश्वासियों को कलीसिया में अधिक एकता के लिए प्रार्थना करने हेतु आमंत्रित किया है "ताकि हम अपने मिशन में अधिक फलदायी बन सकें।"

बुधवार रात इंडियानापोलिस में अमेरिका की दसवीं राष्ट्रीय यूखरिस्तीय कांग्रेस के उद्घाटन के समय, प्रेरितिक राजदूत, कार्डिनल क्रिस्टोफ पियेर ने विश्वासियों को समझाया कि उनकी उपस्थिति पोप फ्राँसिस के "आध्यात्मिक सामीप्य और उनके साथ एवं इस देश के साथ उनकी एकता" का चिन्ह है।

उन्होंने कहा, "यह कितना बड़ा उपहार है!" "कि हम अपने संत पापा के माध्यम से एक कलीसिया के रूप में एकजुट हो सकते हैं।"
साथ ही, प्रेरितिक राजदूत ने याद दिलाया कि "पवित्र यूखरिस्ट भी एकता के लिए एक महान उपहार है", उन्होंने सुझाव दिया कि सम्मेलन के लिए मुख्य प्रार्थना होनी चाहिए "हम, एक कलीसिया के रूप में, अपनी एकता में बढ़ें, ताकि हम अपने मिशन में अधिक फलदायी बन सकें।"

यूखरिस्तीय चेतना क्या है?
कार्डिनल पियेर ने कहा कि इस एकता को साकार करने के लिए यह सवाल करना उचित होगा, “यूखरिस्तीय चेतना क्या है? और, शायद अधिक स्पष्ट रूप से, “हमें कैसे पता चलेगा कि हम यूखरिस्त जागृति का अनुभव कर रहे हैं?”

उन्होंने बतलाया कि सच्ची यूखरिस्तीय चेतना यद्यपि हमेशा संस्कारीय भक्ति, जैसे – आराधना, बेनेदिक्शन, धर्मशिक्षा और जुलूस आदि के साथ होती है इसे भक्ति के अभ्यास से बढ़कर होनी चाहिए।  

सच्ची चेतना का मतलब है न केवल अपने परिवार, दोस्तों और समुदायों में बल्कि दूसरों में भी मसीह को देखना। इसका मतलब है उन लोगों में भी मसीह को देखना जिनसे हम अलग महसूस करते हैं, चाहे वे जाति या वर्ग के आधार पर भिन्न हों, या जो हमारी सोच के तरीकों को चुनौती देते हों, या जो हमसे अलग सोचते हों।

कार्डिनल पियेर ने कहा, "जब हम ऐसे लोगों से मिलते हैं, तो ख्रीस्त एक सेतु के रूप में उपस्थित होते हैं," तथा सभी लोगों को एकजुट करते हैं, जो एक ही स्वर्गीय पिता की संतान हैं एवं एक ही अंतिम लक्ष्य के लिए बुलाए गए हैं।

एकता के लिए प्रेरित
एकता के पुलों का निर्माण करने के लिए अधिक प्रयास करना सच्चे यूखारिस्तीय नवीनीकरण का संकेत है, उन्होंने कहा कि जब हम पवित्र यूखरिस्त संस्कार को मनाते हैं, तो हम येसु का अनुभव करते हैं, जिन्होंने मानव बनकर पहला पुल बनाया, जबकि मानवजाति उनसे अलग थी।

इस कारण से, उन्होंने कहा, वास्तविक उपस्थिति में विश्वास करना न केवल आस्था है कि येसु रोटी और दाखरस के रूप में संस्कार में उपस्थित हैं, "बल्कि उनके विश्वास करनेवाले लोगों की सभा में भी," और यहाँ तक​​कि उन लोगों में भी "जो घावों, भय या पाप के कारण उनके साथ जुड़ने के लिए संघर्ष करते हैं।"

कार्डिनल पियेर ने कहा कि ख्रीस्त के साथ हमारे रिश्ते के लिए आराधना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि आराधना को एक रिश्ते के रूप में समझना महत्वपूर्ण है: पवित्र संस्कार को केवल एक वस्तु के रूप में नहीं देखना, बल्कि यूखरिस्त में मौजूद येसु से जुड़ना और इस तरह "दूसरों के साथ संबंध बनाने सीखना है जो उनमें ईश्वर की उपस्थिति का सम्मान करते है।"

प्रेरितिक बदलाव का आह्वान
कार्डिनल ने चेतावनी दी कि हमारे "सुसमाचार प्रचार के मिशन" की समस्याएँ - जिसमें आधुनिकता की समस्याएँ, अलग तरह से सोचनेवालों से प्रेम करना सीखना, विभाजन पर काबू पाना, पीड़ा का जवाब देना शामिल है - हमारे अपने प्रयासों से हल नहीं हो सकतीं, बल्कि केवल ईश्वर की शक्ति से हल हो सकती हैं।

अमेरिका के प्रेरितिक राजदूत ने अपने मुख्य भाषण का समापन सभी को "सच्ची यूखरीस्तीय चेतना के लिए प्रार्थना करने" हेतु आमंत्रित करते हुए किया, ताकि हमारी आँखें खुल सकें और हम अलग तरह से सोचना सीख सकें।
कार्डिनल पियेर ने कहा कि इसलिए यूखरिस्त चेतना को "प्रेरितिक बदलाव" की ओर ले जाना चाहिए और विश्वासियों से आह्वान किया कि वे प्रभु से प्रतिरोध के स्थानों को प्रकट करने के लिए प्रार्थना करें ताकि हम ईश्वर से संचालित होकर, उनके राज्य के सच्चे प्रेरित बन सकें।"