कार्डिनल गुजेरोती : पवित्र भूमि के ख्रीस्तियों को अब हमारी मदद की जरूरत है

पूर्वी कलीसियाओं के लिए गठित परमधर्मपीठीय परिषद के प्रीफेक्ट कार्डिनल क्लौदियो गुजेरोत्ती ने पवित्र स्थानों के लिए गुड फ्राइडे दान संग्रह से पहले दुनियाभर के सभी कलीसियाओं से एक तत्काल अपील जारी की है, तथा शांति की दिशा में काम करने के लिए बातचीत की अपील की है।
17 मार्च को धर्माध्यक्षों को लिखे पत्र, जिसमें येसु के इस धरती के जीवन से जुड़े स्थानों के लिए, इस वर्ष के गुड फ्राइडे संग्रह के महत्व पर प्रकाश डाला गया था, पूर्वी कलीसियाओं के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग के प्रीफेक्ट कार्डिनल क्लौदियो गुजेरोती ने हिंसा और संघर्ष के कारण हाल के वर्षों में पवित्र भूमि में व्याप्त "रूदन, निराशा और विनाश" को याद किया।
वाटिकन मीडिया के साथ एक साक्षात्कार में अपने पत्र का जिक्र करते हुए कार्डिनल ने बतलाया कि "पवित्र भूमि के ख्रीस्तीयों के लिए यह एक विशेष अपील है इस अपमान, इस तरह की लूट को तत्काल समाप्त करने की, मानो कि भूमि निजी संपत्ति हो। भूमि लोगों की है।"
वास्तविक और सार्थक संवाद को फिर से स्थापित करने के महत्व पर विचार करते हुए उन्होंने कहा, "संवाद कभी-कभी बेहद कठिन होता है, लेकिन इससे जीवन बचता है। संवाद के लिए एकमात्र शर्त दूसरे के प्रति सम्मान है।"
दुनिया चुप है लेकिन पोप नहीं
कार्डिनल गुजेरोती ने इस बात पर जोर दिया कि शांति सैन्य बल के जरिए हासिल नहीं की जा सकती, क्योंकि सैन्य बल सिर्फ कुछ लोगों के हितों की पूर्ति करता है। उन्होंने गज़ा, पश्चिमी तट, सीरिया और लेबनान में चल रहे संकटों के साथ-साथ यूक्रेन, अफ्रीका और एशिया में चल रहे संघर्षों की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा कि इन सभी मामलों में पोप फ्राँसिस शांति के लिए एक मजबूत आवाज रहे हैं।
कार्डिनल ने कहा, "यह भयावह और सांत्वना देनेवाला दोनों है," "विगत दिनों बीमारी के दौरान पोप की आवाज की अनुपस्थिति को महसूस करना। कई लोगों ने मुझसे कहा, 'जब पोप चुप होते हैं, तो दुनिया चुप हो जाती है।' उनकी आवाज ही मानवीय गरिमा के लिए आवाज उठाती हैं और जब वे चुप हो जाते हैं, तो कोई दूसरी आवाजें नहीं सुनाई देतीं।"
मानवीय गरिमा की रक्षा
कलीसिया हमेशा से जीवन की पवित्रता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहा है, और यह प्राथमिकता आज और भी अधिक महत्वपूर्ण है।
पवित्र भूमि के संरक्षण विभाग द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, अत्यधिक जरूरतमंद लोगों के लिए आपातकालीन सहायता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता के कारण, पवित्र भूमि के लिए नियोजित कई परियोजनाओं को "छोटा, विलंबित, निलंबित, या रद्द कर दिया गया है।"
अमानवीयता हमारी नींद छीन लेती है
कार्डिनल गुजेरोती ने कहा, "पवित्र भूमि की तस्वीरें हमारी नींद छीन लेती हैं और हमारी सांसें रोक देती हैं। जो कुछ हो रहा है वह अमानवीय है।"
इस भावना के साथ, उन्होंने गुड फ्राइडे दान संग्रह के महत्व की पुष्टि की, जो संत पापा पॉल छठवें के समय से चली आ रही, पोप की पहल है। "इसलिए मैंने कहा है कि संसाधनों को बिखरने से बचाने के लिए धन जुटाने के प्रयासों को दोहराया नहीं जाना चाहिए। यह संग्रह पवित्र भूमि के लिए सहायता की रीढ़ है। मैंने अपने पत्र में आग्रह किया है कि इसकी प्रेरितिक प्राथमिकता होनी चाहिए।"
कलीसिया की आवाज
कार्डिनल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पारंपरिक रूप से संग्रह का उद्देश्य पवित्र स्थानों को सुरक्षित करना है, लेकिन अब प्राथमिक चिंता ख्रीस्तीय समुदायों को संरक्षित करना है।
उन्होंने कहा, "हम ख्रीस्तीयों के सामूहिक पलायन का जोखिम नहीं उठा सकते, उन जमीनों को छोड़कर जो अभी भी येसु की खुशबू को अपने भीतर समेटे हुए हैं," उन्होंने आगे कहा, "ये लोग मसीह के साथ अटूट संबंध के एक जीवंत प्रमाण हैं। हम सिर्फ मानवीय कारणों से अपनी आवाज नहीं उठाते हैं - ये लोग हमारे लिए एक संस्कार हैं। लेकिन, जाहिर है, कलीसिया उन सभी के लिए भी बोलती है जो सताए गए, कमजोर, पीड़ित और त्यागे गए हैं।"
एक बेहतर दुनिया में विश्वास
पवित्र भूमि में चल रही उथल-पुथल ने तीर्थयात्राओं पर भी विनाशकारी प्रभाव डाला है, जो विश्वासियों को पवित्र स्थलों और पृथ्वी पर ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव करने की अनुमति देती हैं। आज, तीर्थयात्राओं का एक अतिरिक्त अर्थ है: गवाही देना और अन्याय सहनेवालों के साथ एकजुटता दिखाना।
यह विशेष महत्व रखता है क्योंकि कलीसिया पास्का और आशा की जयंती की तैयारी कर रही है, क्योंकि कार्डिनल ने दुःख जताया कि युद्ध और गरीबी के कारण कई पूर्वी ख्रीस्तीय जयंती के लिए रोम की यात्रा नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा, "वे इस 'भविष्यसूचक समय' को घर पर ही जीने के लिए मजबूर हैं।"
इन कठिनाइयों के बावजूद कार्डिनल गुजेरोत्ती को यकीन है कि भविष्य बेहतर होगा।
उन्होंने जोर देकर कहा, "हम ख्रीस्तीय, एक बेहतर दुनिया की भविष्यवाणी पर दृढ़ता से विश्वास करते हैं। हमें यकीन है कि यह आएगा, लेकिन हमारा यह भी कर्तव्य है कि हम जितना संभव हो सके इसका पूर्वानुमान करें। हम जिसे पाप कहते हैं, उसे हराना होगा, क्योंकि ये सभी दुःख पाप हैं - न केवल सामाजिक पाप बल्कि राजनीतिक पाप भी।"