कलीसिया की धड़कन की खोज में सुपीरियर्स धर्मबहनें
भारत की काथलिक धर्मसमाजों की 100 से अधिक सुपीरियर धर्मबहनें अपने धर्मसमाज का संचालन कैसे करें और भारत में कलीसिया की बेहतर सेवा करने के तरीके तलाशने के लिए केरल में एकत्रित हुईं।
भारत में लोसेर्वातोरे रोमानो के प्रकाशकों ने हाल ही में भारत के केरल के इडुक्की जिले में मुन्नार के पास सेंगुलम में इको-स्पिरिचुअलिटी सेंटर में एक गहन कार्यक्रम का आयोजन किया, विशेषकर केरल की महिला धर्मसमाजियों के लिए।
कार्यक्रम 1-5 अप्रैल को सम्पन्न हुआ। विषयवस्तु थी "प्रज्वलित, प्रेरित और सशक्त: हम एक साथ कलीसिया के दिल की धड़कन को महसूस करते हैं," इस पहल में 105 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसमें 4 सुपीरियर जनरल, 25 प्रोविंशल और 76 जनरल/प्रोविंशल सलाहकारिणियाँ उपस्थिति थी।
कार्यक्रम के प्राथमिक उद्देश्य दो प्रकार के थे: मेजर सुपीरियर्स को विश्व स्तर पर धर्मसमाजी जीवन के सामने आनेवाली बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक उपकरणों से लैस करना, और उन्हें प्रभावशाली ढंग से और अनुग्रह के साथ अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करना।
नेतृत्व के केंद्रीय उद्देश्य, को तीन अलग-अलग आयामों में विभाजित किया गया था: संस्थागत नेतृत्व, व्यक्तिगत नेतृत्व, और अतिरिक्त-तर्कसंगत नेतृत्व।
बाइबिल की शिक्षाओं और कलीसिया के धर्मसिद्धांतों में निहित प्रज्ञा का लाभ उठाते हुए, प्रतिभागियों से अपनी और अपने सदस्यों की प्रेरणा को फिर से जागृत करने के तरीके खोजने का आग्रह किया गया।
पवित्र आत्मा से प्रेरित और कलीसिया के आधिकारिक निर्देशों द्वारा निर्देशित, पेरफेक्ते कारितातिस में सुपीरियर्स को निर्देश दिया गया है कि वे अपनी देखभाल में आनेवाली धर्मबहनों का ईश्वर के बच्चों के रूप में मार्गदर्शन करें और उनकी सम्पति का प्रबंधन विवेक एवं निष्ठा के साथ कलीसिया की संपत्ति के रूप में करें।
कार्यक्रम में भाग लेनेवाली धर्मबहनों को धर्मसंघों में संचार के उत्तम प्रयोग के लिए एक दिशानिर्देश के रूप में, संचार विभाग द्वारा प्रकाशित दस्तावेज़, - पूर्ण उपस्थिति की ओर - सोशल मीडिया के साथ जुड़ाव, पर एक प्रेरितिक चिंतन से भी परिचित कराया गया।
कार्यक्रम में धर्मसभा के व्यावहारिक एकीकरण को अपनाया गया।, पोप फ्रांसिस द्वारा समर्थित एक सिद्धांत, बिशप के धर्मसभा के भीतर और बाहर दोनों जगह।
अविला का संत तेरेसा के प्रेरणादायक उदाहरण में मेजर सुपीरियर्स को स्थानीय कलीसिया और विश्वव्यापी कलीसिया की जरूरतों के लिए हमेशा खुले रहने की आवश्यकता पर जोर दिया गया था, जिन्होंने उत्साहपूर्वक घोषणा की थी, "मैं कलीसिया की बेटी हूँ।”
धर्मबहनों को लोसेर्वातोरे रोमानो की सदस्यता लेने और कलीसिया के अन्य दस्तावेजों तक पहुंच की सलाह की गई। मेजर सुपीरियर्स ने "एक पल्ली के लिए एक पुस्तकालय, एक परिवार के लिए एक लोसेर्वातोरे रोमानो" कार्यक्रम को भी अपना समर्थन दिया, जिसका उद्देश्य कलीसिया की शिक्षाओं को प्रत्येक काथलिक, विशेष रूप से युवा पीढ़ी तक पहुंचाना है।
सुपीरियर्स ने प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं जैसी विभिन्न प्रतियोगिताओं के माध्यम से कलीसिया के दस्तावेजों की समझ बढ़ाने के लिए अपना समर्थन और सहयोग देने का वादा किया।
यह कार्यक्रम कलीसिया की ख़बरें और पोप के उपदेशों को फैलाने के उद्देश्य से, भारत में लोसेर्वातोरे रोमानो के प्रकाशक, कार्मेल इंटरनेशनल पब्लिशिंग हाउस द्वारा शुरू की गई एक अनूठी पहल है।
फादर जोसेफ एदूपुलावन ओसीडी ((अविला इको-स्पिरिचुअलिटी सेंटर, सेंगुलम के निदेशक), फादर सेबास्तियन कूदापात्तू ओसीडी और फादर जेम्स अलाकूजियिल ओसीडी (कार्मेल इंटरनेशनल पब्लिशिंग हाउस, त्रिवेन्द्रम के निदेशक, जो लोस्सेर्वातोरे रोमानो प्रकाशित करता है) ने कार्यक्रम का संचालन किया।