ईराकः विश्वास का सावधानीपूर्वक पुनर्निर्माण आवश्यक

ईराक के मोसुल शहर से वाटिकन न्यूज़ से बातचीत में खलदेई काथलिकों के महाधर्माध्यक्ष माईकल नजीब ने कहा कि उत्तरी ईराक स्थित मेसोपोटामिया के ऐतिहासिक क्षेत्र में आईएसआईएस द्वारा मचाई गई तबाही के दस साल बाद यह आवश्यक है कि क्षेत्र के निवासियों में विश्वास का सावधानीपूर्वक पुनर्निर्माण किया जाये।

दर्दनाक यादें
साल 2014 के जून माह में, मोसुल और उत्तरी ईराक के निनवेह मैदानी इलाके पर तथाकथित इस्लामिक स्टेट ने कब्ज़ा कर लिया था। आतंकवादियों ने विनाश का ताण्डव रचा जिसके परिणामस्वरूप उक्त क्षेत्र की एक चौथाई आबादी, जिनमें मुख्य रूप से ईसाई और यज़ीदी शामिल थे, अपने घरों को छोड़कर अन्यत्र शरण लेने के लिये बाध्य हुए थे। गौरतलब है कि ईराक के मेसोपोटामियी क्षेत्र को शांति एवं सहअस्तित्व का ऐतिहासिक प्रतीक तथा संस्कृतियों एवं धर्मों का मिलन केन्द्र माना जाता है।

ईराक में सन्त पापा फ्राँसिस की 2021 में सम्पन्न प्रेरितिक यात्रा के दौरान उनका स्वागत करनेवाले खलदैई काथलिक समुदाय के काथलिक धर्माधिपति महाधर्माध्यक्ष नजीब ने वाटिकन न्यूज़ को बताया कि अभी भी दुखद और दर्दनाक यादें लोगों के मन में समाई हुई हैं तथा एक दशक बाद भी, इस क्षेत्र के निवासियों के लिए संघर्ष पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है।

आज की स्थिति
महाधर्माध्यक्ष ने बताया कि निनिवे के मैदानों में जिहादियों के चले जाने के तीन साल बाद अब लोगों का आना शुरु हुआ है, तथापि भय के कारण यह कार्य बहुत ही मन्द गति से चल रहा है। उन्होंने कहा कि आईएसआईएस के दौर में न कि केवल ईसाइयों को अपितु मोसुल में रहने वाले सभी लोगों को भारी कीमत चुकानी पड़ी।

उन्होंने कहा, "आज एक वास्तविक परिवर्तन हो रहा है, मोसुल और निनवेह मैदानों के बुनियादी ढांचे को बहाल कर दिया गया, साथ ही सड़कों का निर्माण और सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त की गई है, जिससे लोग किसी भी समय अपने घरों से बाहर निकल सकते हैं। अपराधों में भी कमी आई है, हालांकि मोसुल के ईर्द-गिर्द  छोटी-मोटी समस्याएं जारी हैं। काम की कमी अधिक दबाव वाली है। बेरोजगारी और आय के अभाव में, कई लोग हिंसा की ओर रुख करते हैं।"

अनिश्चितताएँ
घर वापसी न करने का मुख्य कारण बताते हुए महाधर्माध्यक्ष नजीब ने कहा कि बाधाएँ बहुत हैं, लेकिन मुख्य मुद्दा  वित्तीय है। लोगों ने लगभग सब कुछ खो दिया है। जब उन्हें मोसुल और निनवेह के मैदानों को छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था तो वे अपना सर्वस्व छोड़कर चले गये थे, उनका सबकुछ लूट लिया गया था, इसलिये अब  बिल्कुल नए सिरे से शुरुआत करनी होगी। सुरक्षा और बुनियादी ढांचे में प्रगति के बावजूद, लोग चिंतित हैं और लौटने के लिये झिझक रहे हैं। वे अपनी अनिश्चितताओं को साझा करते हुए कहते हैं: "हम गारंटी के बिना मोसुल या निनवेह के मैदानों में वापस नहीं जा सकते।" उन्होंने कहा कि लोगों को गारंटी देना एक चुनौती है, कोई भी गारंटी नहीं दे सकता, कलीसिया भी नहीं क्योंकि कलीसिया ने भी अपना सबकुछ खो दिया है।

उन्होंने कहा कि परिवार बिना समर्थन के समाज में फिर से निवेश नहीं कर सकते। वे सरकार से समर्थन चाहते हैं, जबकि सरकार ने अभी-अभी कुछ गिरजाघरों और आवासों का जीर्णोद्धार शुरू किया है, तथा थोड़ी क्षतिपूर्ति भी की है, लेकिन यह अपर्याप्त है।

सराहनीय सहायता
ग़ैरसरकारी मानवतावादी संगठनों की सराहना करते हुए महाधर्माध्यक्ष ने बताया कि बहुत से यूरोपीय और अमरीकी संगठन घरों एवं बुनायादी ढाँचों के पुनर्निर्माण कार्य में अपना योगदान दे रहे हैं जिसके लिये वे उनके आभारी हैं।

महाधर्माध्यक्ष ने इस बात पर बल दिया कि वित्तीय मदद के अलावा लोगों में फिर से विश्वास जगाना एक महान चुनौती है और इस काम में कलीसिया की प्रेरितिक सेवाएँ तथा ग़ैरसरकारी संगठन की सहायता सराहनीय है।