सतत विकास की दिशा में परमधर्मपीठ की राय

संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक तथा वाटिकन के वरिष्ठ महाधर्माध्यक्ष गाब्रियल काच्या ने "भविष्य शिखर सम्मेलन" शीर्षक से आगामी सितम्बर माह के लिये निर्धारित सम्मेलन की तैयारी में संलग्न राष्ट्रों के प्रतिनिधियों को संबोधित किया।

संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक तथा वाटिकन के वरिष्ठ महाधर्माध्यक्ष गाब्रियल काच्या ने "भविष्य शिखर सम्मेलन" शीर्षक से आगामी सितम्बर माह के लिये निर्धारित सम्मेलन की तैयारी में संलग्न राष्ट्रों के प्रतिनिधियों को संबोधित कर कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के मौलिक सिद्धांतों की पुनः पुष्टि करने का यह एक निर्णायक क्षण होगा।

पुनर्मूल्यांकन आवश्यक
महाधर्माध्यक्ष गाब्रियल काच्या ने कहा कि सतत विकास की दिशा में प्रयासों का "पुनर्मूल्यांकन" करना अति आवश्यक है।

सन्त पापा फ्रांसिस ने 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के समक्ष कहा था कि सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा को अपनाना "आशा का एक महत्वपूर्ण संकेत है।" महाधर्माध्यक्ष काच्या ने सतत विकास पर संयुक्त राष्ट्र संघीय उच्च-स्तरीय राजनीतिक मंच पर अपने भाषण में इसी विषय पर बात की।

महाधर्माध्यक्ष काच्या ने कहा कि सितंबर में होने वाला "भविष्य का शिखर सम्मेलन" "सकल घरेलु उत्पाद की प्राप्ति की दिशा में हुई प्रगति पर विचार करने और नई चुनौतियों के मद्देनजर प्रयासों को पुनः संतुलित करने का अवसर प्रदान करता है।"

उन्होंने कहा कि यह "आवश्यक है कि प्रयास तेज किए जाएं और इस बात पर ध्यान केंद्रित किया जाए कि सभी के लिए समग्र मानव विकास कैसे प्राप्त किया जा सकता है।"

प्रमुख लक्ष्य
महाधर्माध्यक्ष काच्या ने कहा, "भविष्य शिखर सम्मेलन" को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामूहिक प्रयासों के आधारभूत सिद्धांतों की पुष्टि करने के लिए एक निर्णायक क्षण के रूप में कार्य करना होगा, जिसमें मुख्य हैं: मानव सम्मान को बढ़ावा देना, सामान्य भलाई की खोज करना, और हमारे ग्रह की देखभाल करना।"

उन्होंने कहा, "इनसे हमारी कार्रवाइयों और नीतियों का मार्गदर्शन होना चाहिए ताकि अधिक टिकाऊ, न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण समाज का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।"