वाटिकन ने आवर लेडी ऑफ रॉक पर अपना फैसला सुनाया

कथित दिव्यदर्शन के संबंध में नए मानदंडों के आधार पर, विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित परमधर्मपीठीय परिषद ने कलाब्रिया में कोसिमो फ्रगोमेनी को हुए कथित दिव्यदर्शन से प्राप्त आध्यात्मिक फलों पर अपना निर्णय प्रकाशित किया।

विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल भिक्टर मानुएल फेरनांडिस ने लिखा, “हम जिस भौतिकतावादी दुनिया में रहते हैं, जिसमें बहुत से लोग ईश्वर पर विश्वास के बिना अपना जीवन बिताते हैं, चट्टान के तीर्थस्थल के पास आनेवाले तीर्थयात्री विश्वास के एक शक्तिशाली संकेत हैं।"

लोक्री-जेरास के धर्माध्यक्ष फ्रांसेस्को ओलिवा के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित विभाग के अध्यक्ष ने 3 जून को लिखे एक पत्र में, कलाब्रिया के सांता डोमेनिका डी प्लाकानिका में, चट्टान की माता मरियम के धर्मप्रांतीय तीर्थस्थल के आसपास की घटनाओं के संबंध में धर्माध्यक्ष द्वारा प्रस्तावित "नो ओब्जेकेशन" (बेरोक-टोक पत्र) की पुष्टि की है।

 आत्मा के अनुभव को मान्यता
यही वह जगह है, जहाँ 11 मई 1968 को कुँवारी मरियम पहली बार 18 वर्षीय एक विनम्र किसान कोसिमो फ्रगोमेनी को दर्शन दिया था। 17 मई को विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग द्वारा प्रकाशित नए मानदंडों के अनुसार - कार्डिनल फर्नांडीज ने अपने पत्र में याद किया – बेरोक टोक पत्र (नो ओब्जेक्शन) को "घटना के अलौकिक प्रकृति की स्वीकृति के रूप में नहीं, बल्कि तीर्थस्थल के लिए प्रस्तावित "आध्यात्मिक अनुभव" की मान्यता के रूप में समझा जाना चाहिए।

उन्होंने लिखा, “इसलिए धर्मप्रांतीय बिशप को प्रेरितिक मूल्य की सराहना करने और इस आध्यात्मिक प्रस्ताव के प्रसार को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है,” जिसमें "तीर्थयात्राओं, समारोहों और प्रार्थना सभाओं के माध्यम से" शामिल हैं, जबकि "श्रद्धालुओं को इन आयोजनों में विवेकपूर्ण तरीके से भाग लेने के लिए अधिकृत किया जाता है।"

ईश्वर की दया प्राप्त करने का स्थान
कोसिमो के अनुसार, 1968 में पहली बार युवक के घर के पास स्थित एक बलुआ पत्थर की चट्टान से प्रकाश की किरण निकली थी, जो अगले चार दिनों तक दोहराई गई थी।

कोसिमो द्वारा बताए गए संदेशों में, धन्य कुँवारी मरियम ने मन-परिवर्तन और प्रार्थना का आह्वान किया, कलाब्रिया के इलाके को आध्यात्मिकता के एक महान केंद्र में परिवर्तित होते देखने की इच्छा व्यक्त की, जहाँ लोग ईश्वर की दया का अनुभव कर सकें। कोसिमो ने चट्टान के आस-पास के क्षेत्र को साफ किया और एक ग्रोटो बनाने के लिए बलुआ पत्थर को खोदा, जिसमें करारा से खरीदी गई संगमरमर की माता मरियम की प्रतिमा स्थापित की गई।

एक साधारण प्रार्थनालय से एक धर्मप्रांतीय तीर्थस्थल तक
यह स्थल जल्द ही पूरे इटली और यहाँ तक कि विदेशों से आनेवाले तीर्थयात्रियों के लिए भी एक गंतव्य बन गया। पहले, यहाँ एक साधारण प्रार्थनालय था, लेकिन तीर्थयात्रियों के बढ़ते प्रवाह ने एक बड़े तीर्थस्थल के निर्माण को प्रेरित किया।

इस बीच, 1987 में, कोसिमो एक तीसरे ऑर्डर का फ्राँसिस्कन बन गया।
7 दिसंबर 2008 को, लोक्री-जेरासे के तत्कालीन बिशप, जुसेपे फियोरिनी मोरोसिनी ने आदेश दिया कि "मैडोना डेलो स्कोग्लियो" (चट्टान की माता मरियम) को धर्मप्रांतीय बिशप की प्रेरितिक देखभाल के तहत रखा जाना चाहिए।
22 मई 2013 को, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में आमदर्शन समारोह के दौरान, ब्रादर कोसिमो ने बिशप मोरोसिनी के साथ मिलकर पोप फ्राँसिस से “स्कोग्लियो” तीर्थस्थल के शिलान्यास को आशीर्वाद देने का आग्रह किया। तीन साल बाद, 11 फरवरी 2016 को, लोक्री-जेरेस के नए धर्माध्यक्ष, फ्रांसेस्को ओलिवा ने तीर्थस्थल को “चट्टान की माता मरियम” की उपाधि के साथ “धर्मप्रांतीय तीर्थस्थल” का दर्जा दिया। 10 जुलाई 2017 को, उन्होंने इसकी प्रेरितिक देखभाल सुसमाचार प्रचार के मिशनरी को सौंप दिया।

बिशप ओलिवा का अनुरोध
पिछले जून में विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित विभाग को भेजे गए एक पत्र में, धर्माध्यक्ष ओलिवा ने निहिल ऑब्स्टाट (बेरोक टोक) को "इस तरह से संचालित करने के लिए आवश्यक मान्यता के रूप में प्रस्तावित था कि जो लोग [तीर्थस्थल] का दौरा करते हैं, वे दिलासा महसूस कर सकें और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित हो सकें, यह जानते हुए कि वे काथलिक कलीसिया के साथ संवाद में हैं।"

अपने जवाब में, कार्डिनल फर्नांडीज लिखते हैं, "इस संबंध में, यह विभाग [तीर्थस्थल] में हो रहे आध्यात्मिक भलाई के कार्य पर आपकी सकारात्मक रिपोर्ट पर ध्यान देता है, जिस पर आप निरंतर सतर्कता बरतते हैं ताकि किसी भी तरह का व्यक्तियों का हेरफेर, अनुचित वित्तीय लाभ या गंभीर सैद्धांतिक त्रुटियाँ न हों जो बदनामी का कारण बन सकती हैं, विश्वासियों को नुकसान पहुँचा सकती हैं, या कलीसिया की विश्वसनीयता को कम कर सकती हैं।"

फर्नांडीज: स्पष्ट ख्रीस्तीय दृष्टिकोण से मरियम की वंदना
कार्डिनल याद दिलाते हैं कि " येसु की माता, कलीसिया की माता और हमारी माता मरियम की सच्ची वंदना इस तरह से व्यक्त की जानी चाहिए कि वंदना के अनुचित रूपों और मरियम के अनुचित उपाधियों के उपयोग को बाहर रखा जा सके। इसके बजाय, स्पष्ट ख्रीस्तीय दृष्टिकोण से वंदना करना उचित है, जैसा कि कलीसिया की धर्मशिक्षा सिखाती है: 'जब माता का सम्मान किया जाता है, तभी पुत्र [...] को सही ढंग से पहचाना, प्यार किया और महिमा दिया जा सकता है।'