पोप ने करिश्माई के सदस्यों को प्रार्थना, सुसमाचार प्रचार एवं सहभागिता का प्रोत्साहित दिया

पोप फ्राँसिस ने शनिवार को पवित्र आत्मा में नवीनीकरण की राष्ट्रीय समिति के 85 सदस्यों से वाटिकन के कोंचिस्तोरो सभागार में मुलाकात की और उनसे प्रार्थना, सुसमाचार प्रचार और सहभागिता में आगे बढ़ने का प्रोत्साहन दिया।

पवित्र आत्मा में नवीनीकरण की राष्ट्रीय समिति, काथलिक करिश्माई नवीनीकरण के लिए अंतरराष्ट्रीय सेवा संगठन “कारिस” का हिस्सा है। जो लोकधर्मियों, परिवार और जीवन के लिए परमधर्मपीठ द्वारा गठित एक निकाय है। पोप फ्राँसिस ने काथलिक करिश्माई नवीनीकरण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सेवा संगठन के रूप में आगे बढ़ाया है।

पोप ने सदस्यों का अभिवादन करते हुए कहा, “मैं आपको एकता के इस मार्ग पर चलते रहने और उन चिन्हों को संजोकर रखने का प्रोत्साहन देता हूँ जो मैंने आपको दिये हैं।”

संगठन के कार्यों के लिए धन्यवाद देते हुए संत पापा ने कहा, “उस भलाई के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ” जिसको समुदाय ने ईश्वर की पवित्र प्रजा के बीच बोई है, विशेषकर, प्रार्थना की सेवा (आराधना द्वारा) और सुसमाचार प्रचार की सेवा।

पोप ने गौर किया कि करिश्माई आंदोलन स्वभाव से ही प्रार्थना को स्थान और महत्व देता है। उन्होंने सदस्यों से कहा, “ऐसी दुनिया में जहां योग्यता और कार्यकुशलता की संस्कृति हावी है, और ऐसी कलीसिया में जो कभी-कभी संगठन को लेकर बहुत चिंतित रहती है, हम सभी को ईश्वर की कृपा के सामने धन्यवाद, प्रशंसा और विस्मय को जगह देने की जरूरत है।”

उन्होंने कहा कि इसके द्वारा कलीसिया की सेवा जारी रखें, विशेषकर आराधना की प्रार्थना को बढ़ावा देते हुए। आराधना की प्रार्थना जिसमें मौन महत्वपूर्ण है हमारे शब्दों के ऊपर ईश वचन को जगह मिलती है, इस तरह आराधना में “प्रभु केंद्र में होते हैं न कि हम।”   

पोप ने कहा कि सुसमाचार प्रचार की सेवा भी करिश्माई आंदोलन के मूल में है। “पवित्र आत्मा जिनको हम अपने हृदय और जीवन में स्वागत करते हैं, हमें खोलता, हमें बाहर निकालता एवं आगे बढ़ाता है। पवित्र आत्मा हमें सुसमाचार प्रचार करने के लिए प्रेरित करता है।” लेकिन उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि विनम्र होना और उनके साथ सहयोग करना हमारे ऊपर निर्भर है।

पोप ने सुसमाचार प्रचार के कार्य को सबसे बढ़कर जीवन के साक्ष्य द्वारा करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “अगर मैं नहीं जानता कि अपने पड़ोसी के साथ धैर्य कैसे रखना है, अपनी माँ के करीब कैसे रहना है जो अकेली है, या उस व्यक्ति के साथ जो मुश्किल में है, तो लंबी प्रार्थनाएँ और बहुत सारे खूबसूरत गीतों का क्या मतलब है? ...ठोस उदारता, छुपी हुई सेवा ही हमेशा हमारे प्रचार की कसौटी होती है।”

प्रार्थना और सुसमाचार की सेवा के साथ पोप ने सदस्यों को सहभागिता में बढ़ने का प्रोत्साहन दिया। उन्होंने कहा, “सबसे पहले अपने धर्माध्यक्षों के साथ सहभाग होना। इसका अर्थ है धर्माध्यक्षों की प्रेरितिक सलाह अनुसार, करिश्माई संगठन को धर्मप्रांतीय और पल्ली समुदाय के साथ सेवा करना है।

इतना ही नहीं दूसरे कलीसियाई समुदायों, संगठनों, दलों के साथ भी भाईचारा प्रकट करना, विविधता में आपसी सम्मान, आम पहल के प्रति प्रतिबद्धता में सहयोग, ईश्वर के लोगों की सेवा और उन सामाजिक मुद्दों पर भी सहयोग करना है जिनमें लोगों की गरिमा दांव पर है।

पोप ने संगठन के सदस्यों को उनकी प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद देते हुए आग्रह किया कि वे समुदाय के निर्माता बनें; सबसे पहले अपने बीच, अपने आंदोलन में, उसके बाद पल्लियों एवं धर्मप्रांतों में।

अंत में, पोप ने उन्हें अपनी प्रेरिताई में खुशी से आगे बढ़ने का प्रोत्साहन दिया एवं उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।