अक्टूबर में जयंती के लिए फातिमा की रानी रोम में
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फातिमा की रानी मरियम की मूल प्रतिमा, पुर्तगाल स्थित मरियम तीर्थस्थल से अक्टूबर माह में 11 और 12 अक्टूबर को निर्धारित मरियम को समर्पित आध्यात्मिकता की जयंती के अवसर पर रोम लाई जाएगी।
सम्पूर्ण विश्व में आराध्य फातिमा की रानी मरियम की प्रसिद्ध प्रतिमा, जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में 11 और 12 अक्टूबर, 2025 को रोम में होगी। आराध्य फातिमा की रानी मरियम की मूल प्रतिमा, पुर्तगाल स्थित मरियम तीर्थस्थल से अक्टूबर माह में 11 और 12 अक्टूबर को निर्धारित मरियम को समर्पित आध्यात्मिकता की जयंती के अवसर पर रोम लाई जाएगी।
निराश न करनेवाली आशा
पवित्र कुँवारी मरियम की विश्व विख्यात उक्त प्रतिमा "आशा जो निराश नहीं करती" का प्रतीक है। यह प्रतिमा रविवार, 12 अक्टूबर 2025 की सुबह 10:30 बजे सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में पवित्रख्रीस्तयाग के दौरान विश्वासियों के बीच मौजूद रहेगी और प्रार्थना एवं चिंतन के क्षण को समृद्ध करेगी।
गुरुवार को वाटिकन सुसमाचार प्रचार विभाग द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, यूखारिस्तीय समारोह के लिए सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में प्रवेश निःशुल्क होगा। साथ ही, जयंती वर्ष के समारोह में भाग लेने के लिए पंजीकरण इसकी वेबसाइट पर पहले से ही खुला है।
चौथी बार
यह चौथी बार है जब मरियम प्रतिमा फातिमा से रोम लाई जा रही है। पहली बार 1984 में, 25 मार्च को, दण्डमोचन की असाधारण जयंती के लिए, जब सन्त पापा सन्त जॉन पॉल द्वितीय ने विश्व को मरियम के निष्कलंक हृदय को समर्पित किया था। दूसरी बार वर्ष 2000 की महान जयंती के दौरान और तीसरी बार अक्टूबर 2013 में सन्त पापा फ्रांसिस द्वारा घोषित विश्वास वर्ष के लिए मरियम प्रतिमा पुर्तगाल से रोम लाई गई थी।
वाटिकन स्थित सुसमाचार प्रचार सम्बन्धी विभाग के सह-अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष रिनो फिसिकेल्लाने कहा, "फातिमा की रानी की प्यारी मूल प्रतिमा की उपस्थिति हर किसी को पवित्र कुँवारी मरियम की निकटता का अनुभव करने की अनुमति देगी।" उन्होंने कहा, "यह तमाम विश्व के ख्रीस्तानुयायियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण मरियम प्रतीकों में से एक है, जैसा कि सन्त पापा फ्राँसिस ने जयन्ती वर्ष के लिये प्रकाशित अपने आदेश पत्र "स्पेस नॉन कॉन्फुन्दित" में घोषित किया हैः उन्होंने मरिमय को 'सबसे स्नेही माताओं के रूप में सम्मानित किया है, जो कभी भी अपने बच्चों को नहीं छोड़ती हैं।'
स्मरण रहे कि पुर्तगाल के फातिमा नगर में, पवित्र कुँवारी मरियम ने तीन छोटे चरवाहों से वही कहा था जो वे हम सभी को आश्वस्त कर कहती हैं: ‘मैं तुम्हें कभी नहीं छोडूंगी। मेरा निष्कलंक हृदय तुम्हारा शरणस्थल होगा और वह मार्ग होगा जो तुम्हें ईश्वर तक ले जाएगा।’”
आशा के तीर्थयात्री
इसी बीच, फतिमा मरियम तीर्थ के प्रधान पुरोहित फादर कारलोस काबेचिन्हास ने बताया कि "यह प्रतिमा कोवा दा इरिया के अभयारण्य से केवल असाधारण परिस्थितियों में और कलीसिया के परमाध्यक्ष सन्त पापा के अनुरोध पर ही बाहर निकाली जाती है।"
उन्होंने कहा, "इस जयंती के अवसर पर, फातिमा की कुँवारी इस दर्दनाक दौर से गुज़र रहे विश्व में पास्काई आनन्द की महिला हैं। उन्होंने कहा, "एक बार फिर, 'सफेद कपड़े पहने महिला' मरिमय आशा की तीर्थयात्री बन जायेंगी और रोम में, 'सफेद कपड़े पहने धर्माध्यक्ष' के साथ होंगी।"
सन् 1917 में मई और अक्टूबर माह के दौरान छः अवसरों पर पवित्र कुँवारी मरियम ने फतिमा नगर के तीन चरवाहे बच्चों, लूसिया, जसिन्ता एवं फ्राँसिसको को दर्शन दिये थे। फतिमा की इसी प्रतिमा के मुकुट में उस गोली को भी जड़ दिया गया था जो 1981 के 13 मई को सन्त जॉन पौल द्वितीय पर किये गये जानलेवा हमले में प्रयुक्त हुई थी।