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4 सितंबर को, पोप फ्रांसिस ने जकार्ता के कैथेड्रल ऑफ आवर लेडी ऑफ द असम्पशन में पादरी और धार्मिक नेताओं को संबोधित किया, और उनसे आस्था, भाईचारा और करुणा के गुणों को अपनाने का आग्रह किया।
पोप फ्रांसिस ने इंडोनेशिया की अपनी धर्मप्रचार यात्रा के तीसरे दिन मानवीय गरिमा की रक्षा, गरीबी के चक्र को समाप्त करने और शांति को बढ़ावा देने के लिए धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने के महत्व को रेखांकित किया।
पोप फ्राँसिस इंडोनेशिया की अपनी चार दिवसीय यात्रा समाप्त कर एशिया और ओशिनिया की अपनी प्रेरितिक यात्रा के दूसरे चरण के लिए पापुआ न्यू गिनी की यात्रा पर निकले। प्रेरितिक राजदूतावास में निजी तौर पर पवित्र मिस्सा के साथ दिन की शुरुआत करने के बाद, पोप फ्राँसिस शुक्रवार सुबह पोर्ट मोरेस्बी, पापुआ न्यू गिनी के लिए उड़ान भरने के लिए जकार्ता के सोएकरनो-हट्टा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए रवाना हुए।
इंडोनेशिया में अपनी प्रेरितिक यात्रा के अंतिम दिन पोप फ्राँसिस ने जकार्ता के गेलोरा बंग कार्नो स्टेडियम में ख्रीस्तीयाग अर्पित किया। पोप ने विश्वासियों को याद दिलाया कि उन्हें येसु द्वारा घोषित वचन को सुनने और उसके अनुसार जीने की आवश्यकता है।
पोप फ्राँसिस ने इंडोनेशिया की अपनी प्रेरितिक यात्रा के दूसरे दिन जकार्ता के प्रेरितिक राजदूतावास में अपने येसु समाजी पुरोहितों के साथ पारंपरिक मुलाकात की।
पोप फ्राँसिस जकार्ता में इंडोनेशिया की इस्तिकलाल मस्जिद में एक अंतरधार्मिक बैठक के लिए गए, जहाँ उन्होंने संवाद, आपसी सम्मान और सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए काम करने के लोगों के "महान उपहार" को श्रद्धांजलि दी, जिसके लिए हम सभी बुलाए गए हैं।
इंडोनेशिया के जकार्ता स्थित राष्ट्रीय स्टेडियम में पोप फ्राँसिस के साथ ख्रीस्तयाग के उपरांत दो युवा काथलिकों ने पोप की इंडोनेशिया यात्रा के बारे कहा कि उन्होंने दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले मुस्लिम बहुल देश में काथलिकों की उपस्थिति की ओर ध्यान आकर्षित किया।
पोप फ्रांसिस ने विविधता में सद्भाव की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और इंडोनेशिया में शांति और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख स्तंभों के रूप में सामाजिक न्याय और दैवीय आशीर्वाद को सुदृढ़ करने का आह्वान किया, जो कि विशाल सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता वाला देश है।
4 सितंबर को, पोप फ्रांसिस ने जकार्ता के कैथेड्रल ऑफ आवर लेडी ऑफ द असम्पशन में पुरोहित और धार्मिक नेताओं को संबोधित किया, और उनसे आस्था, भाईचारा और करुणा के गुणों को अपनाने का आग्रह किया।