पोप फ्राँसिस की इंडोनेशिया में येसु समाजी पुरोहितों से मुलाकात

पोप फ्राँसिस ने इंडोनेशिया की अपनी प्रेरितिक यात्रा के दूसरे दिन जकार्ता के प्रेरितिक राजदूतावास में अपने येसु समाजी पुरोहितों के साथ पारंपरिक मुलाकात की।

पोप फ्राँसिस अपनी प्रेरितिक यात्रा को जारी रखते हुए, बुधवार को इंडोनेशिया में कार्यरत येसु समाजियों से मुलाकात की। यह मुलाकात राष्ट्रपति भवन में इंडोनेशिया के अधिकारियों, नागरिक समाज और राजनयिकों से मिलने के बाद जकार्ता के प्रेरितिक राजदूतावास में हुई।

प्रेरितिक राजदूतावास में उपस्थित लोगों में जकार्ता के 89 वर्षीय सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष (1996-2010) कार्डिनल जूलियस रियादी दारमात्मदजा एस. जे. भी शामिल थे। पोप ने अपने येसु समाजी भाइयों के साथ लगभग एक घंटे तक निजी तौर पर बात की, जैसा कि वे हमेशा किया करते हैं और कई सवालों के जवाब दिए।

भाईचारे की मुलाकात
संस्कृति और शिक्षा परमधर्मपीठीय विभाग के उप-सचिव फा. अंतोनियो स्पादरो, एस.जे. ने इस मुलाकात को उत्सहवर्धक और आत्मीयतापूर्ण बताया। उन्होंने वाटिकन न्यूज को बताया कि “पोप फ्राँसिस हमेशा अपनापन और सहज महसूस करते हैं। वे इस यात्रा में भी अपनी प्रारंभिक संभाषण को अच्छी तरह कर पाये हैं।”

उन्होंने कहा कि पोप ने अपने इंडोनेशियाई येसु समाजी भाइयों के साथ बहुत सारे युवा लोगों को देखकर आश्चर्य और खुशी व्यक्त की। फा. अंतोनियो ने कहा “शायद यही बात मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित करती है।” फिर उसने कहा, “संत पापा ने देखा कि इंडोनेशिया में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले येसु समाजी कितने युवा हैं।”

उन्होंने कहा कि पोप ने येसु समाज, आत्मचिंतन तथा प्रार्थना के महत्व के बारे में बात की। फा. स्पादरो ने बताया, "उपस्थित पुरोहितों में से सबसे छोटे सदस्य ने उनसे पूछा कि उन्हें प्रार्थना करने का समय कब मिलता है, इसपर उन्होंने कुछ किस्से- कहानियाँ साझा की।"

उन्होंने कहा कि चर्चा किए गए विषय, इंडोनेशिया के अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों से जुड़े थे। उनमें  अंतरधार्मिक संवाद या सांस्कृतिक एकीकरण भी शामिल हैं जिस पर संत पापा ने बहुत जोर दिया।" एक येसु समाजी पुरोहित ने कहा, "संत पापा फ्राँसिस उन कलीसियाओं से प्यार करते हैं मैं जिन्हें 'शून्य' (0.…%) कलीसिया कहता हूँ। हम इंडोनेशिया में पूरे देश की जनसंख्या का मात्र 3% हैं, लेकिन फिर भी हमारी संख्या 8 मिलियन है देश में हमारी एक महत्वपूर्ण उपस्थिति है। फा. स्पादरो ने कहा, ख्रीस्तियों का लक्ष्य "देश के विकास में योगदान देना है, आटे में मिलाए गए खमीर की तरह होना है और यह संत पापा के लिए वास्तव में महत्वपूर्ण है। ख्रीस्तियों के लिए संदेश है कि वे संख्याओं से परे, आम भलाई के लिए पूरी तरह से सहयोग करें। संत पापा के लिए जीवन शक्ति और उत्पादक क्षमता महत्वपूर्ण है।"

पोप येसु समाजियों के साथ तिमोर-लेस्ते और सिंगापुर में भी मिलेंगे। फा. स्पादरो ने स्थानीय कलीसिया की विशिष्टताओं पर पोप के दृष्टिकोण की प्रशंसा की।

उन्होंने कहा, पोप फ्राँसिस इस भूमि में बहुलवादी संदर्भ में सद्भाव की संभावना देखते हैं, यहाँ  तक​​कि आज राष्ट्रपति ने भी सद्भाव और बहुलवाद के बारे में बातें की। मेरा मानना​​है कि यहां  भविष्य के लिए एक आशा है जौभी की दुनिया विभाजित और खंडित एवं ख़तरे में है। संत पापा भी इस वास्तविकता और भविष्य की खोज के लिए बहुत सचेत हैं।

अपने येसु समाजी भाइयों के साथ पोप के मुलाकात की एक पूरी प्रतिलिपि आमतौर पर रोम लौटने के कुछ हफ़्ते बाद येसु समाज द्वारा संपादित पत्रिका ‘ला चिविलता कतोलिका’ में प्रकाशित होती है।