अपने प्रभु-ईश्वर को अपने सारे हृदय, अपनी सारी आत्मा और अपनी सारी बुद्धि से प्यार करो।
यह सब से बड़ी और पहली आज्ञा है।
दूसरी आज्ञा इसी के सदृश है- अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो।
यदि तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर भी हो और तुम इस पहाड़ से यह कहो, ’यहाँ से वहाँ तक हट जा, तो यह हट जायेगा; और तुम्हारे लिए कुछ भी असम्भव नहीं होगा।