‘पीड़ित संसार में ईश्वर के प्रेम की आशा जगायें’, पोप फ्राँसिस

प्रभु के दुःखभोग को समर्पित धर्मसंघ के सदस्यों को संबोधित अपने संदेश में, पोप फ्राँसिस ने उन्हें प्रोत्साहित किया कि वे युद्ध, गरीबी और विभाजन से त्रस्त पीड़ित मानवता के लिए मसीह की मुक्तिदायी उपस्थिति की घोषणा जारी रखें।

पोप फ्राँसिस ने शुक्रवार को वाटिकन में प्रभु के दुःखभोग को समर्पित धर्मसंघ के सदस्यों का स्वागत किया, जिन्हें आमतौर पर पैशनिस्ट के रूप में जाना जाता है, जब वे रोम में अपने 48वें महासभा का समापन कर रहे हैं।

“मैं प्रस्तूत हूँ, मुझे भेज”
“मैं प्रस्तुत हूँ, मुझे भेज” विषयवस्तु पर आधारित महासभा ने इस बात पर चिंतन किया है कि 1720 में क्रूस के संत पॉल द्वारा स्थापित धर्मसंघ, दुनिया में प्रभु के दुःख की स्मृति को जीने और घोषित करने के अपने मिशन को पूरा करने के लिए हमारे कठिन समय की नई चुनौतियों का उचित तरीके से जवाब कैसे दे सकता है।

नबी इसायस के शब्दों से प्रेरणा लेते हुए, पोप फ्राँसिस ने पैशनिस्टों को प्रोत्साहित किया कि वे अपने संस्थापक के करिश्मे को सुरक्षित रखते हुए, सुसमाचार प्रचार के लिए नए रास्ते तलाशें और इस चुनौतीपूर्ण समय में सुसमाचार को साझा करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जारी रखें।

चिंतनशील जीवन को न छोड़ें
पोप ने कहा, “हमें दुनिया की सड़कों पर निकलकर, अपने विश्वास की गवाही के रूप में, स्थिर और नीरस बनने से बचना चाहिए।” साथ ही, उन्होंने उन्हें याद दिलाया कि इस तरह की पहुँच “केवल तभी प्रभावी होगी जब यह ईश्वर और मानवता के प्रति प्रेम की पूर्णता से निकले, चिंतनशील जीवन में, समुदाय के भीतर भाईचारे के रिश्तों में और आपसी सहयोग में जीया जाए।”

“चिंतनशील जीवन को न छोड़ें! आपके पास चिंतनशील जीवन की समृद्ध परंपरा है।” युद्ध मानवता के लिए बर्बादी है क्रूस के संत पॉल की गहन आध्यात्मिकता को याद करते हुए, विशेष रूप से क्रूस पर मसीह की मृत्यु को ईश्वर के प्रेम के अंतिम प्रदर्शन के रूप में उनकी समझ को याद करते हुए, पोप फ्रांसिस ने पैशनिस्टों से गरीबी, युद्ध, “मानवता के लिए बर्बादी”, सृष्टि के विनाश और कमजोर लोगों की अस्वीकृति से पीड़ित हमारे समय की पीड़ा में ख्रीस्त की मुक्तिदायी उपस्थिति की घोषणा करके उनकी विरासत को जारी रखने का आह्वान किया।

संत पापा ने कहा, "क्रूस के संत पॉल के अनमोल करिश्मे को जीवित रखने में वफ़ादार बने रहें। साक्ष्य, घोषणा, धर्मोपदेशों पर आधारित सुसमाचार प्रचार और ईश्वर के प्रेम की घोषणा करें जो मानव उद्धार के लिए येसु में दिया गया है। आपके संस्थापक ने इन सभी बातों को इसकी सबसे गहरी जड़ समझा।"

प्रेम आशा लाता है
यह देखते हुए कि यह अध्याय सिनॉडालिटी पर धर्मसभा के साथ मेल खाता है और 2025 जयंती के उद्घाटन के करीब है, जिसकी मुख्य विषयवस्तु आशा है, पोप फ्राँसिस ने टिप्पणी की कि यह गुण पैशनिस्टों के करिश्मे का भी केंद्र है जो उन्हें मानवीय पीड़ा के बीच भी अर्थ खोजने के लिए सशक्त बनाता है।

मरियम का उदाहरण
अपने संबोधन का समापन करते हुए, पोप ने पैशनिस्टों से आग्रह किया कि वे सत्य के शब्दों, करुणा के कार्यों और पीड़ितों को सांत्वना देनेवाली मौन उपस्थिति के साथ अपने मिशन को जीएँ, कुँवारी मरियम को ईश्वर की मुक्ति की योजना के लिए निःस्वार्थ सेवा के एक आदर्श के रूप में देखें। उन्होंने कहा, "माता मरियम के आदर्शों का अनुसरण करते हुए और उनकी मध्यस्थता से" "पैशनिस्ट अपने समर्पण और मिशन को, मुक्ति के संदेश को फैलाने की तात्कालिकता के रूप में जीयें।"