पोप फ्राँसिस: शांति हमारे दिलों में शुरू होती है
पोप ने हंगरी के तीर्थयात्रियों का स्वागत किया और लगभग एक साल पहले उनकी भूमि पर की गई प्रेरितिक यात्रा का स्मरण किया। संतों के उदाहरण का अनुसरण करते हुए शांतिप्रिय पुरुष और महिला बनने की जोरदार अपील की। संत पापा ने यूक्रेनी शरणार्थियों के प्रति आपका दिल खुला रखने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।
पोप फ्राँसिस ने वाटिकन के संत पापा पॉल षष्टम सभागार में हंगरी से आये करीब 1200 तीर्थयात्रियों का स्वागत इन शब्दों में किया, “मैं हंगेरियन धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष, धर्माध्यक्ष एंड्रास वेरेस, उपस्थित सभी धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, धर्मसंघियों और सभी विश्वासियों का स्वागत करता हूँ। मैं नागर अधिकारियों को बधाई देता हूँ, विशेष रूप से हंगरी के नए राष्ट्रपति श्री तामस सुलेओक का स्वागत करते हुए मुझे खुशी हो रही है। आपकी तीर्थयात्रा हंगरी की मेरी प्रेरितिक यात्रा के एक वर्ष बाद हो रही है, जिसे मैं बहुत कृतज्ञता के साथ अपने हृदय में रखता हूँ।”
पोप फ्राँसिस ने आज सुबह हंगरी के तीर्थयात्रियों से पहले उनके राष्ट्रपति तामस सुलेओक से मुलाकात की थी।
आशा के भविष्य का निर्माण
अपनी यात्रा को याद करते हुए पोप ने कहा कि पुलों और संतों के खूबसूरत शहर बुडापेस्ट में, उन्होंने एक तीर्थयात्री के रुप में उनके साथ प्रार्थना की थी। उन्होंने हंगरी के संतों स्टीनो, लैडिस्लाओ, एलिसबेता, एमेरिको का उल्लेख किया और एक साथ यूरोप के लिए, शांति स्थापित करने की इच्छा के लिए, युवा पीढ़ियों को युद्ध का नहीं, आशा का भविष्य देने के लिए; कब्रों से नहीं, पालनों से भरा भविष्य दीवारों की नहीं, भाइयों की दुनिया" के लिए प्रार्थना करने को कहा। संत पापा ने कहा कि प्रार्थना में हमेशा वर्तमान ऐतिहासिक संदर्भ में भी, अपने लोगों के बीच जन्मे संतों और धन्य लोगों के उदाहरण का अनुसरण करने की शक्ति और दृढ़ संकल्प मिले। “शांति तब मिलती है जब हम क्षमा करने का निर्णय लेते हैं, भले ही यह कठिन हो परंतु हमारा दिल खुशी से भर जाता है।”
शांति की बात करते हुए, एक बार फिर संत पापा की नज़र उन लोगों पर टिकी, जो समाज के हाशिये पर रहते हैं और स्वाभाविक रूप से पड़ोसी यूक्रेन पर है।
पोप ने कहा, “मैं आपको धन्यवाद देता हूँ क्योंकि युद्ध के कारण अपना देश छोड़ने वाले यूक्रेनी शरणार्थियों के प्रति आपका दिल खुला है और मैं समाज की परिधि पर रहने वाले लोगों को एकीकृत करने के आपके प्रयासों की भी सराहना करता हूँ।”
निकटता, कोमलता, करुणा: ईश्वर की शैली
पोप ने सभी से वर्तमान ऐतिहासिक संदर्भ में भी, हंगेरियन लोगों से निकले आस्था के कई नायकों के उदाहरण का अनुसरण करने का आग्रह किया, जिन्होंने कोमलता, निकटता, करुणा से बनी "ईश्वर की शैली" को अपनाया। इनमें से, धन्य विमोस एपोर, जिन्होंने शरणार्थी महिलाओं की निकटता और रक्षा के लिए अपने जीवन का अर्पित किया, युवा पुरोहित जानोस ब्रेनर, जिन्होंने यह संदेह किए बिना कि यह एक जाल था, प्रेरितिक उत्साह से प्रेरित होकर, एक कथित बीमार व्यक्ति के लिए पवित्र परमप्रसाद देने के लिए गए थे और बर्बरतापूर्वक मारे गये।
“लेने से बेहतर है देना”. पोप इसे हंगेरियन में कहते हैं - "जोब अदनी मन कपनी" - और लोगों से आग्रह करते हैं कि वे अपने विश्वास का साक्ष्य दें "सार्वभौमिकता में, पड़ोसियों के साथ संबंधों में, अलग-अलग लोगों के लिए भी दान का स्वागत करने में, हर मानव जीवन के सम्मान में और पर्यावरण के लिए जिम्मेदार देखभाल में।" दरअसल, खुद को समर्पित करने में ही हम खुद को पाते हैं और जीवन खाली नहीं रहता।
पोप ने उपस्थित युवाओं को जड़ों के महत्व की याद दिलाते हुए कहा, “मैं अब भी आपको अपने पहले की पीढ़ियों के साथ बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता हूँ। दादा-दादी से, अपने लोगों के बुज़ुर्गों से बात करें; जड़ों की तलाश करें, क्योंकि इस तरह आप भविष्य के लिए ठोस नींव रखेंगे। अपनी जड़ों की रक्षा करके आप आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ पाएंगे, जीवन देने वाले मूल्यों - परिवार, एकता, शांति - में खुद को मजबूत कर पाएंगे।”