पोप : ‘एकता को गले लगायें, विभाजन को अस्वीकार करें’

पोप फ्राँसिस ने रोम में रहने वाले नाइजीरियाई काथलिक समुदाय से मुलाकात की, उन्हें सुसमाचार के साक्ष्य हेतु धन्यवाद दिया और इस बात पर जोर दिया कि "आपके देश में जातीयताओं, सांस्कृतिक परंपराओं और भाषाओं की विविधता कोई समस्या नहीं है, बल्कि एक उपहार है।"

पोप फ्राँसिस ने वाटिकन के संत पापा पॉल षष्टम सभागार में रोम में रहने वाले नाईजीरिया के करीब 800 काथलिकों का स्वागत किया जो रोम में नाइजीरियाई काथलिक समुदाय की उपस्थिति के पच्चीस वर्ष पूरे होने के अवसर पर एकत्रित हुए हैं।

पोप ने कहा कि आज की तारीख 25 मार्च कई वजहों से अहम है। आम तौर पर, यह प्रभु के शरीरधारण के संदेश का उत्सव है, हालाँकि, इस वर्ष, पवित्र सप्ताह के कारण, प्रभु के शरीरधारण संदेश के समारोह को दूसरे दिन स्थानांतरित कर दिया गया है। ये दो वास्तविकताएँ, अर्थात्, प्रभु का शरीरधारण और बचाने वाले रहस्य जिन्हें हम पवित्र सप्ताह के दौरान स्मरण करते हैं। शब्द ने शरीर धारण कर हमारे बीच निवास किया (योहन 1:14), जीवित रहा, मरा और ईश्वर और मानवता के बीच मेल-मिलाप और शांति लाने के लिए फिर से जी उठा। सचमुच, प्रभु ने हमें अपना जीवन दिया है!

पोप फ्राँसिस ने समुदाय के जीवन के लिए महत्वपूर्ण तीन तत्वों पर संक्षेप में विचार किया: कृतज्ञता, विविधता में समृद्धि और संवाद।

पोप ने उन्हें सुसमाचार के आनंददायक संदेश की गवाही देने के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही नाइजीरिया के असंख्य युवाओं को भी याद किया जिन्होंने पुरोहिताई और धर्मसमाजी जीवन जीने के लिए प्रभु के आह्वान को सुना है और उदारता, विनम्रता और दृढ़ता के साथ जवाब दिया है। संत पापा ने कहा, “वास्तव में, येसु के प्रत्येक अनुयायी को, उसके विशेष बुलाहट के अनुसार, ईश्वर और पड़ोसी की प्रेमपूर्वक सेवा करने, मसीह को हमारे भाइयों और बहनों के जीवन में उपस्थित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आप हमेशा मिशनरी शिष्य बने रहें, कृतज्ञ बने रहें कि प्रभु ने आपको उनका अनुसरण करने के लिए चुना है और आपको उत्साह के साथ हमारे विश्वास का प्रचार करने और एक अधिक न्यायपूर्ण और मानवीय दुनिया के निर्माण में योगदान देने के लिए भेजा है।”  

पोप ने कहा कि उनके देश में जातीयताओं, सांस्कृतिक परंपराओं और भाषाओं की विविधता कोई समस्या नहीं है बल्कि एक उपहार है जो कलीसिया और बड़े समाज दोनों के ताने-बाने को समृद्ध करती है और आपसी समझ  सह-अस्तित्व के मूल्यों को बढ़ावा देती है। संत पापा ने अपनी आशा व्यक्त करते हुए कहा, “रोम में आपका समुदाय, नाइजीरियाई विश्वासियों और अन्य विश्वासियों का स्वागत करने और उनके साथ रहने में, हमेशा एक महान और समावेशी परिवार जैसा होगा जिसमें सभी अपने विभिन्न उपहारों और प्रतिभाओं, जो कि पवित्र आत्मा के फल हैं, का उपयोग कर सकते हैं। खुशी और दुख, सफलता और कठिनाई के क्षणों में एक-दूसरे का समर्थन करें और उन्हें मजबूत करें। ऐसा करके आप वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए सामाजिक मित्रता और सौहार्द के बीज बो सकेंगे।”

तीसरा-संवाद
अंततः पोप ने बातचीत करने और सबकी बात सुनने की सिफ़ारिश की। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से दुनिया के कई क्षेत्र संघर्ष और पीड़ा का सामना कर रहे हैं और नाइजीरिया भी एक कठिन दौर से गुजर रहा है।

पोप ने उनके राष्ट्र की सुरक्षा, एकता और आध्यात्मिक एवं आर्थिक प्रगति के लिए प्रार्थना" का आश्वासन दिया और उन्हें "बातचीत को बढ़ावा देने, राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक स्तर पर किसी को भी बाहर किए बिना, खुले दिल से एक-दूसरे को सुनने के लिए आमंत्रित किया।" 

ईश्वर की "शैली"
साथ ही, पोप ने उन्हें "ईश्वर की महान दया के अग्रदूत" बनने, मेल-मिलाप के लिए काम करने और "गरीबों और सबसे जरूरतमंदों के बोझ को कम करने" में योगदान देने और "भगवान की शैली" को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।

पोप फ्राँसिस ने जोर देकर कहा, "यह मत भूलें कि ईश्वर की शैली निकटता, करुणा और कोमलता है और इस शैली को अपनाकर, "सभी नाइजीरियाई भाईचारे की एकजुटता और सद्भावना में एक साथ चलना जारी रख सकते हैं।"