पोप : धार्मिक मूल्यों के प्रति सम्मान की कमी असहिष्णुता को जन्म देती है
29-30 नवंबर को वाटिकन में आयोजित "सभी धर्मों के सम्मेलन" में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, पोप फ्राँसिस ने "असहिष्णुता और घृणा" से चिह्नित वैश्विक संदर्भ में संवाद के मूल्य पर प्रकाश डाला।
पोप फ्राँसिस ने शनिवार 30 नवंबर को वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में श्री नारायण गुरु द्वारा आयोजित प्रथम “सर्व धर्म सम्मेलन” की शताब्दी मनाने के लिए आयोजित सम्मेलन में भाग लेने वालों से मुलाकात की।
श्री नारायण गुरु समाज सुधारक
पोप ने कहा, “शिवगिरी मठ के सम्मानित स्वामी और श्री नारायण गुरु के अनुयायी और मित्रों, मैं आप सभी का स्वागत करते हुए प्रसन्न हूँ, जो विभिन्न धार्मिक परंपराओं से जुड़े हैं और जो आध्यात्मिक नेता और समाज सुधारक श्री नारायण गुरु द्वारा आयोजित प्रथम “सर्व धर्म सम्मेलन” की सौवीं वर्षगांठ मनाने के लिए केरल, भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों से आए हैं। मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि आप भारत और एशिया में अंतरधार्मिक संवाद के इतिहास में इस महत्वपूर्ण घटना को मनाने के लिए अंतरधार्मिक संवाद विभाग के समर्थन से आयोजित अंतरधार्मिक सम्मेलन में भाग लेंगे।”
"बेहतर मानवता के लिए सभी धर्म एक साथ"
पोप ने सम्मेलन के लिए चुने गये विषय, “एक बेहतर मानवता के लिए सभी धर्म एक साथ”, को हमारे समय के लिए काफी प्रासंगिक और महत्वपूर्ण बताया। संत पापा ने कहा कि श्री नारायण गुरु ने अपने जीवन को सामाजिक और धार्मिक जागृति को बढ़ावा देने के लिए समर्पित कर दिया। उनका संदेश स्पष्ट था। सभी मनुष्य, चाहे उनकी जातीयता या उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएँ कुछ भी हों, एक ही मानव परिवार के सदस्य हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी के साथ किसी भी तरह से और किसी भी स्तर पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। उनका संदेश आज की हमारी दुनिया के लिए प्रासंगिक है, जहाँ हम लोगों और राष्ट्रों के बीच असहिष्णुता और घृणा के बढ़ते उदाहरण देखते हैं। दुख की बात है कि भेदभाव और बहिष्कार, जातीय या सामाजिक मूल, नस्ल, रंग, भाषा और धर्म के आधार पर तनाव और हिंसा का प्रदर्शन कई व्यक्तियों और समुदायों का दैनिक अनुभव है, खासकर गरीबों, शक्तिहीनों और बिना आवाज़ वाले लोगों के बीच।
सभी मनुष्य अधिकारों, कर्तव्यों और सम्मान में समान
पोप ने कहा कि अल-अज़हर के ग्रैंड इमाम अहमद अल-तैयब के साथ हस्ताक्षर किए गये मानव बंधुत्व पर दस्तावेज़ में हम पाते हैं कि ईश्वर ने "सभी मनुष्यों को अधिकारों, कर्तव्यों और सम्मान में समान बनाया है, और उन्हें भाई-बहनों के रूप में एक साथ रहने के लिए बुलाया है" (अबू धाबी, 4 फरवरी 2019)। सभी धर्म इस मौलिक सत्य को सिखाते हैं कि एक ईश्वर की संतान होने के नाते हमें एक-दूसरे से प्यार और सम्मान करना चाहिए, भाईचारे और समावेश की भावना से विविधताओं और मतभेदों का सम्मान करना चाहिए, और एक-दूसरे और पृथ्वी, हमारे आम घर का ख्याल रखना चाहिए। धर्मों की महान शिक्षाओं का पालन न करना उन कारणों में से एक है, जो आज हमारी दुनिया को परेशान करने वाली स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं। हमारे समकालीन धार्मिक परंपराओं की उदात्त शिक्षाओं के मूल्य को तभी फिर से खोज पाएंगे, जब हम सभी उनके अनुसार जीने का प्रयास करेंगे और सभी के साथ भाईचारे और मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित करेंगे, जिसका एकमात्र उद्देश्य विविधता के बीच एकता को मजबूत करना, मतभेदों के बीच सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व सुनिश्चित करना और उन कठिनाइयों और चुनौतियों के बावजूद शांति निर्माता बनना है, जिनका हम सामना करने के लिए बाध्य हैं।
"एक दूसरे से प्रेम करें और सम्मान करें": एक साझा सत्य
पोप ने कहा कि अपनी-अपनी धार्मिक परंपराओं के अनुयायियों के रूप में, हमें हमेशा "सम्मान, गरिमा, करुणा, मेल-मिलाप और भाईचारे की एकजुटता की संस्कृति" (इस्तिकलाल की संयुक्त घोषणा, 5 सितंबर 2024) को बढ़ावा देने में सभी अच्छे इरादों वाले लोगों के साथ सहयोग करना चाहिए। इस तरह, हम व्यक्तिवाद, बहिष्कार, उदासीनता और हिंसा की संस्कृति को हराने में मदद कर सकते हैं। संत पापा ने अंत में कहा कि वे आध्यात्मिक सत्य और मूल्यों से आकर्षित होकर अपनी धार्मिक मान्यताओं और दृढ़ विश्वासों में दृढ़ता से निहित और प्रतिबद्ध होवें और एक बेहतर मानवता के निर्माण के लिए मिलकर काम करें!
पोप ने उनकी उपस्थिति और विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के बीच संवाद और समझ के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद दिया और अपनी प्रार्थनाओं का आश्वासन दिया।