‘फिलिस्तीन और इज़राइल में संघर्ष समाप्त हो’, पोप फ्राँसिस

पोप ने रविवार को रविवारीय सुसमाचार पाठ पर चिंतन, वियतनाम और म्यांमार में बाढ़ पीड़ितों, एएलएस से पीड़ित लोगों और युद्धरत देशों को याद करते हुए 4 ट्वीट किया।

वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 15 सितम्बर को पोप फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना के पूर्व रविवारीय सुसमाचार पाठ पर चिंतन करते हुए, याद दिलाया कि प्रभु को जानना महत्वपूर्ण है, लेकिन उनका अनुसरण करना और उनके सुसमाचार द्वारा स्वयं को परिवर्तित होने देना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

 इसी के मद्देनजर पोप ने सोशल मिडिया के एक्स पर लिखा।

पहला संदेशः “प्रभु को जानने के लिए, उनके बारे में कुछ जानना ही पर्याप्त नहीं है। हमें उनका अनुसरण करना चाहिए, उनके सुसमाचार से प्रेरित और परिवर्तित होने देना चाहिए और उनके साथ एक रिश्ता बनाना चाहिए - एक ऐसी मुलाकात जो हमारे जीवन को बदल देती है।”

रविवार को देवदूत प्रार्थना के बाद, पोप फ्राँसिस ने वियतनाम और म्यांमार में बाढ़ पीड़ितों के लिए प्रार्थना की, एएलएस से पीड़ित लोगों को याद किया, तथा एक बार फिर युद्धरत देशोः यूक्रेन, म्यांमार मध्य पूर्व, फिलिस्तीन और इज़राइल में शांति की अपील की। इसी के मद्देनजर पोप ने सोशल मिडिया के एक्स पर चार संदेश लिखाः-

दूसरा संदेश: “आज इटली में हम एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (एएलएस) से पीड़ित लोगों का दिवस मना रहे हैं। मैं उन्हें और उनके परिवारों को आश्वस्त करता हूँ कि मैं उन्हें प्रार्थना में याद रखूँगा; मैं इस बीमारी पर शोध कार्य और स्वैच्छिक संगठनों को प्रोत्साहित करता हूँ”।

विदित हो कि एएलएस रीढ़ की हड्डी के तंत्रिका कोशिका को प्रभावित करने वाली एक बीमारी, जो मांसपेशियों की प्रगतिशील कमजोरी का कारण बनती है।

तीसरा संदेश: “मैं वियतनाम और म्यांमार के लोगों के प्रति अपनी निकटता व्यक्त करता हूँ, जो भयंकर तूफान के कारण आई बाढ़ से पीड़ित हैं। मैं मृतकों, घायलों और विस्थापितों के लिए प्रार्थना करता हूँ। ईश्वर उन लोगों को सहारा दे जिन्होंने अपने प्रियजनों और अपने घरों को खो दिया है, और उन लोगों को आशीर्वाद दे जो सहायता पहुँचा रहे हैं”।

चौथा संदेश: (अ) “हमें उन युद्धों को नहीं भूलना चाहिए जो दुनिया भर में खून बहा रहे हैं। मैं शहीद यूक्रेन, म्यांमार और मध्य पूर्व के बारे में सोचता हूँ। कितने मासूम पीड़ित हैं! मैं उन माताओं के बारे में सोचता हूँ जिन्होंने युद्ध में अपने बच्चों को खो दिया है। कितने युवाओं के जीवन समाप्त हो गए हैं!”

(ब) “फिलिस्तीन और इज़राइल में संघर्ष समाप्त हो! हिंसा और घृणा समाप्त हो! बंधकों को रिहा किया जाए, बातचीत जारी रहे और शांति के लिए समाधान खोजा जाए।”