सिंगापुर में जेसुइट भाइयों के संग पोप फ्रांसिस

सिंगापुर की अपनी प्रेरितिक यात्रा के पहले दिन, बुधवार को, पोप फ्रांसिस की एकमात्र मुलाकात देश में सेवारत अपने जेसुइट भाइयों के साथ "गर्मजोशी और भाईचारे भरी" मुलाकात रही।

सिंगापुर की अपनी प्रेरितिक यात्रा के पहले दिन, बुधवार को, पोप फ्रांसिस की एकमात्र मुलाकात देश में सेवारत अपने जेसुइट भाइयों के साथ "गर्मजोशी और भाईचारे भरी" रही। लगभग एक घंटे तक चली बातचीत के दौरान येसु धर्मसमाज तथा सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के मार्गदर्शक कहलाये जानेवाले येसु धर्मसमाजी मातेओ रिच्ची तथा फादर पेद्रो आरूपे के योगदान को भी याद किया गया।

भ्रातृत्वपूर्ण मुलाकात
इटली से बाहर अपनी 45 वीं प्रेरितिक के अन्तिम चरण में पोप फ्रांसिस सिंगापुर की यात्रा कर रहे हैं। बुधवार को सेन्ट फ्राँसिस ज़ेवियर साधनालय में पोप ने लगभग 25 जेसुइट भाइयों से मुलाकात की। परमधर्मपीठीय शिक्षा एवं संस्कृति सम्बन्धी परिषद के उपायुक्त फादर अन्तोनियो स्पादारो भी इस अवसर पर  मौजूद थे, जिन्होंने बताया कि सन्त पापा के साथ उनके जेसुइट भाइयों की मुलाकात हमेशा की तरह, यह एक बहुत ही हृदयस्पर्शी, गर्मजोशीपूर्ण और भाईचारे वाली बैठक थी।   

फादर स्पादारो ने कहा कि पोप ने तुरंत सवालों के लिए मंच खोल दिया, जिनमें विविध और चुनौतीपूर्ण विषय शामिल थे। उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम कलीसिया के समक्ष आनेवाली चुनौतियों पर उन्होंने प्रश्न किये। उन्होंने कहा, "पोप ने यह स्पष्ट किया कि आस्था और विश्वास को मानवीय चुनौतियों में शामिल होना चाहिए,  एशिया विश्व का एक प्रमुख महत्वपूर्ण महाद्वीप है जिसमें चुनौतियाँ अनेक हैं, "इसलिए एशियाई भूमि पर येसु धर्मसमाजियों के समक्ष बहुत ही अनोखी चुनौतियां हैं जिनका सामना विश्वासपूर्वक करने के लिये वे बुलाये गये हैं।"

प्रार्थना का महत्व
प्रार्थना के महत्व को रेखांकित पोप ने कहा कि यह एक चुनौती है, कि हम “फादर पेद्रो आरूपे के आदर्श का अनुसरण करते हुए प्रार्थना की भावना के साथ समाज द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों का अनवरत सामना करें”। फादर आरूपे स्पेन के एक जेसुइट मिशनरी थे जो 1965 से 1983 तक येसु धर्मसमाज के प्रमुख यानि सुपीरियर जनरल थे। फादर आरूपे को प्रभु सेवक रूप में घोषित किया जा चुका है तथा इस समय उनकी सन्त प्रकरण प्रक्रिया जारी है।

फादर आरूपे के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा के उपरान्त पोप फ्राँसिस ने फादर मातेओ रिच्ची का भी ध्यान किया जो चीन में सेवारत थे तथा जो वहाँ के जेसुइट भाइयों के लिये सन्दर्भ बिन्दु बन गये हैं। 15 वीं शताब्दी के फादर मातेओ एक इतालवी जेसुइट, गणितज्ञ और मानचित्रकार थे। 19 अप्रैल 1984 को पोप जॉन पॉल द्वितीय द्वारा उन्हें प्रभु सेवक घोषित किया गया था, जबकि 17 दिसंबर 2022 को पोप फ्रांसिस द्वारा उन्हें आदरणीय की उपाधि दी गई थी। चीन के मिंग राजवंश के समय फादर मतेओ रिच्ची ने सुसमाचार प्रचार कार्य के लिए एक मजबूत प्रेरणा दी थी, जिसके लिये वे चीन के महानतम मिशनरियों में से एक के रूप में विख्यात हो गये।