विश्व में सिंगापुर की भूमिका अद्वितीय, पोप फ्राँसिस

सिंगापुर में पोप फ्राँसिस ने विश्व में इस देश की अद्वितीय भूमिका को प्रकाशित करते हुए कहा कि सिंगापुर "प्राथमिक महत्व का एक वाणिज्यिक चौराहा और एक ऐसा स्थान है जहाँ विभिन्न लोग मिलते हैं"।

सिंगापुर में पोप फ्राँसिस ने विश्व में इस देश की अद्वितीय भूमिका को प्रकाशित करते हुए कहा कि सिंगापुर "प्राथमिक महत्व का एक वाणिज्यिक चौराहा और एक ऐसा स्थान है जहाँ विभिन्न लोग मिलते हैं"। उन्होंने सिंगापुर के विकास, प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने में उसके लचीलेपन और सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता की प्रशंसा की तथा समावेशिता, पर्यावरणीय स्थिरता और सार्वजनिक भलाई के लिए निरंतर प्रयास करते रहने का आग्रह किया।

सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु पोप फ्राँसिस इस समय सिंगापुर की प्रेरितिक यात्रा पर हैं। 02 सितम्बर को वे एशिया एवं ओसियाना के इन्डोनेशिया, पापुआ न्यू गिनी, तिमोर लेस्ते तथा सिंगापुर देशों की 11 दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के लिये रोम से रवाना हुए थे। 13 सितम्बर को सन्त पापा फ्रांसिस पुनः रोम लौट रहे हैं।  

"सामंजस्यपूर्ण" सह-अस्तित्व
सिंगापुर के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, नागर समाज के प्रतिनिधियों और राजनयिक दल के सदस्यों को संबोधित करते हुए पोप फ्राँसिस ने "तर्कसंगत निर्णय" और सावधानीपूर्वक योजना के माध्यम से देश में हुए त्वरित विकास की सराहना की। साथ ही, सिंगापुर को केवल आर्थिक विकास के क्षेत्र में ही नहीं अपितु सामाजिक न्याय एवं सामान्य जन कल्याण के क्षेत्र में भी अन्य देशों के लिये एक आदर्श निरूपित किया।

डिजिटल युग में भी सामाजिक रिश्तों को बरकरार रखने तथा देश में विभिन्न जातियों, संस्कृतियों और धर्मों के बीच "सामंजस्यपूर्ण" सह-अस्तित्व के लिये सिंगापुर की उन्होने भूरि-भूरि प्रशंसा की। हालांकि, सन्त पापा ने "व्यावहारिकता या योग्यता को सभी चीजों से ऊपर रखने" के जोखिम के खिलाफ भी चेतावनी दी, जो, अनजाने में हाशिए पर पड़े लोगों को बाहर कर सकता है। इस संबंध में, उन्होंने ग़रीबों और बुजुर्गों को याद रखने और आप्रवासी श्रमिकों की गरिमा की रक्षा करने के महत्व पर ज़ोर दिया।

आप्रवासी उत्कंठा
इसी बीच वाटिकन न्यूज़ से बातचीत में सिंगापुर में येसु धर्मसमाज द्वारा संचालित आप्रवासी सेवा केन्द्र की प्रमुख कैरोलीन सोए ने आप्रवासियों और "राज्यविहीनों की दुर्दशा" के प्रति पोप फ्रांसिस की निरंतर चिन्ता के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने कहा, "सिंगापुर और अन्य जगहों पर बहुत से लोग शरणार्थियों को अवांछित व्यक्ति मानते हैं। हमें उम्मीद है कि पोप फ्रांसिस की हमारे देश की यात्रा से राज्यविहीन लोगों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता बढ़ेगी।"

संयुक्त राष्ट्र संघीय शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के अनुसार, 2023 के अंत तक दुनिया भर में कम से कम 11 करोड़ लोग उत्पीड़न, संघर्ष, हिंसा, मानवाधिकार उल्लंघन या सार्वजनिक व्यवस्था के उथल-पुथल के फलस्वरूप बलात विस्थापित हुए। इस चौंका देने वाली वृद्धि का कारण नए और चल रहे दोनों संघर्ष हैं, जिसमें सूडान में मानवीय संकट के कारण लगभग साठ लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं, फिर 2021 में सैन्य अधिग्रहण के बाद से म्यांमार में बढ़ती हिंसा और गाज़ा में जारी संघर्ष की वजह से 75 प्रतिशत से अधिक आबादी विस्थापित हो गई है।

अपने छोटे आकार, सीमित भूमि और उच्च जनसंख्या घनत्व को देखते हुए, सिंगापुर शरणार्थी या शरण का दर्जा चाहने वाले व्यक्तियों को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं है। तथापि, यह देश संयुक्त राष्ट्र संघीय परियोजनाओं में आर्थिक रूप से योगदान दे रहा है। कैरोलीन सोए ने कहा, सिंगापुर बढ़ते शरणार्थी संकट से भली-भांति परिचित है तथा इस संकट के निपटारे के लिये विश्व भर में अपने समकक्षों के साथ मिलकर काम कर रहा है।

सिंगापुर में येसु धर्मसमाज द्वारा संचालित आप्रवासी सेवा हाशिये पर जीवन यापन करनेवाले युवाओं को  प्रमाणित शैक्षिक पाठ्यक्रम, जीवन कौशल और भविष्य का सामना करने के लिये कार्यशालाएं प्रदान करता है, तथा शरणार्थी समुदायों के लिए वर्चुअल इंटर्नशिप की सुविधा भी प्रदान करता है।

राष्ट्रपति शानमुकारतनम  
गुरुवार को सिंगापुर में अपनी आधिकारिक यात्रा का शुभारम्भ करते हुए पोप फ्राँसिस ने सिंगापुर के संसद भवन में सिंगापुर के राष्ट्रपति थारमन शानमुकारतनम तथा प्रधान मंत्री लॉरेन्स वॉन्ग से औपचारिक मुलाकात की तता इसके बाद सिंगापुर के वरिष्ठ सरकारी एवं नागर अधिकारियों तथा राजनयिक कोर को सम्बोधित किया।  

राष्ट्रपति थारमन शानमुकारतनम ने पार्लियामेन्ट हाऊस में पोप फ्राँसिस के आदर में अभिवादन पत्र पढ़ा, जिसमें उन्होंने स्मरण दिलाया कि सिंगापुर में सन्त पापा फ्राँसिस की यात्रा काथलिक कलीसिया के दूसरे परमाध्यक्ष की यात्रा है, क्योंकि 38 साल पहले सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने सिंगापुर की प्रेरितिक यात्रा की थी। इस अवसर पर उन्होंने सांस्कृतिक विविधता, जलवायु संकट और पर्यावरण की सुरक्षा की चर्चा की तथा इन मुद्दों पर सन्त पापा फ्रांसिस द्वारा प्रकाशित विश्व पत्र लाओदातो सी तथा विभिन्न अवसरों पर उनके अपीलों को याद किया।    

काथलिक कलीसिया के योगदान के लिये धन्यावद ज्ञापित करते हुए राष्ट्रपति शानमुकारतनम ने कहाः मैं काथलिक कलीसिया के प्रति आभारी हूँ, जिसने पिछले कई दशकों में सिंगापुर को प्रत्यक्ष और ठोस योगदान दिया है। मैं शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक कल्याण से जुड़ी काथलिक संस्थाओं की बात कर रहा हूँ, जिनकी सेवाओं से  सिंगापुर की सभी जातियों और सभी धर्मों के लोग लाभान्वित हुए हैं।