मेजोगोरे युवा महोत्सव के प्रतिभागियों से पोप : कुँवारी मरियम के समान सच्चे शिष्य बनें

पोप फ्राँसिस ने मेजोगोरे युवा महोत्सव के प्रतिभागियों को संदेश भेजा है तथा उन्हें आमंत्रित किया है कि वे ईश वचन को अपनाने तथा अपने मिशन को ईमानदारी से पूरा करने के लिए माता मरियम का अनुकरण करें।

पोप फ्राँसिस ने शुक्रवार 2 अगस्त को 35वें मेजोगोरे युवा महोत्सव के प्रतिभागियों को एक संदेश भेजा, जो 1-6 अगस्त तक आयोजित है। अपने संदेश में पोप ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि वे इस महोत्सव में भाग लेनेवाले सभी लोगों को संबोधित कर पा रहे हैं जिसकी विषयवस्तु है: "मरियम ने उत्तम भाग चुना लिया है"।

इस कथन के आधार पर, पोप फ्राँसिस ने युवाओं को उनके आध्यात्मिक विकास और कलीसिया तथा विश्वव्यापी प्रतिबद्धता के उद्देश्य से कुछ संक्षिप्त सुझाव दिए।

सच्चे शिष्य
पोप फ्राँसिस ने अपना संदेश उन लोगों को समर्पित किया जिन्हें उन्होंने "सच्चे शिष्य" कहा। उन्होंने समझाया कि "लाजरूस और मरियम की बहन मार्था से येसु ने जो कुछ कहा था, आज उन्हें याद दिला रहे हैं, एक सच्चे शिष्य का दृष्टिकोण प्रभु के वचन को सुनना है। मरियम को एहसास होता है कि प्रभु उसके घर में प्रवेश कर चुके हैं, लेकिन वे उसके हृदय में भी प्रवेश करना चाहते हैं। इसलिए वह प्रभु की बात सुनने के लिए उनके चरणों में बैठ जाती है, इस प्रकार उसने बेहतर हिस्सा चुना, जो 'उससे छीना नहीं जाएगा।"

मरियम की तरह
पोप ने आगे कहा, एक और सच्ची शिष्य हैं नाजरेथ की मरियम। उन्होंने बताया कि ईश्वर ने उनके घर में प्रवेश किया और उनसे बात की। उन्होंने ईश्वर के वचन को अपने हृदय में स्वागत किया, उनकी योजना में भाग लिया और जब ईश्वर ने अपने पुत्र को भेजा तो उन्होंने खुद को पूरी तरह से समर्पित कर दिया। जब येसु ने दुनिया को मुक्ति दिलायी तो वे क्रूस के नीचे उपस्थित थीं और जब कलीसिया का जन्म हुआ तो पेंतेकोस्त के दिन प्रेरितों के साथ थीं। ईश्वर के वचन को अपनाकर, कुँवारी मरियम ने ईमानदारी से अपना मिशन पूरा करने के लिए बेहतर भाग : प्रभु येसु को चुना।

पोप ने कहा, " प्यारे मित्रो, इसी तरह, आप मसीह के सच्चे शिष्य बनने के लिए बुलाये गये हैं।" उन्होंने उपस्थित युवाओं को ईश्वर के वचन पर चिंतन करने के लिए गुरु की उपस्थिति में रहने हेतु आमंत्रित किया, और कहा कि वे अपने मन और हृदय को आलोकित करने दें ताकि पिता द्वारा उनमें से प्रत्येक के लिए बनाई गई योजना की खोज कर सकें और उसमें सहयोग कर सकें। "इस कारण से", उन्होंने आगे कहा, "मैं आपको सुसमाचार के साथ एक करीबी रिश्ता बनाने और इसे अपने साथ रखने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ, ताकि यह एक कम्पास के रूप में कार्य करे जो आगे बढ़ने के मार्ग को दिखलाता है।"

आत्मा में सुदृढ़ एवं होशियार बनें
पोप ने आगे बताया कि, "एक सच्चा शिष्य, जो आत्मा में बुद्धिमान और मजबूत बनता है, वह आवश्यक रूप से दूसरों को ईश्वर के राज्य का संदेश देता है क्योंकि उनके वचन की घोषणा करना केवल पुरोहितों और धर्मसमाजियों का नहीं है बल्कि प्यारे युवाओं, आप सभी के लिए भी एक दायित्व है।" उन्होंने उपस्थित प्रत्येक युवा को प्रोत्साहित किया कि वे अपने परिवारों में, अपने शैक्षिक और कार्य के वातावरण में एवं अपने खाली समय में ख्रीस्त से बात करने का साहस करें। "उनकी घोषणा खासकर अपने जीवन से करें, अपने अस्तित्व में, अपनी दैनिक प्रतिबद्धता में और हर ठोस निर्णय में सुसमाचार के साथ सुसंगतता में ख्रीस्त की प्रत्यक्ष उपस्थिति को प्रकट करें।"

अंततः संत पापा ने हरेक युवा को माता मरियम, कलीसिया की माता को समर्पित किया, "ताकि वे हमारी मध्यस्थता करे, कि हम ईश्वर से बात करने और ईश्वर के विषय में बोलने का सामर्थ्य और बुद्धि प्राप्त कर सकें।"