फिनलैण्ड के एकतावर्द्धक शिष्ठमण्डल से पोप फ्राँसिस

फिनलैण्ड के ख्रीस्तीय एकतावर्द्धक शिष्ठमण्डल का शुक्रवार को वाटिकन में स्वागत करते हुए पोप फ्राँसिस ने तीर्थयात्री कलीसिया के मिशन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बपतिस्मा प्राप्त सभी ख्रीस्तानुयायी हमारे सामान्य लक्ष्य प्रभु येसु ख्रीस्त की ओर एक साथ तीर्थयात्रा में संलग्न हैं।  

"हमारे पिता ईश्वर और प्रभु येसु मसीह की ओर से आप सबको अनुग्रह और शांति", रोमियों को प्रेषित सन्त पौल के पत्र से लिये इन शब्दों से एकतावर्द्धक शिष्ठमण्डल का स्वागत करते हुए पोप ने परम्परागत रूप से सन्त हेनरिक का पर्व मनाने हेतु रोम की यात्रा करने के लिये फिनलैण्ड के शिष्ठमण्डल के सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। विशेष रूप से उन्होंने हेलसिन्की के काथलिक धर्माध्यक्ष रायमो तथा धर्माध्यक्ष आस्ट्रान्ड के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया जिनके नेतृत्व में शिष्ठमण्डल रोम पहुँचा है।  

पोप ने कहा कि बपतिस्मा प्राप्त सभी ख्रीस्तानुयायी हमारे सामान्य लक्ष्य प्रभु येसु ख्रीस्त की ओर एक साथ तीर्थयात्रा में संलग्न हैं और यह लक्ष्य दूर नहीं है इसलये कि ख्रीस्त की दया असीम है जिन्होंने ख़ुद हमारी मुक्ति के लिये इस धरती पर देहधारण किया, ताकि हम इस दुनिया में प्रस्तुत चौराहों और झूठे रास्तों के बीच से गुज़रते हुए  सुरक्षित यात्रा कर सकें।।   

पोप ने कहा, "संत हमारे भाई-बहन हैं जिन्होंने इस यात्रा को पूरा किया है और अपने परमलक्ष्य तक पहुंचे हैं। वे मसीह के जीवित गवाह हैं, जो मार्ग, सत्य और जीवन है। वे हमें शिष्यत्व के मार्ग पर बने रहने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, उस समय भी जब हम संघर्ष करते हैं और गिरते हैं। ईश्वर द्वारा प्रज्वलित दीपक की तरह, वे हमारे सामने रास्ता रोशन करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित कर सकें कि हम लगातार अपने लक्ष्य प्रभु येसु मसीह तथा धरती पर उनके मिशन को ध्यान में रखें।"

उन्होंने स्मरण दिलाया कि सन्तगण सन्त पौल के सदृश हमसे कहते हैं, "ईश्वर के कृपापात्र बनें क्योंकि ईश्वर आपसे प्यार करते और आपको पवित्रता में अग्रसर होने के लिये आमंत्रित करते हैं।" उत्तरी यूरोप के सन्तों का उदाहरण पेश कर सन्त पापा ने कहा, उत्तरी यूरोप में सन्त ब्रिजिड, सन्त हेनरिक और सन्त ओलाफ जैसे महान सन्त हुए हैं जिन्होंने इस धरती पर येसु ख्रीस्त और उनके सुसमाचार का साक्ष्य प्रदान किया और हमारे आदर्श बने। उन्होंने कहा कि इन्हीं सन्तों के पदचिन्हों पर चलकर हम ख्रीस्तीयों के बीच पूर्ण एकता के लिये काम करें।

सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय के विश्व पत्र "ऊत ऊनुम सिन्त" का स्मरण दिलाते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने वाटिकन के सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में सम्पन्न प्रार्थना समारोह को याद किया जिसमें उन्होंने लूथरन ख्रीस्तीय धर्माध्यक्षों  तथा स्वीडन एवं फिनलैण्ड के महाधर्माध्यक्षों के साथ मिलकर सन्त ब्रिजिड की सन्त घोषणा की छठी शताब्दी के अवसर पर सान्ध्य वन्दना का पाठ किया था। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए एक उदाहरण हो सकता है, क्योंकि एकता के लिए प्रार्थना करने के कर्तव्य के बारे में जागरूकता कलीसियाई जीवन का एक अभिन्न अंग बन गई है।"

2030 में सन्त ओलाफ के निधन की सहस्राब्दी मनाई जा रही है, इस सन्दर्भ में पोप फ्राँसिस ने कहा यदि यह मौका एकता के लिए हमारी प्रार्थना और एक साथ हमारी तीर्थयात्रा को प्रेरित कर सकता है, तो यह संपूर्ण विश्व में ख्रीस्त के अनुयायियों के बीच एकता हेतु एक अमूल्य वरदान सिद्ध होगा।

जनवरी माह में जारी ख्रीस्तीय एकता सप्ताह के सन्दर्भ में पोप ने कहा कि इसकी सफलता हेतु हम सब मिलकर प्रभु ईश्वर से प्रार्थना करें ताकि एकता हेतु हमारे प्रयास पवित्रआत्मा की प्रेरणा से प्रेरित रहें जो हमें कलीसिया और समाज के सबसे निर्धन और कमज़ोर लोगों की सेवा में एकजुट करते हैं। उन्होंने कहा कि इन कमज़ोर लोगों में वे भी शामिल हैं जो अपने आप को ईश्वर द्वारा परित्यक्त पाते हैं तथा जिन्होंने इस कारण  विश्वास और आशा का परित्याग कर दिया है।