पोप लियो 13वें का समय और हमारा समय

इतिहास के प्रोफेसर डोनाल्ड प्रुडलो ने वाटिकन न्यूज के साथ पोप लियो 14वें के नामों के चयन के बारे में बात की, जिसमें उन्होंने 19वीं शताब्दी में लियो 13वें के सामने आनेवाली चुनौतियों और आज की दुनिया के बीच समानताओं पर ध्यान केंद्रित किया।

अपने चुनाव के बाद पहली बार कार्डिनल मंडल से औपचारिक मुलाकात करते हुए पोप लियो 14वें ने  पोप के रूप में अपने नाम के चयन के कारणों के बारे बतलाया। उन्होंने कहा, "इसके लिए अलग-अलग कारण हैं", उन्होंने बताया कि लियो नाम उन्होंने इसलिए चुना क्योंकि "मुख्य रूप से पोप लियो 13वें ने अपने ऐतिहासिक विश्वपत्र रेरूम नोवारूम में पहली महान औद्योगिक क्रांति के संदर्भ में सामाजिक प्रश्न को संबोधित किया था।"

उन्होंने आगे कहा, "हमारे समय में, कलीसिया प्रत्येक व्यक्ति को एक और औद्योगिक क्रांति एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में विकास के जवाब में अपनी सामाजिक शिक्षा का खजाना प्रदान करती है, जो मानव सम्मान, न्याय और श्रम की रक्षा के लिए नई चुनौतियाँ पेश कर रहा है।"

ओक्लाहोमा के तुलसा विश्वविद्यालय में काथलिक अध्ययन के वॉरेन अध्यक्ष डॉ. डोनाल्ड प्रुडलो कहते हैं, पोप लियो 13वें “गहन सामाजिक परिवर्तन के समय में जिये, एक ऐसा समय जब कलीसिया को उस समय की कई महत्वपूर्ण सामाजिक समस्याओं के उत्तर की आवश्यकता थी।”

लियो 13वें की तरह, हम भी “बहुत बड़े सामाजिक परिवर्तन के दौर” में जी रहे हैं, जो न केवल कलीसिया और उसकी शिक्षाओं को चुनौती दे रहा है “बल्कि मानवता की गरिमा को भी चुनौती दे रहा है।” डॉ. प्रुडलो कहते हैं कि पोप लियो 14वें ने अपना नाम चुनकर यह दर्शाया है कि कलीसिया मानवता और मानवीय गरिमा के लिए चुनौतियों से भरी “इन बहुत गंभीर समस्याओं” से निपटेगी, विशेष रूप से, कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा उत्पन्न समस्याओं से।

पोप लियो 13वें के समय की तरह, कलीसिया और दुनिया “केवल परिवर्तनों के युग का अनुभव नहीं कर रही है, बल्कि यह युग परिवर्तन है, जैसा कि पोप फ्रांसिस ने वर्णित किया है।

वाटिकन न्यूज के साथ इस साक्षात्कार में, डॉ. प्रुडलो ने पोप लियो 13वें के युग और हमारे अपने युग के बीच समानताएँ बतायी है और पोप लियो 14वें के पोपत्व की शुरुआत में आज कलीसिया के सामने आनेवाली चुनौतियों का भी उल्लेख करते हैं।

डॉ. डॉन प्रुडलो के साथ साक्षात्कार
प्रश्न: डॉ. प्रुडलो, हमने शनिवार की सुबह पोप लियो 14वें से सुना, जब उन्होंने कार्डिनलों से बात करते हुए कुछ कारणों के बारे में बताया कि आपने अपना नाम लियो क्यों चुना। और उन्होंने विशेष रूप से लियो 13वें का उल्लेख किया, जो इस नाम को धारण करने वाले अंतिम पोप थे, जो 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध के महान समाज सुधारक थे। क्या आप हमें इस बारे में कुछ बता सकते हैं कि पोप ने हमें लियो 13वें के समय और हमारे अपने समय के बीच के संबंध के बारे में क्या बताया?

डॉ. प्रूडलो : पोप लियो 13वें का परमाध्यक्षीय काल 1878 से 1903 रहा है, इसलिए वे 20वीं सदी के पहले पोप रहे हैं। वे गहरे सामाजिक परिवर्तन के दौर मे जीये, एक ऐसा समय जब कलीसिया को उस समय की कई सामाजिक समस्याओं का सामना करने की जरूरत थी। पोप लियो 14वें ने हमें बताया है कि उन्होंने इसे क्यों चुना, खास तौर पर उनके महान, काथलिक सामाजिक शिक्षण के घोषणापत्र, 1891 के विश्वपत्र रेरूम नोवारूम के संदर्भ में, जो बाद में की सभी सामाजिक शिक्षाओं के लिए आधार साबित हुआ है।

पोप लियो 14वें जानते हैं कि उनके पूर्वाधिकारी का समय एक ऐसा समय था जो सामाजिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा था, एक ऐसा बदलाव, जो न केवल कलीसिया और कलीसिया के सिद्धांतों को, बल्कि मानवता की गरिमा को भी चुनौती दे रहा है।

और इसलिए जब उन्होंने यह नाम लिया है, तो उसका मतलब है कि जिस प्रकार पोप लियो 13वें औद्योगिक क्रांति के बीच बदलाव के समय में थे, और समाजवाद और उन्मुक्त उदार पूंजीवाद के दोहरे खतरों के बीच एक काथलिक तरीका, एक काथलिक व्याख्या बुनने की कोशिश की, हम उसे समझें।

पोप लियो 14वें हमें बताते हैं कि आज मानवता के समक्ष चुनौतियों और मानवीय गरिमा के समक्ष चुनौतियों, विशेषकर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता की समस्याओं के कारण, उन्होंने यह नाम इसलिए अपनाया ताकि एक नए युग को चिह्नित किया जा सके, जिसमें कलीसिया इन अत्यंत गंभीर समस्याओं से निपटने में संलग्न होगा।