पोप लियो ने डीआर. कांगो में हिंसा खत्म करने की अपील की
रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान पोप लियो ने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में लड़ रहे लोगों से अपील की कि वे भड़की हिंसा को रोकें और अच्छी बातचीत पर लौटें। उन्होंने शनिवार 13 दिसंबर को स्पेन और फ़्रांस में दो अलग-अलग संत घोषित किए गए शहीदों को भी याद किया।
पोप लियो 14वें ने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के पूर्वी हिस्से में फिर से शुरू हुई लड़ाई पर अपनी "गहरी चिंता" ज़ाहिर की। संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में रविवारीय देवदूत प्रार्थना के अंत में बोलते हुए, पोप ने हिंसा के शिकार लोगों के साथ अपनी नज़दीकी ज़ाहिर की और लड़ाई में शामिल पार्टियों से "हर तरह की हिंसा रोकने और चल रही शांति प्रक्रिया का सम्मान करते हुए रचनात्मक बातचीत करने" की अपील की।
पूर्वी कांगो के एक अहम शहर, उविरा में, इलाके के अधिकारियों ने एक नए जानलेवा हमले की रिपोर्ट दी जिसमें 400 से ज़्यादा लोग मारे गए और लगभग 200,000 लोग बेघर हो गए। शहर रवांडा के सपोर्ट वाले एम23 ग्रुप के कब्ज़े में आने के कुछ ही दिनों बाद ये हमले हुए। यह हाल ही में अमेरिका की मध्यस्थता से हुए शांति समझौते के बावजूद हुआ।
शहीदों की धन्य घोषणा
पोप ने शनिवार 14 दिसंबर को स्पेन और फ्रांस में हुए दो शहीदों और उनके साथियों की धन्य घोषणा के बारे में भी बात की। स्पेन के जैन में, फादर इमानुएल इज़क्विएर्डो और उनके 58 साथियों को धन्य घोषित किया गया, साथ ही फादर अंतोनियो मोंटेनेस चिकेरो और उनके 64 साथियों को भी धन्य घोषित किया गया। संत पापा ने याद किया कि कैसे 1936-38 के दौरान धर्म सतावट के दौरान धर्म से नफ़रत की वजह से उन सभी को मार दिया गया था।
इसके बाद पोप लियो ने फ्रायर्स माइनर धर्मसंघ के फादर रेमंड कैरे, जेरार्ड-मार्टिन सेंड्रियर,सेमिनेरियन रोजर वैले, लोक धर्मी जीन मेस्त्रे और 46 साथियों का ज़िक्र किया, जिन्हें 13 दिसंबर को पेरिस में धन्य घोषित किया गया। उन्हें भी 1944-45 में नाज़ी कब्ज़े के दौरान धर्म से नफ़रत की वजह से मार दिया गया था। पोप ने सभी को इन शहीदों के लिए प्रभु की स्तूति करने हेतु आमंत्रित किया, "जिन्होंने निडरता केसाथ सुसमाचार की गवाही दी। उन्हें अपने लोगों के करीब रहने और कलीसिया के प्रति विश्वस्त रहने की वजह से सताया गया और मार दिया गया।"