पोप फ्राँसिस : 'प्रार्थना युद्धग्रस्त दुनिया में विश्वास की सांस है
कार्डिनल कोमास्त्री की नई किताब “आज प्रार्थना करना। एक चुनौती जिसपर काबू पाना है।” पर अपनी प्रस्तावना में संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तियों को निमंत्रण दिया है कि हम हमारी संघर्षग्रस्त दुनिया के लिए उत्कट प्रार्थना के माध्यम से जयन्ती वर्ष 2025 की तैयारी करें।
मंगलवार 23 जनवरी को प्रकाशित किताब की प्रस्तावना में पोप फ्राँसिस ने प्रार्थना करने पर जोर दिया, जब दुनिया के कई हिस्सो में युद्ध लड़े जा रहे हैं।
पोप की प्रस्तावना में कार्डिनल एंजेलो कोमास्त्री की पुस्तक "आज प्रार्थना करना। एक चुनौती जिसपर काबू पाना है" का परिचय दिया गया है, जिसे प्रार्थना वर्ष के संदर्भ में वाटिकन पब्लिशिंग हाउस (एलईवी) द्वारा प्रकाशित किया गया है।
पोप ने लिखा, “प्रार्थना विश्वास की सांस है; यह इसकी सबसे उपयुक्त अभिव्यक्ति है।”
प्रार्थना के रहस्य को व्यक्त करने के लिए शब्द ढूंढना आसान नहीं है, पोप ने आगे कहा कि संतों और आध्यात्मिकता के गुरुओं की कई परिभाषाओं के बावजूद, "इसे केवल उन लोगों की सादगी में वर्णित किया जा सकता है जो इसे जीते हैं।"
कार्डिनल कोमास्त्री की पुस्तक “प्रार्थना वर्ष” में प्रकाशित होनेवाली संक्षिप्त पुस्तिकाओं की श्रृंखला में पहली है।
पोप ने बतलाया है कि ये श्रृंखला “इस प्रार्थना वर्ष को बढ़ावा देने के लिए है” तथा ख्रीस्तियों को “प्रार्थना के विभिन्न आयामों में प्रवेश करने में मदद देना है।” उन्होंने इस श्रृंखला के सभी लेखकों को धन्यवाद दिया तथा विश्वासियों से कहा, "मैं खुशी से इन 'पुस्तिकाओं' को आपके हाथों सौंपता हूँ, ताकि हर कोई विनम्रता और खुशी के साथ खुद को प्रभु को सौंपने की सुंदरता को फिर जान सके।"
पोप ने अपनी प्रस्तावना में आगे कहा, "जयन्ती वर्ष 2025 बस आने ही वाला है, जो कलीसिया के जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन "हम इस अवसर की तैयारी कैसे कर सकते हैं, अगर प्रार्थना के माध्यम से नहीं करते?"
पोप ने आधुनिक समय में “एक सच्ची आध्यात्मिकता” की आवश्यकता बतलायी है, जो हमारे हर दिन के जीवन और एक अशांत दुनिया में उठनेवाले बड़े सवालों का उत्तर दे सके।
इसके बाद उन्होंने “हालिया महामारी से बढ़े पारिस्थितिक-आर्थिक-सामाजिक संकट”; युद्ध विशेषकर यूक्रेन में जारी युद्ध, जो मृत्यु, विनाश और गरीबी का बीजारोपण करता है; तथा "उदासीनता की फेंक की संस्कृति” पर प्रकाश डाला।
पोप कहते हैं कि "ये घटनाएँ भारी माहौल पैदा करने में योगदान देती हैं, जो कई लोगों को खुशी और शांति से जीने नहीं देतीं।" "इसलिए, हमें अपनी प्रार्थना को और अधिक आग्रह के साथ पिता के समक्ष उठाने की आवश्यकता है, ताकि वे उन लोगों की आवाज़ सुन सके जो उत्तर दिए जाने के विश्वास के साथ उसकी ओर आते हैं।"
पोप फ्रांसिस ने स्पष्ट किया है कि प्रार्थना वर्ष, स्थानीय कलीसियाओं में की गई प्रेरितिक पहलों को कमजोर नहीं करेगा बल्कि यह वर्ष उस नींव की खोज करेगा जिनपर विभिन्न प्रेरितिक योजनाओं का विकास होना चाहिए और एकरूपता आनी चाहिए। यह एक ऐसा समय है जिसमें, कोई भी व्यक्तिगत रूप से और समुदायिक रूप में, विभिन्न प्रकार से और अभिव्यक्तियों में प्रार्थना करने की खुशी को फिर पा सकेगा।"
पोप ने हरेक व्यक्ति को विनम्र बनने के लिए आमंत्रित किया है ताकि "पवित्र आत्मा से आनेवाली प्रार्थना के लिए" जगह बनाई जा सके, क्योंकि "वे ही हैं जो जानते हैं कि हमारे दिलों में और हमारे होठों पर सही शब्द कैसे डाले जाएँ ताकि पिता उन्हें सुन सकें।"
पोप ने धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, उपयाजकों और प्रचारकों के लिए प्रार्थना की है ताकि वे भी "इस वर्ष आशा की उद्घोषणा के आधार पर प्रार्थना करने के सबसे उपयुक्त तरीके ढूंढेंगे जिसे जुबली वर्ष 2025 इस संकटपूर्ण समय में प्रतिध्वनित करने का इरादा रखता है।"
पोप ने समर्पित लोगों, विशेषकर, मठवासी जीवन के समुदायों के योगदान को "बहुत मूल्यवान" बताया है। वह आशा व्यक्त करते हैं कि "दुनिया के सभी तीर्थस्थलों, प्रार्थना के लिए विशेषाधिकार प्राप्त स्थानों में पहल बढ़ेगी ताकि प्रत्येक तीर्थयात्री को शांति का नखलिस्तान मिल सके और सांत्वना से भरे दिल के साथ प्रस्थान किया जा सके।"
अंत में, पोप ने सभी लोगों को प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित किया और आशा व्यक्त की कि "प्रभु येसु की इच्छा के अनुसार, व्यक्तिगत और सामुदायिक प्रार्थना निरंतर, बिना किसी रुकावट के होगा, ताकि ईश्वर का राज्य फैल सके और सुसमाचार हर उस व्यक्ति तक पहुंच सके जो प्रेम और क्षमा मांगता है।"